मथुरा छोड़कर द्वारका चले गए थे भगवान श्री कृष्ण, यहां पर बसाई थी अपनी खुद की नगरी
हमारे देश में कई सारे प्रसिद्ध मंदिर हैं और करोड़ों लोगों की आस्था इन मंदिरों से जुड़ी हुई है। गुजरात राज्य में स्थित द्वारकाधीश मंदिर भी हमारे देश के प्रचीन मंदिरों में से एक है और हर साल कई राज्यों से लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए गुजरात राज्य आया करते हैं। द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और ये मंदिर हजारों साल पुराना है और इस मंदिर की शिल्पकारी बेहद ही सुंदर है। ये मंदिर भगवान कृष्ण की नगरी यानी द्वारका में स्थित है।
द्वारका मंदिर का इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि 5 हजार साल पहले मथुरा को छोड़ने के बाद भगवान कृष्ण जी ने द्वारका नगरी को बसाया था और द्वारका नगरी भगवान श्री कृष्ण का निवास स्थान हुआ करती थी और भगवान श्री कृष्ण ने इस जगह पर कई साल बिताए थे। द्वारका नगरी में भगवान श्री कृष्ण ने अपना एक निजी महल भी बनाया था और इस महल को ‘हरि गृह’ के नाम से जाना जाता था। भगवान श्री कृष्ण के हरि गृह की जगह पर ही द्वारकाधीश मंदिर को बनाया गया है।
आखिर क्यों मथुरा को छोड़ द्वारका नगरी चले आए थे भगवान कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण का बचपन मथुरा शहर में गुजरा था। लेकिन कंस का वध करने के बाद भगवान श्री कृष्ण मथुरा को छोड़कर द्वारका नगरी चले आए थे और यहां पर आकर उन्होंने द्वारका नगरी को स्थापित किया था। ऐसा कहा जाता है कि कंस का वध होने के बाद कंस के श्वसुर मगधपति जरासंध ने कृष्ण और यादवों से बदलना लेने की ठान ली थी। अपना बदला लेने के लिए मगधपति जरासंध ने मथुरा पर आक्रमण करना शुरू दिया और बार-बार आक्रमण होने की वजह से मथुरा के वासियों को नुकसान होने लगा। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा को छोड़ने का फैसला किया और वो एक जगह की तलाश करने में लग गए।
द्वारका के बारे में गरुड़ जी ने भगवान श्री कृष्ण को बताया और भगवान श्री कृष्ण यादवों के साथ द्वारका आकर बस गए और यहां पर उन्होंने अपनी द्वारका नगरी की स्थापना की। इस जगह पर भगवान श्री कृष्ण ने अपना एक भव्य महल बनाया और इस महल में भगवान कृष्ण जी अपनी पत्नियों के साथ रहा करते थे।
इस तरह की थी द्वारका नगरी
- द्वारका नगरी गोमती नदी के तट पर बसा हुआ शहर है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह को विश्वकर्मा, जो कि एक खगोलीय वास्तुकार थे, उनके द्वारा बनाया गया है। द्वारका नगरी को स्वर्ण द्वारिका के नाम से भी जाना जाता था। द्वारका नगरी चारों और से लंबी दीवारों से घिरी हुई थी और इन दीवारों पर बेहद ही बड़े द्वार हुआ करते थे। जिसकी वजह से इस जगह को द्वारका नगरी कहा जाता था।
- ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर भगवान कृष्ण जी ने कुल 36 सालों तक राज किया था और इनके देहावसान होने के बाद ये जगह छह बार पानी में डूब गई थी। अब जो द्वारका नगरी है वो सातवीं बार बसी है और इस नगरी को भारत के सात सबसे प्राचीन नगरों में गिना जाता है।
- द्वारकाधीश मंदिर को करीब 2500 हजार पहले बनाया था और इस मंदिर को भगवान कृष्ण के पड़ पोते ने बनाया था जिनका नाम वज्रनाभ था। भगवान कृष्ण से जुड़े इस स्थान से करोड़ों लोगों की श्रृद्धा जुड़ी हुई है और हर साल लाखों की संख्या में लोग द्वारकाधीश मंदिर आया करते हैं। ये जगह हिंदू धर्म का एक पवित्र तीर्थ स्थल है और ये जगह हमारे देश के चार धामों में से एक है।
द्वारकाधीश मंदिर की खासियत
द्वारकाधीश मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की पूजा की जाती है। दरअसल भगवान कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मणी को एक श्राप मिला था और इस श्राप की वजह से द्वारकाधीश मंदिर में रुक्मणी की मूर्ति को भगवान श्री कृष्ण के साथ नहीं रखा गया है। हालांकि द्वारकाधीश मंदिर में देवी रुक्मणी का एक अलग से मंदिर बनाया गया है। द्वारकाधीश मंदिर की मुख्यपीठ पर एक श्रीरणछोडरायजी मूर्ति भी है। जबकि मंदिर की चौथी मंजिल पर अम्बाजी की मूर्ति भी स्थापित की गई है।
द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर हमेशा एक ध्वज लहराता हैं और ऐसा कहा जाता है कि ये ध्वज सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक चिह्न है। इस ध्वज को दिन में 3 बार बदला जाता है और हर बार इन ध्वजों का रंग अलग तरह का होता है।
कैसे पहुंचे द्वारकाधीश मंदिर –
वार्य मार्ग
पोरबंदर एयरपोर्ट और गोवर्धनपुर एयरपोर्ट पर पहुंचकर आप यहां से द्वारका जाने के लिए गाड़ी कर सकता है। पोरबंदर एयरपोर्ट से द्वारका करीब 95 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। जबकि गोवर्धनपुर एयरपोर्ट से द्वारका नगरी करीब 110 किलो मीटर की दूरी पर है। इन दोनों एयरपोर्ट पर कई शहरों से सीधी फ्लाइट जाया करती है।
रेल मार्ग
रेल मार्ग के जरिए भी द्वारकाधीश मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है। देश के विभिन्न शहरों से द्वारका स्टेशन में ट्रेन जाया करती हैं। द्वारका स्टेशन से द्वारकाधीश मंदिर एक किलो मीटर दूरी पर ही स्थित है। इसलिए रेल मार्ग के जरिए भी द्वारकाधीश मंदिर जाना सबसे अच्छा विकल्प है ।
सड़क मार्ग
दिल्ली, मुंबई, राजस्थान सहित कई शहरों के सड़क मार्गों से भी द्वारकाधीश मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा आपको गुजरात के कई शहरों से द्वारकाधीश मंदिर जाने के लिए सीधी बस भी मिल जाएगी। बस के अलावा आप कैब भी कर सकते हैं।
किस समय जाएं
द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी के दौरान काफी भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और द्वारका नगरी को बेहद ही सुंदर तरीके से सजाया जाता है। जन्माष्टमी के दौरान इस मंदिर की रौनक और बढ़ जाती है। इसलिए जन्माष्टमी के दौरान आप एक बार द्वारकाधीश मंदिर जरुर जाएं।
कहां रुकें
द्वारका नगरी में कई सारे होटल स्थित हैं और होटलों के अलावा आपको यहां पर रहने के लिए धर्मशाला भी मिल जाएंगी। जन्माष्टमी के दौरान इस जगह पर काफी भीड़ हुआ करती है। इसलिए आप पहले से ही कमरों की बुकिंग करवा लें और फिर यहां जाएं।
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