अध्यात्म

जानें क्या होता है काल सर्प दोष और इससे बचने के अचूक उपाय

कुंडली में काल सर्प दोष होने पर इंसान का जीवन हमेशा दुखों से ही घिरा रहता है और हर कार्य में उन्हें असफलता ही मिलती है। कई बार कालसर्प दोष होने पर सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है और जिन लोगों की कुंडली में भी ये दोष पाया जाता है, उन लोगों की सेहत बार-बार खराब हो जाती है।

कालसर्प दोष क्या है

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार राहु ग्रह को अधिदेवता ‘काल’ माना जाता है। जबकि केतु को अधिदेवता ‘सर्प’ कहा जाता है और इन दोनों ग्रहों के नाम को मिलाकर ही इस दोष का नाम ‘कालसर्प’ रखा गया है। जब किसी इंसान की कुंडली में राहु और केतु ग्रह के बीच अन्य ग्रह आ जाते हैं, तब कुंडली में काल सर्प दोष का योग बनता है। ऐसा कहा जाता है कि इन दोनों ग्रहों के बीच अन्य ग्रहों के आ जाने से, ग्रहों से जुड़े लाभ इंसान को नहीं मिल पाते हैं। जिसकी वजह से इंसान के जीवन में परेशानियां आने लग जाती हैं।

ज्योतिषी शास्त्रों के अनुसार कालसर्प योग कुल 12 तरह के होते हैं और इन 12 तरह के काल सर्प दोष के नाम इस प्रकार है-

काल सर्प दोष के नाम

अनंत कालसर्प दोष

कुंडली में अनंत कालसर्प योग होने पर विवाह होने में दिक्कत आती है। अगर कुंडली में राहु लग्न में बैठा हो और केतु सप्तम में और अन्य सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य में हों, तब कुंडली में ये काल सर्प दोष आ जाता है। अनंत यह दोष कुंडली में होने के कारण कई बार इंसान को मानसिक शांति भी नहीं मिलती है।

कुलिक कालसर्प दोष

कुंडली में अगर राहु ग्रह दूसरे घर में, केतु ग्रह अष्ठम घर में स्थित हो और बाकी ग्रह इन दोनों के बीच में हों, तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस दोष के कारण इंसान को जीवन में हमेशा पैसों की कमी ही रहती है और मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है। जबकि कई बार तो इस दोष का योग कुंडली में होने से  इंसान की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।

वासुकि काल सर्प दोष

कुंडली में जब राहु तीसरे स्थान पर हो, केतु नौंवे स्थान में विराजमान हो और अन्य ग्रह इन दोनों के बीच स्थित हों, तब वासुकि कालसर्प योग का निर्माण कुंडली में होता है। जिन लोगों की कुंडली में ये दोष पाया जाता है उन लोगों को जीवन भर दुखों का ही सामना करना पड़ता है और हमेशा धन में हानि होती है ।

शंखपाल कालसर्प दोष

कुंडली में राहु अगर चौथे और केतु दसवें स्थान में विराजमान हो और अन्य ग्रह इनके बीच में हों, तो शंखपाल सर्प दोष कुंडली में आ जाता है। जिन लोगों की कुंडली में शंखपाल काल दोष होता है उन लोगों के जीवन में हर समय कोई ना कोई विवाद चला रहता है।

पद्म कालसर्प दोष

कुंडली के पांचवें भाव में राहु और ग्याहरहवें स्थान में अगर केतु हो और इन दोनों ग्रहों के बीच में अन्य ग्रह हों, तो कुंडली में पद्म कालसर्प दोष होता है। जिन इंसानों की कुंडली में ये दोष पाया जाता है, उन्हें धन संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

महापद्म सर्प दोष

राहु के छठें स्थान पर होने से, केतु के बारहवें स्थान पर होने पर और अन्य ग्रहों के इन दोनों के बीच में होने से महापद्म कालसर्प दोष का योग बनता है। इस दोष के कुंडली में होने से इंसान को धन संबंधित सुख नहीं मिले पाते हैं।

तक्षक दोष

ये दोष कुंडली में होने से इंसान की शादी में हमेशा दिक्कतें ही रहती हैं और उसे जीवन भर परेशानियों का ही सामना करना पड़ता। अगर कुंडली के सातवें साथ पर राहु और केतु लग्न में हों तब ये दोष बनता है।

कर्कोटक काल सर्प दोष

कुंडली में कर्कोटक कालसर्प दोष होने पर अधिक खर्चा होता है और लाख मेहनत करने के बाद भी धन नहीं जुड़ पाता है। अगर राहु आठवें घर में और केतु दूसरे घर में और बाकी ग्रह इनके बीच हों तब ये दोष कुंडली में बनता है।

शंखनाद कालसर्प दोष

कुंडली के नौंवे स्थान पर अगर राहु, तीसरे स्थान में केतु हो और अन्य ग्रह इनके बीच में हों, तब कुंडली में ये दोष आ जाता है। ये दोष कुंडली में होने से इंसान की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और उसके हर कार्य में रूकावट आती है।

घातक कालसर्प दोष

राहु जब दसवें और केतु चौथे घर में हो और बाकी ग्रह इन दोनों के बीच में हों तब घातक काल सर्प दोष बनता है। कुंडली में ये दोष होने पर किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिल पाती है।

