जीवन में जो मिलता है उसमें संतुष्ट रहें, क्योंकि कई बार अधिक लालच के चलते नुकसान हो जाता है
एक गांव में बहुत अमीर जमींदार रहा करता था और इस जमींदार के पास खूब सारे खेत हुआ करते थे। इस जमींदार ने अपने सारे खेत किसानों को खेती करने के लिए दे रखे थे और इनके बदले जमींदार किसानों से पैसे लिया करता था। इस जमींदार ने गांव के राम नाम के एक किसान को भी अपना एक खेत दे रखा था। इस खेत पर राम ने कई सारे फल उगा रखे थे। इन फलों को बेचकर राम पैसे कमाया करता था और इन पैसों में से आधे पैसे जमींदार को दिया करता था। हालांकि पैसे देने के साथ साथ राम जमींदार को खेत में उगे फल भी दिया करता था। एक बार राम जमींदार के खेत में अंगूर की बेल लगा देता है और इस बेल पर कई सारे अंगूर लग जाते हैं। ये अंगूर काफी मीठे होते हैं और इन अंगूरों को बेचकर राम को काफी सारे पैसे मिलते हैं। एक दिन राम सोचता है कि अंगूर की बेल जमींदार के खेत में लगी हुई है। तो क्यों ना उन्हें भी मैं इस बेल पर लगे अंगूर खाने को दे दूं।
राम अगले दिन जब जमींदार को पैसे देने जाता है तो अपने साथ अंगूर भी ले जाता है। जमींदार और उसकी पत्नी जब अंगूरों को खाते हैं तो उन्हें ये काफी स्वादिष्ट लगते हैं और वो राम से पूछते हैं, क्या ये अंगूर हमारे खेत के हैं? राम जमींदार से कहता है, हां, आप ने जो खेत मेरे को खेती करने के लिए दिया है, उसमें ही मैंने अंगूर की एक बेल लगाई है और उस बेल में काफी ही मोटे और मीठे अंगूर लगाते।
राम की ये बात सुनकर जमींदार को लगा कि ये बेल अगर मेरे खेत में है तो इसपर मेरा ही हक होना चाहिए। लेकिन जो खेत किराए पर जमींदार ने राम को दे रखा था वो जमींदार के घर से बहुत ही दूर था। इसलिए जमींदार ने सोचा कि क्यों ना अंगूर की बेल को उखाड़ कर अपने घर के आंगन में लगा लूं। ऐसा करने से मैं रोज बेल से अंगूर तोड़कर खा सकूंगा। जमींदार ने अपने नौकरों को आदेश दिया की वो अंगूर की बिल को राम के खेते से उखाड़ कर आंगन में लगा दें। जमींदार के नौकर बेल को आंगन में लगा देते हैं और रोज इसे पानी और खाद देते हैं। ताकि ये और बढ़ जाए और इसमें अधिक अंगूर लग सकें। लेकिन एक दिन ये बेल पूरी तरह से सूख जाती हैं और इस जमींदार को खाने के लिए एक भी अंगूर नहीं मिल पाता है।
बेल को सूखता देख जमींदार की पत्नी उससे कहती है, इंसान को जो मिलता है उसे उसमें ही संतुष्ट रहना चाहिए। कई बार अधिक पाने के लालच में हम उस चीज से भी हाथ धो बैठते हैं, जो हमारे पास होती है। आपको राम इस बेल से अंगूर लाकर दिया करता था, लेकिन आप अधिक लालच में आए गए। जिसकी वजह से अब आपको इस बेल से कभी भी अंगूर नहीं मिल पाएंगे।
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