शनिवार और मंगलवार के दिन जरूर पढ़ें सुंदरकांड का पाठ, इसे पढ़ने से मिलते हैं विशेष लाभ
Sunderkand Paath : सुंदरकांड का पाठ पढ़ने से इंसान के अंदर का डर खत्म हो जाता है और उसे हर कार्य में सफलता मिलने लग जाती हैं। जो लोग सुंदरकांड का पाठ करते हैं उन लोगों पर हनुमान जी की कृपा बन जाती है और हनुमान जी उनकी रक्षा करते हैं। इसलिए आप सुंदरकांड का पाठ जरूर किया करें। सुंदरकांड का पाठ (sunderkand paath) करने से आपकी हर समस्या अपने आप ही हल हो जाएगी।
क्या होता है सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Paath)
सुंदरकांड का पाठ हनुमान जी से जुड़ा हुआ है और इस पाठ को पढ़ने से विशेष फल मिलता है। सुंदरकांड श्रीरामचरित मानस का ही एक हिस्सा है। लेकिन इसमें भगवान राम जी की जगह हनुमान जी की वीरता का जिक्र किया गया है। सुंदरकांड में बताया गया है कि किस तरह से हनुमान जी राम के आदेश पर लंका गए थे और वहां जाकर उन्होंने किसी तरह से सीता मां से भेंट की थी। वहीं जब हनुमान जी को पकड़ लिया गया था और उनकी पूंछ में आग लगा दी गई थी, तब उन्होंने किस तरह से पूरी लंका में जला दिया था। सुंदरकांड (sunderkand paath) में बेहद ही खूबसूरती के साथ हनुमान की विजय का विवरण किया गया है।
सुंदरकांड पढ़ने से दूर हो जाती हैं हर परेशानियां
ऐसा माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ (sunderkand paath) करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां टल जाती हैं। इसलिए इस पाठ को पढ़ना बेहद ही लाभकारी होती है। अगर आपके ऊपर शनि की वक्र दृष्टि चल रही है, तो आप इस पाठ को जरूर पढ़ें। इसके अलावा जिन लोगों का मंगल ग्रह भारी है वो लोग भी सुंदरकांड का पाठ जरूर किया करें।
किस दिन करें सुंदरकांड का पाठ
सुंदरकांड का पाठ (sunderkand paath) मंगलवार और शनिवार के दिन जरूर पढ़ें। वहीं कई लोग रोजाना भी सुंदरकांड का पाठ किया करते हैं। सुंदरकांड का पाठ ज्यादा बढ़ा नहीं होता है और 2 घंटे में ही खत्म हो जाता है। इसलिए आप चाहें तो इस पाठ को रोज भी पढ़ सकते हैं। हालांकि आप इस बात का ध्यान रखें कि इस पाठ को रात के समय 7 बजे के बाद ही पढ़ें। 7 बजे के बाद इस पाठ को पढ़ना शुभ लाभ मिलते है।
आप सुंदरकांड का पाठ घर में भी पढ़ सकते हैं या फिर मंदिर में जाकर भी हनुमान की मूर्ति के सामने बैठकर इस पाठ को पढ़ा जा सकता है। अगर आप अपने घर के मंदिर में ही इस पाठ को पढ़ते हैं, तो आप नीचे बताई गई बतों का ध्यान रखें।
- घर में इस पाठ को पढ़ने से पहले आप मंदिर में देसी घी का दीपक जला दें और इस दीपक के पास बैठकर ही इस पाठ को पढ़ें।
- लाल रंग के आसन पर ही बैठकर इस पाठ को पढ़ा जाता है।
- ये पाठ करते समय आपका सिर कपड़े से ढका होना चाहिए।
- इस पाठ को शुरू करने से पहले और खत्म करने के बाद भगवान श्री राम का नाम जरूर लें।
- पाठ खत्म होने के बाद मंदिर में माथा टेंक और सुंदरकांड की किताब मंदिर में रख दें। आप रोज इसी तरह से सुंदरकांड का पाठ (sunderkand paath) करें, आपको जल्द ही इसका लाभ मिलने लग जाएगा।
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