सुखी वैवाहिक जीवन के लिए श्रीमद् भागवत गीता में बताई गई इन बातों का पालन करें
पति-पत्नी का रिश्ता काफी नाजुक होता है और पति -पत्नी के बीच तालमेल होना बेहद ही जरूरी है। पति और पत्नी के बीच कैसे तालमेल बनी रहे इसके बारे में श्रीमद् भागवत गीता में बताया गया है। श्रीमद् भागवत गीता के अनुसार अगर पति और पत्नी तीन बातों का ध्यान रखें, तो उनका रिश्ता हमेशा मजबूत बना रहता है और लाख दिक्कते आने के बाद भी उनका रिश्ता कमजोर नहीं पड़ता है।
जरूर पालन करें श्रीमद् भागवत गीता में बताई गई ये बातें –
एक-दूसरे के प्रति सम्मान
श्रीमद् भागवत गीता के अनुसार पति और पत्नी को हमेशा एक दूसरा का सम्मान करना चाहिए। जो पति और पत्नी एक दूसरे का सम्मान नहीं करते हैं उनका रिश्ता जल्द ही टूट जाता है।
एक दूसरे पर विश्वास करें
श्रीमद् भागवत गीता में लिखा गया है कि अगर पति और पत्नी एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं, तो उनका रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता है। इसलिए अपने वैवाहिक जीवन का सुख पाने के लिए पति और पत्नी को सदा एक दूसरे पर विश्वास करना चाहिए।
एक दूसरे के प्रति विश्वस्तता
पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। अगर पति और पत्नी एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं, तो उनके बीच हमेशा लड़ाई रहती है। इसलिए पति और पत्नी को हमेशा एक दूसरे पर विश्वास करना चाहिए।
श्रीमद् भागवत गीता में बताई गई इन तीनों बातों का अगर ध्यान रखा जाए, तो पति और पत्नी के बीच सदा ही प्यार बना रहता है और वैवाहिक जीवन अच्छे से कट जाता है।
पति और पत्नी के रिश्ते पर ही श्रीमद् भागवत गीता में एक कथा भी बताई गई है और ये कथा इस प्रकार की है-
ययाति नामक एक राजा हुआ करता था जो कि दिखने में काफी सुंदर थे। राजा ययाति ने दैत्य गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से विवाह किया था। लेकिन विवाह करने से पहले गुरु शुक्राचार्य ने ययाति से वचन मांगा था कि वो किसी भी अन्य स्त्री से संबंध नहीं बनाएंगे और ययाति ने गुरु शुक्राचार्य के इस वचन को स्वीकार कर लिया था। वहीं शादी के बाद देवयानी के साथ उनकी एक दासी शर्मिष्ठा भी ययाति के साथ उनके राज्य महल आई थी। दरअसल शर्मिष्ठा दैत्यराज वृषपर्वा की पुत्री थी और देवयानी ने एक वचन के तहत दैत्यराज वृषपर्वा से उनकी पुत्री को दासी के रूप में मांग लिया था।
शर्मिष्ठा देवयानी से काफी ईर्ष्या किया करती थी और शर्मिष्ठा की नजर ययाति पर थी। जब देवयानी गर्भवती हुईं तो उस वक्त शर्मिष्ठा ने अपने प्यार के जाल में ययाति को फांस लिया। कुछ समय बाद ये बात गुरु शुक्राचार्य को पता चल गई और गुरु शुक्राचार्य ने गुस्से में आकर ययाति को एक श्राप दे दिया। इस श्राप की वजह से ययाति युवा अवस्था में ही वृद्ध हो गए। ययाति ने अपने अपराध के लिए गुरु शुक्राचार्य से खूब माफी मांगी और अंत में दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने ययाति को क्षमा भी कर दिया। लेकिन ययाति की इस भूल के कारण उनके और देवयानी के बीच काफी दूरियां आई गई।