कहीं घर में कलेश, बीमारी, अशांति और आर्थिक तंगी का कारण आपके जूते-चप्पल तो नहीं, जानिए
कई घरों में खुशियां होने के बावजूद एक अलग सी उदासी नज़र आती है. अच्छी खबर आई नहीं कि लोगों की नज़र लग जाती है. अचानक से कोई ऐसी खबर मिल जायेगी जिसके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा. लोगों की नज़र लगना तो मात्र एक भ्रम है. असल में तो घर का वास्तुदोष इसका मुख्य कारण होता है. वास्तुदोष के चलते घर में नकरात्मक उर्जा फैल जाती है. घर के लोगों के साथ कुछ न कुछ अप्रिय घटना होती रहती है. नकरात्मक और सकरात्मक उर्जा का महत्व हमें वास्तु शास्त्र या वास्तु विज्ञान में जानने को मिलता है. वास्तु शास्त्र में अनेकों ऐसे उपाय बताये गए हैं जिन्हें अपनाकर आप घर की नकारात्मकता या वास्तुदोष को दूर कर सकते हैं. सकरात्मक उर्जा घर में खुशहाली लेकर आती है. इसके विपरीत नकारात्मक उर्जा दुख और बीमारियों को बढ़ाती है. घर की यही ख़राब स्थिति घर में वास्तुदोष उत्पन्न करती है. कई लोगों को तो यह पता भी नहीं होता कि उनके घर में वास्तु दोष है. वह इस बात से अनजान रहते हैं और उनके घर का वातावरण हमेशा ख़राब रहता है. क्या आप जानते हैं रोज़ाना इस्तेमाल होने वाले जूते-चप्पल भी नकरात्मक उर्जा का कारण हो सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि भला ये कैसे संभव है. तो चलिए हम आपको बताते हैं.
जूतों-चप्पल से आती है नकरात्मकता
अक्सर बाहर जाते समय हम जूतों-चप्पलों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन जब हम घर के भीतर वहीं जूते-चप्पल पहनकर आते हैं तो बाहर की नकरात्मक उर्जा भी जूते-चप्पलों के जरिये घर में प्रवेश कर जाती है. इस वजह से घर में बीमारी, कलेश, दरिद्रता, अशांति हावी होने लगती है. इसलिए घर में प्रवेश करते समय हमेशा जूतों-चप्पलों को बाहर उतार देना चाहिए. उन्हें ऐसी जगह रखना चाहिए जहां से गंदगी पूरे घर में न फैले. इसके अलावा, घर से बाहर भी इन्हें व्यवस्थित ढंग से रखना चाहिए. इधर-उधर बिखरे जूते भी घर में वास्तुदोष उत्पन्न करते हैं. यदि घर में आपको चप्पल पहनने की आदत है तो घर की चप्पल को अलग रखें. एक ऐसी चप्पल आप घर में इस्तेमाल करें जिसका इस्तेमाल केवल घर के भीतर ही होता है. ऐसा करने से बाहर की नकरात्मकता कभी घर के अंदर नहीं आएगी.
घर के वातावरण पर प्रभाव
ऋषि मुनियों और ज्ञानियों ने भी घर के अंदर गंदे जूते-चप्पल पहनकर जाने की बात नहीं कही है. उनके अनुसार गंदे जूते घर के अंदर लाने से घर का वातावरण ख़राब होता है और गंदगी फैलती है. वहीं, हिंदू मान्यताओं के अनुसार घर किसी मंदिर से कम नहीं होता. इसे एक पवित्र स्थान का दर्जा मिला हुआ है. जिस तरह पवित्र स्थानों पर जूते-चप्पल पहनकर जाने को उचित नहीं माना जाता उसी तरह घर के भीतर भी चप्पल ले जाना सही नहीं है.
वैज्ञानिक कारण
यूनिवर्सिटी ऑफ़ एरिजोना की स्टडी के अनुसार, जूतों-चप्पलों में 421 हजार बैक्टीरिया होते हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत हमारे खाने और पानी के साथ मिल जाते हैं. इसके अलावा यह भी बात सामने आई है कि हमारे जूतों-चप्पलों में 7 अलग-अलग तरह के 27 प्रतिशत बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जो हमारे पाचन तंत्र से लेकर श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं.
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