साधु और नर्तकी की कहानी: हम जो भी काम करें, उसके पीछे हमारी नियत हमेशा नेक ही होनी चाहिए
एक गांव में एक साधु रहा करता था और ये साधु हर रोज शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर लोगों को उपदेश देने का कार्य किया करता था। इस साधु के उपदेशों को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। साधु अपने इन उपदेशों के जरिए लोगों को जीवन में सही मार्ग चुनने और कर्म पर विश्वास करने की सीख देता था। वहीं कुछ समय बाद इस गांव में एक नर्तकी भी आकर रहने लगी। ये नर्तकी पैसे कमाने के लिए हर शाम नृत्य किया करती थी। इस नर्तकी का नृत्य देखने के लिए लोगों की लंबी-लंबी लाइन लग जाती थी।
नर्तकी के गांव में आने के कारण लोगों ने शाम के समय साधु के पास जाकर उपदेश सुनना बंद कर दिया। एक दिन साधु ने उनका उपदेश सुनने आए एक व्यक्ति से पूछा की आजकल शाम के समय क्यों कम लोग उपदेश सुनने के लिए आ रहे हैं। तब उस व्यक्ति ने बताया कि इस गांव में एक नर्तकी आई है और वो हर शाम नृत्य किया करती थी। गांव के लोग उसका नृत्य देखने के लिए जाया करते हैं। जिसकी वजह से कम ही लोग उपदेश सुनने के लिए आपके पास आजकल आ रहे हैं।
एक साल ऐसे ही बीत गया और गांव में नर्तकी धीरे धीरे काफी प्रसिद्ध हो गई। हर जगह केवल नर्तकी की ही चर्चा होने लगी। वहीं एक दिन गांव में काफी भयानक तूफान आ गया और इस तूफान की चपेट में आकर साधु और नर्तकी की मौत हो गई। मरने के बाद ये दोनों एक साथ यमलोग पहुंचे। यमलोग जाकर ये दोनों इस चीज का इंतजार करने लगे की इनको स्वर्ग नसीब होगा कि नरक। हालांकि साधु को अपने कर्मों पर काफी यकीन था और उसने अपने मन में ये सोच लिया था कि उसको तो स्वर्ग ही नसीब होने वाला है। जबकि नर्तकी को नरक मिलने वाला है।
थोड़ी देर बाद यमराज इन दोनों के पास आते हैं और अपने एक सेवक से कहते हैं कि साधु को नरक में भेज दो और नर्तकी को स्वर्ग में। यमराज की ये बात सुन साधु हैरान रहे जाता है और तुरंत यमराज से पूछता है कि ऐसा कैसे हो सकता है। मैं लोगों को सही मार्ग दिखाने का कार्य किया करता था और ये लोगों के सामने नाचने का, तो इसे स्वर्ग और मुझे नरक कैसे मिल सकता है? यमराज साधु से कहते हैं, जब भी तुम लोगों को उपदेश दिया करते थे तो सच्चे मन से नहीं देते थे और ना ही उन उपदेशों का खुद पालन किया करते थे। तुम लोगों के सामने अच्छा बनने के लिए नेक कार्य किया करते थे। तुमने अपने जीवन में कोई भी अच्छा कार्य मन से नहीं किया हुआ है। जबकि इस नर्तकी ने अपने जीवन में बिना किसी स्वार्थ के नेक कार्य कर रखे हैं और ये नर्तकी अपने सच्चे मन से नाचती थी।
कहानी से मिली शिक्षा : हम जो भी काम करें, उसके पीछे हमारी नियत हमेशा नेक ही होनी चाहिए। क्योंकि सच्चे मन से किए गए कर्मों का ही फल हमें मिलता है।