पुरुषों में इन 5 बीमारियों का रहता है सबसे ज्यादा खतरा, जानिए इनके कारण और लक्षण
महिलाएं और पुरुष के बॉडी स्ट्रक्चर में बहुत सारी चीजें समान होती हैं और कुछ बीमारियां भी इन्हें समान होती हैं लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो सिर्फ पुरुषों या महिलाओं में पाई जाती हैं. दोनों ही अपनी इस अलग तरह की परेशानियों को लेकर चिंतित रहते हैं. 10 से 16 जून तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय पुरुष स्वास्थ्य सप्ताह में कुछ बातें पुरुषों के बारे में भी करनी चाहिए. अक्सर महिलाओँ के बारे में बात करना भी ठीक नहीं होता है पुरुषों का भी अपना कुछ योगदान इस संसार को चलाने में होता है इस दौरान आपको बता दें कि पुरुषों में इन 5 बीमारियों का रहता है सबसे ज्यादा खतरा, आपको भी इनके बारे में जानना चाहिए.
पुरुषों में इन 5 बीमारियों का रहता है सबसे ज्यादा खतरा
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष स्वास्थ्य सप्ताह 2019 के दौरान पुरुषों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम किया जाता है. विशेषरूप से उन मुद्दों पर फोकस किया जाता है जिसमें महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक प्रभावित होते हैं. इसका उद्देश्य मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण सहित उनकी उस बीमारी का समाधान निकालना है. साल 2002 के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल मेन्स हेल्थ वीक एक अभियान के रूप में शुरू हुआ था और इस सप्ताह को नीला रिबन पहनकर मनाया जाता है, जो प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक माना जाता है हालांकि, पुरुषों के स्वास्थ्य के मुद्दे सिर्फ प्रोस्टेट कैंसर ही नहीं बल्कि इससे कहीं ज्यादा हैं. हर साल, किसी एक विषय पर इस दिवस को मनाने की परंपरा चली आ रही है और साल 2019 में इस सप्ताह का विषय ‘Men’s Health Matters’ रखा गया है.
प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट पुरुष प्रजनन प्रणाली की एक ग्रंथि है जो अखरोट के आकार में दिखती है और ये मूत्राशय के नीचे होती है. इसमें छोटी एक दूसरी ग्रंथियां भी होती हैं जो वीर्य संबंधी तरल प्रदार्थ उत्पन्न करने में मदद करती हैं. जब प्रोस्टेट कैंसर की ग्रंथियां बढ़ने लगती हैं तो यह कैंसर का रूप ले लेती हैं और इससे प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे पनपता है, जिसके कारण पुरुषों को काफी बाद तक इसके बारे में पता नहीं चल पाता है.उस जगह जरा भी कुछ होने की शंका हो तो तुरंत जांच करान चाहिए. इस बीमारी में ऐसे लक्षण सामने आते हैं जैसे- बार-बार पेशाब आना, कमजोर और बाधित मूत्र प्रवाह.
हृदय रोग
नेशनल हेल्थ इस्टीट्यूट ऑफ डाइबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज द्वारा एक सर्वे हुआ और उनके मुताबिक, महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा मोटे होते हैं. मोटापा हृदय रोग के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है. मोटापे के दौरान धमनियों में कोलेस्ट्राल बनने लगता है जो रक्त के माध्यम से हृदय तक पहुंचकर उच्च रक्तचाप का कारण बन जाता है. उच्च रक्तचाप हृदय घात का प्राथमिक कारण होता है लेकिन अगर कोलेस्ट्रॉल बहुत ज्यादा बढ़ गया है तो इससे रक्त का थक्का जमने की संभावना बढ़ने लगती है और इससे हृदय का खतरा बढ़ने लगता है.
सिरोसिस
अमेरिका के जर्नल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी क्लीनिक में प्रकाशित एक स्डडी में बताया गया है कि यकृत यानी लिवर की यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बहुत कम जोती है. पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा शराब पीते हैं और पुरुषों में इस वजह से ही ये बीमारी ज्यादा होती है. यह लीवर के रोग का अंतिम चरण होता है. लिवर का मुख्य काम रक्त के विषाक्त पदार्थों का फ़िल्टर करना, प्रोटीन को तोड़ना और वसा के अवशोषण में मदद करने के लिए पित्त बनाने का है. लिवर के घाव या सिरोसिस इन कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं और सिरोसिस होने पर थकान, नील पड़ना, भूख में कमी, मतली, पैरों में सूजन, अस्पष्टीकृत वजन घटना, खुजली वाली त्वचा जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं.
पार्किंसंस रोग
जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसंस रोग की ज्यादा विकसित होती हैं. पार्किंसंस रोग एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है और वैज्ञानिकों का मानना है कि पुरुषों में एस्ट्रोजन हार्मोन का निम्न स्तर डोपामाइन (मस्तिष्क रसायन) की कमी की ओर ले जाता है. इस केमिकल के कम होने से पार्किंसंस रोग का बड़ा कारण हो सकता है और इस रोग से पीड़ित लोगों के हाथों में कंपन, बोलने में समस्या, बिगड़ा हुआ पॉश्चर जैसे लक्षणों का अहसास होता है.
क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज
सीओपीडी एक क्रॉनिक इंफ्लामेट्री लंग से जुड़ी बीमारी होती है जो फेफड़ों से हवा के प्रवाह को बाधित करती है. इसका इलाज नहीं होने पर ये बीमारी एक गंभीर रूप ले सकती है. इस बीमारी का मेन रीजन सिगरेट के धुएं से निकलने वाले कण के संपर्क में आना होता है. इसमें मरीज को जकड़न, फेफड़ों में अतिरिक्त बलगम, एक पुरानी खांसी, अनपेक्षित वजन घटाने जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है.