ममता के गढ़ पश्चिम बंगाल में चला ‘मोदी का मैजिक’, अब खतरे में है दीदी की गद्दी
उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक हर तरफ सिर्फ भगवा रंग ही नजर आ रहा है। चारों तरफ सिर्फ मोदीमय का ही नजारा देखने को मिल रहा है। मोदीमय के रंग में भारतीय राजनीति की दीदी यानि ममता का भी किला ध्वस्त हो गया। ममता के किले में सेंध लगाना किसी भी पार्टी के लिए मुमकिन नहीं था, लेकिन मोदी है तो मुमकिन है। जी हां, मोदी ने ममता दीदी के किले में सेंध लगाकर न सिर्फ उनसे सीटें छीनी, बल्कि उनका बीपी भी बढ़ा दिया है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
17वीं लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 सीटों के सहारे ममता बनर्जी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रही थी, जिसे बीजेपी ने चकनाचूर कर दिया। बीजेपी ने न सिर्फ ममता का पीएम बनने का सपना तोड़ा, बल्कि अब तो खतरा उनके मुख्यमंत्री बने रहने पर भी मंडरा रहा है। मतलब साफ है कि बीजेपी ने बंगाल में ममता दीदी से सबकुछ छीन लिया है, ऐसे में अब तिलमिलाई ममता दीदी का अगला कदम क्या होगा, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन ये तो सेमीफाइनल के नतीज़ें हैं, फाइनल तो अभी विधानसभा में दिखेगा।
ममता दीदी पर भारी पड़ी मोदी-शाह की जोड़ी
चुनावी नतीज़ों से पहले मोदी-शाह की जोड़ी यही कह रही थी कि बंगाल में तो अभी सेमीफाइनल चल रहा है, फाइनल तो विधानसभा में होगा। मतलब साफ है कि जिस तरह से लोकसभा में ममता दीदी के गढ़ में बीजेपी ने सेंध लगाई हैं, उससे तो यही साफ हो रहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए ममता दीदी की रातों की नींद भी गायब हो चुकी है। दरअसल, अब ममता दीदी को डर सताने लगा है कि कहीं मोदी-शाह की जोड़ी की वजह से उनकी सत्ता भी न चली जाई। बता दें कि इस बार बीजेपी बंगाल में 18 सीट जीतने में कामयाब रही, तो वहीं तृणमूल कांग्रेस को सिर्फ 22 सीटे ही मिली, बाकि दो बची सीट कांग्रेस के खेमे में आई।
बंगाल में ममता सरकार की उल्टी गिनती शुरु
बंगाल में लोकसभा चुनाव के नतीज़ें को देखकर बीजेपी काफी ज्यादा उत्साहित है, जिसकी वजह से तमान नेताओं का कहना है कि अब बंगाल में ममता सरकार की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। बीजेपी राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि नतीज़ों के ठीक 6 महीने बाद बंगाल में ममता की सरकार गिर जाएगी और वे बहुत ही जल्द पूर्व सीएम हो जाएंगी। हालांकि, यह बात कई बार अमित शाह और मोदी जी भी कह चुके हैं, जिससे वाकई ममता की टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि मोदी-शाह की जोड़ी जो कहती है, वह करके दिखा देती है।
अब क्या करेंगी ममता दीदी?
चुनावी नतीज़ों से एक बात तो साफ साफ नजर आ रही है कि सीपीएम और कांग्रेस के राजनीतिक हाशिए पर पहुंचने की वज़ह से तृणमूल कांग्रेस-विरोधी वोटरों को बीजेपी में ही बेहतर विकल्प नज़र आया, जिसकी वजह से खुल कर वोट किया गया। हालांकि, इसके बाद ममता बनर्जी के सामने अपना जनाधार मजबूत करने की बड़ी चुनौती हैं और एक बार फिर से वे बंगाल की जनता को अपने खेमे में करने का पूरा प्रयास करेंगी, जिसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकती हैं।