अध्यात्म

क्या लुप्त हो जाएगा बद्रीनाथ धाम, जानें बद्रीनाथ धाम के लुप्त होने से जुड़ा रहस्य

चार धामों में से एक धाम बद्रीनाथ है जो कि नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है। बद्रीनाथ धाम करीब 2,000 वर्ष से भी अधिक पुराना तीर्थ स्थल है और ऐसा कहा जाता है कि इसकी स्थापना सतयुग में नारायण द्वारा की गई थी। बद्रीनाथ को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। हालांकि भगवान विष्णु से पहले बद्रीनाथ धाम शिव और पार्वती मां का निवास स्थान हुआ करता था।

इस तरह से बनाया विष्णु जी ने बद्रीनाथ को अपने निवास स्थान-

ऐसा कहा जाता है कि उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ पहले शिव जी और पार्वती मां का निवास स्थान हुआ करता था। लेकिन एक दिन भगवान विष्णु जी विश्राम के लिए एक स्थान की खोज कर रहे थे। उसी दौरान भगवान विष्णु जी बद्रीनाथ आते हैं। बद्रीनाथ विष्णु जी को पसंद आ जाता है और वो सोच लेते हैं कि वो इस जगह को ही अपना विश्राम स्थल बनाएंगे। लेकिन इस जगह पर पहले से ही शिव जी और पार्वती जी रहा करते थे और ऐसे में विष्णु जी इस चिंता में पड़ गए की वो किसी तरह से इस जगह को अपने निवास स्थान बनाएं।

लिया बच्चे का रूप

बद्रीनाथ को अपना निवास स्थान बनाने के लिए विष्णु जी ने एक बच्चे का रूप ले लिया और वो शिव जी और पार्वती मां के निवास स्थल के बाहर रोने लगे। विष्णु जी के बाल रूप को रोता देख पार्वती मां उनको गोद में लेने लगी। मगर शिव जी ने पार्वती मां को ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन पार्वती मां नहीं मानी और वो विष्णु जी के बाल रूप को अपने घर ले आई और उन्हें मां की तरह प्यार देने लगी।

वहीं एक दिन शिव और पार्वती जी किसी कार्य के चलते बाहर चले जाते हैं और जब वो वापस आते हैं, तो उन्हें अपने घर का दरवाजा बंद मिलता है। जिसके बाद पार्वती मां शिव जी से पूछती है कि हमारे घर के दरवाजे अंदर से क्यों बंद हैं? तब शिव जी पार्वती मां को बताते हैं कि उनके बालक ने घर को अंदर से बंद कर दिया है और ये बालक विष्णु जी हैं और उन्होंने बद्रीनाथ को अपना निवास स्थान बना लिया है। इसके बाद शिव जी और पार्वती मां बद्रीनाथ को छोड़ कर केदारनाथ चले गए और इस जगह को अपना निवास स्थान बना लिया।

जल्द ही लुप्त हो जाएगा बद्रीनाथ धाम और केदारेश्वर

पुराणों के अनुसार नर और नारायण पर्वत के बीच में स्थित बद्रीनाथ धाम आने वाले समय में लुप्त हो जाएगा। पुराणों में बद्रीनाथ धाम और केदारेश्वर (केदारनाथ) के बारे में लिखा गया है कि, जब नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे तब ये दोनों धाम पूरी तरह से लुप्त हो जाएंगे। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि जिस दिन जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान की मूर्ति का एक हाथ लुप्त हो जाएगा, उस दौरान ब्रद्रीनाथ और केदारनाथ भी लुप्त होना शुरू हो जाएंगे और इनके लुप्त होने के कई वर्षों बाद इन दोनों धामों की जगह भविष्यबद्री नामक धाम का उद्गम होगा।

 

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