बाप से “साइकल” की जंग जीत गए अखिलेश! यूपी में राहुल और अखिलेश मिलकर करेंगे साइकल की सवारी!
लखनऊ/नई दिल्ली – यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण कल पूरी तरह से बदल गए। चुनाव आयोग ने कल यानि सोमवार को बाप-बेटे की “साइकल” की जंग में बेटे को साइकल का नया हकदार बताया। चुनाव आयोग ने अखिलेश खेमे को पूरी तरह से खुश करते हुए साइकल चुनाव चिह्न के साथ समाजवादी पार्टी भी सौंप दी। चुनाव आयोग का फैसला आते ही कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना बढ़ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूपी में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस-आरएलडी के महागठबंधन की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है। Akhilesh yadav gets cycle.
अखिलेश को मिली साइकिल और मुलायम को निराशा –
चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी में पिछले कुछ दिन से जारी घमासान का अंत कर दिया। पार्टी और साइकिल चुनाव चिन्ह पर पिता मुलायम सिंह यादव या बेटे अखिलेश यादव का का अधिकार है, इसे लेकर काफी दिनों से खींच-तान चल रही थी। मामला चुनाव आयोग पहुंचा और कल फ़ैसला आया कि चुनाव चिन्ह और पार्टी पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का अधिकार है। कुछ दिन पहले ही अखिलेश यादव ने खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया था। जिसे मुलायम सिंह ने गैर-कानूनी करार दिया था।
अखिलेश मिलाएंगे कांग्रेस से हाथ, यूपी में होगा महागठबंधन –
पार्टी और पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकल पर कब्जे की लड़ाई में अखिलेश ने सबको मात दे दी। लेकिन, शायद अखिलेश के लिए चुनौतियां अब शुरु हुई हैं, क्योंकि अभी तक तो उनके साथ यूपी कि राजनीति के सर्वज्ञाता माने जाने वाले उनके पिता यानि मुलायम सिंह उनके साथ थे, लेकिन अब दोनों के रास्ते अलग हो गए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश के सामने अपने-आप को यूपी में एक बड़े सर्वमान्य नेता के तौर पर पेश करने की होगी चुनौती सबसे ज्यादा बड़ी है। इसके साथ ही कांग्रेस और आरएलडी का समाजदवादी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना भी बनने लगी है।
पार्टी खत्म! अब मुलायम-शिवपाल-अमर का क्या होगा –
बेटे अखिलेश से हारने के बाद मुलायम सिंह यादव गुट के सामने समाजवादी पार्टी में मार्गदर्शक की भूमिका में रहने का एकमात्र विकल्प नज़र आ रहा है। लेकिन, मुलायम सिंह यादव भाई शिवपाल यादव और अमर सिंह के साथ मिलकर इस फैसले को अदालत में चुनौती भी दे सकते हैं। इसके अलावा, मुलायम सिंह यादव के सामने दूसरा विकल्प यह है कि वे अपने समर्थकों के साथ एक अलग पार्टी बनाये और अलग चुनाव चिन्ह के साथ अखिलेश को चुनौती दें। तीसरा विकल्प यह है कि मुलायम सिंह का अखिलेश यादव के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए सरेंडर कर दें।