विषाक्त दोष

कुंडली के ग्याहरहवें स्थान में अगर राहु हो, पांचवें स्थान में केतु और अन्य ग्रह इनके बीच में आते हों तक कुंडली में विषाक्तर कालसर्प दोष उत्पन्न हो जाता है। इस दोष के कुंडली में होने से  शादी और वैवाहिक जीवन में दिक्कते आने लग जाती हैं।

शेषनाग दोष

शेषनाग काल सर्प दोष के कुंडली में होने से इंसान को कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं और धन बिलकुल नहीं टिकता है। जब कुंडली में राहु बारहवें घर में, केतु छठे स्थान पर हो और बाकी ग्रह इनके बीच में हों तब शेषनाग दोष बनता है।

कुंडली में कालसर्प दोष के लक्षण

कुंडली में कालसर्प दोष के लक्षण होने पर इंसान के जीवन में अनहोनी होने लग जाती हैं और अगर आपके जीवन में भी बार बार नीचे बताई गई अनहोनी होती है तो आप समझ लें की आपकी कुंडली में कालसर्प योग हो सकता है।

  • हर वक्त किसी चीज का डर दिमाग में रहना या फिर मानिसक रुप से बीमार रहना कुंडली में कालसर्प दोष का लक्षण होता है।
  • अगर आप किसी कार्य को जी-जान से करते हैं और फिर भी आपको उस कार्य में सफलता नहीं मिल पाती है तो आप समझ लें की आपकी कुंडली में काल सर्प दोष हो सकता है।
  • जिन लोगों को पैसों के मामले में हमेशा धोखा मिलता है और व्यापार में हानि होती है उन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है।
  • बार-बार चोट लगना या फिर बीमार पड़ जाना भी कालसर्प दोष के कुंडली में होने का एक लक्षण होता है।
  • विवाह होने में दिक्कत होना या फिर हर बार शादी तय होने के बाद टूट जाना भी कुंडली में कालसर्प दोष होना का ही लक्षण होता है।
  • कुंडली में काल सर्ष दोष होने पर संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती है।
  • अगर आपको बुरे सपने आते हैं और सपनों में आप अपने आपको पानी में डूबता हुआ पाते हैं, तो ये भी कुंडली में काल सर्प दोष होने का एक लक्षण होता है।

कालसर्प योग से मुक्ति के उपाय

अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो आप इस दोष के प्रकोप से बचने के लिए नीचे बताए कालसर्प योग से मुक्ति के उपाय को करें। इन उपायों को करने से कुंडली में से ये दोष दूर हो जाएगा और आपको इससे मुक्ति मिल जाएगी।

शिवजी की करें पूजा

कालसर्प दोष होने पर आप हर सोमावर के दिन शिव जी की पूजा करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। सोमवार के दिन ये उपाय करन से  इस दोष से मुक्ति मिल जाती है और ये दोष कुंडली से गायब हो जाता है।

रखें व्रत

कालसर्प योग होने पर आप नागपंचमी के दिन व्रत करें और मंदिर में जाकर दूध शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके अलावा आप इस दिन नाग देवता की भी पूजा करें। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि नाग को नुकसान पहुंचाने से या फिर नाग की हत्या करने से भी ये दोष कुंडली में आ जाता है। इसलिए अगर आप नागपंचमी के दिन नाग की पूजा करते हैं, तो कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।

चढ़ाएं चांदी के नाग

कुंडली में कालसर्प दोष होने पर आप मंदिर में जाकर वहां पर चांदी के नाग चढ़ा दें। ये उपाय करते ही आपको कालसर्प दोष से मुक्ती मिल जाएगी।

हनुमान की पूजा करें

हनुमान जी की पूजा करने से भी इस दोष को खत्म किया जाता है। इस उपाय के तहत आप मंगलवार के दिन हनुमान के मंदिर में जाकर उनके नाम का जाप 108 बार करें। ये उपाय करने से हनुमान जी प्रसन्न हो जाएंगे और आप पर किसी भी परेशानी को नहीं आने देंगे। 108 बार हनुमान जी के नाम का जाप करने के अलावा आप रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ भी कर सकते हैं।

करें इस मंत्र का जाप

शिव गायत्री मंत्र : ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात्।’  का जाप करने से भी ये दोष कुंडली से दूर हो जाता है। इसलिए आप रोज अपने घर के मंदिर में बैठकर इस मंत्र का जाप तीन बार जरूर करें। इस मंत्र के अलावा आप राहु और केतु से जुड़े मंत्र का भी जाप करें और ये मंत्र इस प्रकार हैं-

राहु से जुड़ा मंत्र:  ।। ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।।

केतु मंत्र से जुड़ा मंत्र : ।। ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।।

श्री हरिवंश पुराण का पाठ करें

कालसर्प योग से बचने के लिए ये उपाय सबसे अचूक है और इस उपाय के तहत आप  श्रीमद भागवत , श्री हरिवंश पुराण, दुर्गा पाठ और भैरव की उपासना करें। ये उपाय करते ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाएगी और आप इस दोष के प्रकोप से बच जाएंगे।

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