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रोज गरीब बच्चों को फूटपाथ पर फ्री ट्यूशन देता हैं ये शख्स, इनसे पढ़ बच्चे करते हैं टॉप

पढ़ाई लिखाई हर व्यक्ति के जीवन का जरूरी हिस्सा होती हैं. आपका नॉलेज ही आपका भविष्य निर्धारित करता हैं. इसलिए हम सभी अपने बच्चों को स्कूल जरूर भेजते हैं. हम सभी की कोशिश यही होती हैं कि हमारे बच्चे अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़े ताकि वे ज्यादा होनहार और स्मार्ट बन सके. लेकिन हर किसी को इन अच्छे स्कूल में पढ़ना नसीब नहीं होता हैं. गरीब बच्चों की बात करे तो वे सरकारी स्कूल जाते हैं. इनमे से कुछ तो यहाँ भी नहीं जाते हैं. अब सरकारी स्कूल की हालत कैसी हैं आप सभी को तो पता ही हैं. इसलिए इनमे पढ़ने वाले कई बच्चे स्कूल जाकर भी अनपढ़ या कमजोर रह जाते हैं. अब इन गरीब बच्चों के पास इतना पैसा भी नहीं हैं कि ये ट्यूशन लगवा ले. ऐसे में कुछ नेक बंदे भी होते हैं जो इन गरीबो को फ्री में ट्यूशन पढ़ा देते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक 65 वर्षीय व्यक्ति से मिलाने जा रहे हैं जो फूटपाथ पर स्लम में रहने वाले बच्चों को पढ़ाता हैं.

इनसे मिलिए. ये हैं 65 साल के कमलभाई परमार. ये अहमदाबाद के भुदरपूरा क्षेत्र में रोजाना शाम 150 से ज्यादा बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम करते हैं. कमलभाई ये काम पिछले 15 सालों से करते आ रहे हैं. इस फूटपाथ स्कूल में बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ फ्री डिनर भी दिया जाता हैं. आपको जान हैरानी होगी कि इन बच्चों को पढ़ाने वाले कमाल्भाई खुद एक स्कूल ड्रापआउट हैं. लेकिन इसके बावजूद ये इन बच्चो को सही दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं.

ऐसे मिली प्रेरणा

कमलभाई ऑटो चलाने का काम करते हैं. इनकी भुदरपूरा के स्लम एरिया के पास एक फेब्रिकेशन की दूकान भी हैं. आज से करीब 15 साल पहले एक दिन उन्होंने देखा कि बच्चों का एक समूह सरकारी स्कूल से वार्षिक परीक्षा देकर आ रहा हैं. जब कमलभाई ने इन बच्चों से बात कर तो वे हैरान रह गए. ये बच्चे आंठवी क्लास में पढ़ते थे लेकिन इन्हें पढ़ना या लिखना भी नहीं आता था. इस घटना के बाद उन्होंने इसी एरिया में एक सावरे किया जिसमे पाया कि सिर्फ पांच बच्चे ही ऐसे थे जिन्हें पढ़ना या लिखना आता था. बस यही वो पल था जब उन्होंने इन बच्चों को ज्यादा शिक्षित करने के लिए फ्री कोचिंग क्लास देने का मन बना लिया.

हर शाम लगती हैं फूटपाथ पर क्लास

उन्होंने अपनी कोचिंग के लिए शाम 5:30 का समय चुना. इस समय वे भी अपने काम से फ्री हो जाते थे और बच्चे भी स्कूल से आ जाते थे. ये उसी एरिया में फूटपाथ पर ही बच्चों को पढ़ाने लगे. शुरुआत में यहाँ पढ़ने सिर्फ 10 बच्चे आते थे लेकिन फिर धीरे धीरे इनकी संख्या बढ़कर 150 से ज्यादा हो गई. यहाँ बच्चों को सबकुछ पढ़ाया जाता हैं. मसलन बेसिक अल्फाबेट लिखने से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तक की टिप्स दी जाती हैं. कमलभाई से सब पूछा गया कि ये सब कर उन्हें क्या मिलता हैं तो वो सीना चौड़ा कर कहते हैं कि “मेरा इनाम बस यही हैं कि ये बच्चे पूर्ण आत्मविशवास के साथ अपने पैरो पर खड़े होकर उन बच्चो की भी बराबरी कर सकते हैं जो अच्छे परिवार से आते हैं”

विश्वभर में हुए चर्चे

अपने इस नेक काम की वजह से कमलभाई को वैश्विक स्तर तक अटेंशन मिली हैं. हाल ही में फ़्रांस के Lycee International St. Germain en Laye नामक स्कूल के स्टूडेंट ने इन बच्चों को पढ़ाने की पेशकश राखी थी. कमलभाई को अपनी इस अच्छे कृत्य की वजह से साल 2009 में ‘धरती रत्न’ अवार्ड से भी नवाज़ा गया था.

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