ये काम करोगे तो कभी नहीं होगी सास-बहू के बीच लड़ाई, यकीन नहीं तो आजमा ले
इस दुनियां में शायद ही कोई सास बहू होगी जिनकी आपस में खूब अच्छी पटती हो. आमतौर पर लगभग सभी घरों में सास बहू के बीच अनबन जरूर होती हैं. रिश्तों में आई ये खटास छोटी मोटी हो तो फिर भी चलता हैं लेकिन यदि लड़ाई झगड़ा कुछ ज्यादा ही बढ़ जाए और दोनों एक दुसरे से नफरत करने लगे तो घर में अशांति का माहोल रहता हैं. ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा हैं कि आखिर वो क्या वजह होती हैं जो अधिकतर मामलो में सास बहू के बीच नहीं बनती हैं. और हम ऐसा क्या कर सकते हैं कि इनके बीच होने वाली तू तू मैं मैं कम या पूरी तरह से बंद हो जाए. आपके इन सभी सवालो का जवाब आज हम देंगे.
बेटे और पति के प्रेम का बराबर बंटवारा
काफी हद तक ये बात भी सही हैं कि सास बहू के बीच जलन और लड़ाई झगड़े का अधिकतर मामलो में कारण आपका पति यानी सास का बेटा बनता हैं. जब लड़के की शादी होती हैं तो वो अपनी बीवी के ज्यादा करीब चला जाता हैं इस बात से एक माँ का दिल खट्टा हो जाता हैं. वहीं यदि वो अपनी माँ को ज्यादा महत्त्व देने लगे और उसकी हर बात मानने लगे तो बीवी नाराज़ हो जाती हैं. ऐसे में सास और बहू दोनों को ही एक दुसरे की भावना और बेटे या पति को लेकर उनके प्रेम को समझना चाहिए. यदि आप ने इस चीज को लेकर आपस में सामंजस्य बैठा लिया तो आपकी आधी से ज्यादा प्रॉब्लम यूं ही ख़त्म हो जाएगी.
एक दुसरे की सोच की रिस्पेक्ट
बहू और सास की उम्र में फासला होने के कारण दोनों की सोच में भी जमीन और आसमान का अंतर होता हैं. जहाँ एक तरफ बहू मॉडर्न ख्यालों वाली होती हैं तो वहीं दूसरी और सांस के विचार थोड़े पुराने टाइप के हो सकते हैं. अब आप किसी की भी सोच और लाइफस्टाइल को एक दिन में बदल नहीं सकते हैं. इसलिए दोनों को चाहिए कि वे कोई बीच का रास्ता निकाले. यदि दोनों एक दुसरे के विचारों का आदर करने लगेंगे तो लड़ाई झगड़े का कारण ही नहीं मिलेगा.
प्यार दे, प्यार ले
ये बहुत ही सिंपल सा कांसेप्ट हैं. यदि आप किसी व्यक्ति से प्रेम पूर्वक बात करेंगे और उसे खूब प्यार देंगे तो जाहिर सी बात हैं सामने वाला भी आपको पसंद करने लगेगा. इसलिए एक सास को बहू को बेटी, एवं एक बहू को सास को माँ मान लेना चाहिए. दोनों के बीच स्नेह रहेगा तो लड़ाई झगड़े नहीं होंगे और दोनों एक दुसरे की मांग भी ख़ुशी ख़ुशी पूरी करेंगे.
केयरिंग
कहते हैं दुःख की घड़ी में अपने ही काम आते हैं. जब किसी का बुरा समय चल रहा हो और आप उसकी सहायता कर दे तो वो व्यक्ति आपका एहसान कभी नहीं भूलता हैं. बस सास बहू भी इसी पैतरे का इस्तेमाल एक दुसरे का विश्वास जितने और संबंधों में सुधार लाने में कर सकती हैं. मसलन अपनी सास या बहू की छोटी छोटी बातों का ध्यान रखना, वो बीमार पड़ जाए तो उनकी दिल से सेवा करना इत्यादि.