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जीवन में वो ही मनुष्य कामयाब हो सकता है, जो अपने लक्ष्य से नहीं भटकता है
मेवाड़ राज्य का एक राजा हुआ करता था और इस राजा को अपने राज्य की जनता से काफी प्यार था। ये राजा सदा अपने राज्य की उन्नती के बारे में ही सोचता था। ये राजा अविवाहित था और राजा की कोई भी संतान नहीं थी। जैसे ये राजा बूढ़ा होने लगा, राजा को इस बात की चिंता होने लगी की मेवाड़ राज्य का ध्यान इनके बाद कौन रखेगा। राजा ने एक दिन अपने गुरु को अपने राजमहल में बुलाया और अपने गुरु से कहा, मैं इस चिंता में हूं की मेरे बाद इस राज्य का राजा कौन होगा। गुरु ने राजा से कहा, तुम अपने राज्य की जनता में से ही किसी को अपना उत्तराधिकारी चुन लो।
राजा ने अपने गुरु की बात को मान लिया और अपने मंत्री को आदेश दिया कि वो राज्य की जनता तक ये संदेश पहुंचा दे कि कल जो भी सुबह सबसे पहले आकर मुझसे मिलेगा। मैं उसे इस राज्य राजा बना दूंगा। मंत्री ने राजा की ये बात सुनकर कहा, महाराज ऐसा कैसे हो सकता है। राज्य का हर निवासी राजा बनना चाहता है और सुबह एक साथ पूरी राज्य की जनता आप से मिलने के लिए राजमहल आ जाएगी। ऐसे में आप किस तरह से सही उत्तराधिकारी का चुनाव करेंगे। राजा ने अपने मंत्री से कहा आप इस चीज की चिंता ना करें क्योंकि कल केवल योग्य व्यक्ति ही इस राजमहल में आ सकेगा और मेरे से मिल सकेगा।
मंत्री ने राजा का दिया हुआ संदेश पूरे राज्य में फैला दिया। जिसके बाद राज्य का हर आदमी सुबह का इंतजार करने लग गए। वहीं जैसे ही सुबह हुई हर कोई राजमहल की और भागने लगा। लेकिन रास्ते में राजा ने एक मेले का आयोजन कर रखा था। इस मेले में तरह तरह की शराब, कपड़े, नृत्य और स्वाष्टि खाना मुफ्त में दिया जा रहा था। राज्य की जनता इस मेले में मुफ्त में मिल रही चीजों को इकट्ठा करने लग गई और राजमहल में जाने के लक्ष्य को भूल गई। हालांकि राज्य का एक युवक राजा की और से बिछाए गए मेले के जाल में नहीं फसा और वो राजमहल चले गया। राजमहल पहुंचने पर उस युवक को सिपाही ने राजा से मिलने की अनुमित नहीं दी। लेकिन इस युवक ने अपनी चतुराई से काम लिया और सिपाहियों से कहा, मैं इस राज्य का उत्तराधिकारी बनने जा रहा हूं और तुम मुझे रोककर अपने लिए परेशानी पैदा कर रहे हो। युवक की बात सुनकर सिपाहियों ने उसे राजमहल में जाने दिया। वहीं इस युवक को देख राजा खुश हो गए और राजा ने इस युवक को अपना उत्तराधिकारी बनाने की घोषण कर दी।
कहानी से मिली सीख
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन में कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए। जिस तरह से इस युवक ने किसी भी प्रलोभन में ना फंसकर केवल अपने लक्ष्य की और ध्यान दिया, उसी तरह से हमें भी अपने जीवन में केवल अपने लक्ष्य पर ही ध्यान देने चाहिए।