नेहरू और जिन्ना थे एडविना माउंटबेटन के 2 प्रेमी ! जानिए कैसे भारत विभाजन का मुख्य कारण थी ये लव स्टोरी!
आप एक बार Daughter of Empire पुस्तक को पढ़ते हैं तो इस प्रेम कहानी का सारा सच जान जायेंगे.
आज तक पंडित नेहरू पर यह आरोप लगते आये हैं कि एडविना माउंटबेटन के प्यार में नेहरू इस कदर पागल थे कि कई मौकों पर उन्होंने देश का अच्छा-बुरा भी सोचना छोड़ दिया था.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और लेडी एडविना माउंटबेटन के बीच यौन संबंध नहीं थे. दोनों के बीच आध्यात्मिक और बौद्धिक रिश्ता था. दोनों के बीच गहरा आकर्षण था. दो शरीर एक आत्मा की तरह – यह कहना है लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला का.
पामेला ने अपनी पुस्तक डॉटर्स ऑफ एम्पायर में इस बात का खुलासा किया है.
( सबूत के लिए पढ़ें डॉटर्स ऑफ एम्पायर )
एडविना माउंटबेटन कौन थीं?
भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी का ही नाम एडविना माउंटबेटन है.
बड़ी चालाकी से यह स्त्री नेहरू के करीब रहती थी ताकि नेहरू से वह अपनी बातें मनवा सके. अब जब खुद एडविना माउंटबेटन की बेटी ने इस लव स्टोरी का खुलासा किया है तो हमें कोई और सबूत देने की आवश्यकता शायद नहीं है. इतना तो सिद्ध हो गया है कि एडविना माउंटबेटन और नेहरू के बीच मोहब्बत चल रही थी.
एडविना माउंटबेटन बनी भारत के विभाजन का कारण
(सबूत की पहले बात करें तो आप आर्य जितेन्द्र की पुस्तक ‘विष कन्या जरूर पढ़ें’.)
यह पुस्तक बताती है कि लन्दन हेरिस कालेज में तीन लोग साथ पढ़ते थे.
जवाहरलाल नेहरू – मोहम्मद जिन्ना और एडविना माउंटबेटन.
तीनों इंग्लैंड के एक ही कालेज में थे. कालेज के कुछ ऐसे दस्तावेज कुछ लेखकों के पास हैं, जो यह साबित करते हैं कि एडविना माउंटबेटन सुबह नेहरू से मिलती थीं और शाम को मोहम्मद अली जिन्ना से वह डेट करती थीं. यह खुलासा स्वर्गीय राजीव दीक्षित करते थे. आप आज भी इनके लेख पढ़ सकते हैं.
अब जब लॉर्ड माउंटबेटन भारत आये तो उनके साथ-साथ एडविना माउंटबेटन को भी इनकी पत्नी बनाकर भारत भेज दिया था.
लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी डायरी में खुलासा किया था कि वह कभी भी पत्नी एडविना के साथ बिस्तर पर नहीं गये थे. असल में यह स्त्री सिर्फ और सिर्फ नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना के लिए भेजी गयी थी.
अंग्रेज नेहरु और जिन्ना की कमजोरी जानते थे. वह जानते थे कि दोनों एक ही औरत से प्यार करते हैं. मोहम्मद अली जिन्ना तो खुलेआम कई चीजों के लिए बदनाम था और उस समय में मुसलमान भाई, इसको अपना नेता नहीं मानते थे. भला एक सच्चा मुसलमान शराब कैसे पी सकता था?