जानिए शरद पूर्णिमा का महत्व और शरद पूर्णिमा से जुड़ी कथा
हर साल अश्विन मास के शुकल पक्ष में आनेवाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। और इस पूर्णिमा के दिन लोगों द्वारा व्रत जरूर रखता जाता है। पूर्णिमा की रात को निकलने वाला चांद बेहद ही चमकीला होता है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन निकलने वाले चांद की किरणें अमृत के सामान होती है।
शरद पूर्णिमा 2020 में कब है?
यह पूर्णिमा को टेसू पूनै, रास पूर्णिमा, बंगाल लक्ष्मी पूजा, कौमुदी व्रत और कोजागरी लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार भारत के हर राज्य में मनाया जाता है और इस साल यानी 2020 में शरद पूर्णिमा अक्टूबर महीने में आ रही है। शरद पूर्णिमा 2020 के अक्टूबर महीने की 30 तारीख को प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को समाप्त होगी।
इससे जुड़ी पौराणिक कथा
एक कहानी के अनुसार एक गांव में एक साहुकार रहा करता था और इस साहुकार की दो बेटियां हुआ करती थी। साहुकार की यह दोनों बेटियां इस पूर्णिमा के दिन व्रत जरूर रखा करती थी। साहुकार की बड़ी बेटी शरद पूर्णिमा का व्रत पूरा करती थी। जबकि साहुकार की छोटी बेटी पूर्णिमा के व्रत को अधूरा ही रखती थी।
शादी होने के बाद साहुकार की छोटी बेटी काफी दुखी रहा करती थी क्योंकि उसकी संतान पैदा होते ही मर जाती थी। एक दिन साहुकार की छोटी बेटी ने एक पंडित से इस बात का कारण पूछा। तब पंडित ने बताया कि तुम शरद पूर्णिमा का व्रत अधूरा रखती थी। इसलिए ही तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है। इसके बाद साहुकार की बेटी ने अच्छे से इस पूर्णिमा का व्रत रखना शुरू कर दिए। वहीं कुछ सालों बाद साहुकार की छोटी बेटी ने एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन यह बेटा पैदा होते ही मर गया। साहुकार की छोटी बेटी ने अपने मरे हुए बेटे को लाल रंग के कपड़े से ढककर उसे पाटे पर रखा दिया और अपनी बड़ी बहन को बुलाकर उसे बैठने के लिए वो पाटा दे दिया। उसकी बहन जैसे ही पाटे पर बैठने लगी तभी उसका हाथ बच्चे को लग गया और बच्चा जीवित हो गया।
बच्चे की आवाज सुनकर साहुकार की बड़ी बेटी हैरान हो गई और गुस्से से अपनी बहन को बोली, मेरे बैठने से यह बच्चे मर जाता और मेरे पर पाप चढ़ जाता। तब उसकी छोटी बहन ने कहा, यह बच्चा तो पहले से ही मरा हुआ था। लेकिन आपके भाग्य की वजह से यह जीवित हो गया है। क्योंकि आप हमेशा शरद पूर्णिमा का व्रत सच्चे मन से रखती है। इस घटना के बाद से इस पूर्णिमा का व्रत और प्रचलित हो गया है और हर कोई इस व्रत को रखने लगा। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से इंसान की हर मनोकामना पूरी हो जाती है और उसे जो चाहिए होता है वो उसको मिल जाता है।
शस्त्रों में बताया गया है शरद पूर्णिमा को बेहद ही खास
शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा की रात से हेमत ऋतु की शुरुआत हो जाती है और मौसम ठंडा होने लग जाता है। यह भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही महा लक्ष्मी का जन्म भी हुआ था और यही वजह है कि इस दिन महालक्ष्मी का पूजन जरूर किया जाता है।
शरद पूर्णिमा को कामुदी महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है और मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण जी ने महारास लीला की थी और अपनी बांसुरी की धून पर राधा और गोपियों को नचाया था।
शरद पूर्णिमा 2020 के नियम
यह व्रत अगर नीचे बताए गए नियमों के तहत किया जाए तो, इस व्रत का लाभ अच्छे से मिलता है। इसलिए आप इसके नियम का पालन जरूर करें और शरद पूर्णिमा के नियम के तहत ही इस दिन पूजा करें और व्रत रखें-
– शरद पूर्णिमा 2020 के नियम के अनुसार इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले इष्ट देव की पूजा की जाती है। इष्ट देव के अलावा इस दिन इन्द्र और महा लक्ष्मी जी की पूजा करने से भी विशेष लाभ मिलता है। इसलिए आप इस दिन इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन जरूर करें और इनके सामने घी का दीपक जरूर जलाएं और इनको खीर का भोग लगाएं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लक्ष्मी मां की पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
– पूर्णिमा 2020 के नियम के मुताबिक इस दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को तोड़ा जाता है और खीर खाई जाती है। हालांकि आप व्रत वाली खीर को खाने से पहले उसे कुछ देरे के लिए चांद की चांदनी में रख दें। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
इस दिन जरूर खाई जाती है खीर
शरद पूर्णिमा के दिन खीर को जरूर खाया जाती है और साथ में ही भगवान को भी खीर का भोग लगाया जाता है। कई लोग रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद खीर का सेवन करते हैं। जबकि कई लोग चांद की चांदनी में खीर को रख देते हैं और सुबह अगले दिन स्नान करने के बाद इस खीर का भोग भगवान को लगाया करते हैं और फिर खीर का सेवन किया करते हैं।
मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी गई खीर को खाने से कई प्रकार के रोगों से छुटकारा भी मिल है। इसलिए अगर आपके घर में कोई व्यक्ति बीमार है तो आप उसे इस पूर्णिमा वाले दिन खीर जरूर खाने को दें।