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राजा कृष्णदेव राय और माली की कहानी: इंसान को जीवन में सदा शांत दिमाग से ही फैसला लेने चाहिए

राजा कृष्णदेव राय को एक बार उनका दोस्त एक सुनहरे रंग के फूल का पौधा भेंट के रूप में देता है। कृष्णदेव राय को ये फूल काफी पंसद आता है और वो अपने राज्य के माली को बुलाकर उसे आदेश देते हैं कि वो इस सुनहरे रंग के फूल के पौधे को बाग में लगा दें और इस पौधे की दिन रात देखभाल करें। माली राजा की बात मानकर उस पौधे को बाग के बीचों बीच लगा देता है। कुछ दिनों बाद इस पौधे में कई सारे सुनहरे फूल खिल जाते हैं और इन फूलों को देखकर राजा खुश हो जाते हैं। लेकिन एक दिन माली की बकरी बाग में आकर इन फूलों को खा जाती हैं।

राजा कृष्णदेव राय को जैसे ही ये पता चलता है कि उनके फूल नष्ट हो गए हैं तो वो माली को दरबार में बुलाकर मौत की सजा सुना देते हैं। माली राजा से खूब माफी मांगता है मगर कृष्णदेव राय का गुस्सा शांत नहीं होता है और वो बिना माली की बात को सुने उसे मौत की सजा दे देते हैं। माली की पत्नी को जैसे ही ये बात पता लगता है वो तुरंत राजमहल जाकर राजा कृष्णदेव राय से अपने पति की रिहाई की मांग करने लग जाती है। लेकिन कृष्णदेव राय बेहद ही गुस्से में होते हैं और वो माली की पत्नी की एक भी बात नहीं सुनते हैं। तभी राजा कृष्णदेव राय का एक मंत्री माली की पत्नी से कहता है कि वो तेनालीराम के पास जाएं। केवल तेनालीराम ही राजा कृष्णदेव राय के फैसले को बदलवा सकते हैं। माली की पत्नी तुरंत तेनालीराम के घर जाती हैं और उन्हें पूरी घटना की जानकारी देती हैं। जिसके बाद तेनालीराम माली की पत्नी को एक सलाह देते हैं।

माली की पत्नी बीच बाजार में अपनी बकरी को मारने लग जाती है बकरी पर इतना जुल्म होते देख राजा कृष्णदेव राय के सिपाही माली की पत्नी को रोकने की खूब कोशिश करते हैं। लेकिन माली की पत्नी फिर भी नहीं मानती हैं और अपनी बकरी को लगातार मारती रहती हैं। ये खबर किसी तरह से राजा कृष्णदेव राय के पास पहुंच जाती हैं और राजा कृष्णदेव राय बाजार में जाकर माली की पत्नी को ऐसा करने के लिए मना करते हैं। लेकिन माली की पत्नी राजा कृष्णदेव राय से कहते हैं कि इस बकरी के कारण ही आज उसके पति को फांसी की सजा दी गई है और मैं इस बकरी को भी मार दूंगी। राजा कृष्णदेव राय माली की पत्नी से पूछते हैं कि आखिर इस बकरी के कारण तुम्हारे पति को कैसे फांसी की सजा दी गई है। तब माली की पत्नी राजा कृष्णदेव राय को बताती हैं कि इस बकरी ने ही उनके बाग में लगे सुनहरे फूलों को खाया था और इसकी वजह से ही उसके पति को मौत की सजा दी गई है। पूरी बात जानने के बाद राजा कृष्णदेव राय को अपनी गलती का एहसास होता है और वो तुरंत माली को रिहा करवा देते हैं।

अगले दिन जब तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय के दरबार में आता है तो कृष्णदेव राय तेनालीराम से ये पूछते हैं कि क्या तुमने माली की पत्नी को बीच बाजार में बकरी को मारे की सुझाव दिया था ? राजा की बात सुन तेनालीराम हंसते हुए बोलते हैं, आप फूलों के नष्ट होने से इतने गुस्से में थे कि किसी की भी बात को नहीं सुन रहे थे और आप तक माली की पत्नी की बात पहुंचाने के लिए मैंने ही उसे बकरी को मारने की सलाह दी थी। तेनालीराम की ये बात सुन कृष्णदेव राय तेनालीराम को शुक्रिया अदा करते हुए कहते हैं, मैंने गुस्से में आकर एक गलत फैसला लिया था और तुमने मुझे इस गलत फैसला से बचा लिया।

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