एक चोर और उसके बेटे की कहानी: जीवन में ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है
नरेश नामक का एक आदमी अपने बेटे के साथ रहा करता था। अपने बेटे की पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए नरेश चोरी किया करता था। नरेश ने अपने बेटे का दाखिल काफी बड़े स्कूल में करवा रखा था ताकि उसके बेटे को अच्छी शिक्षा मिल सके। लेकिन पैसों की कमी के कारण नरेश अपने बेटे को सिर्फ 12 वीं क्लास तक ही पढ़ा पाया। 12 वीं क्लास की परीक्षा पास करने के बाद नरेश का बेटा नौकरी की तलाश में लग गया। मगर कम पढ़ाई की वजह से और पिता के चोर होने के कारण कोई भी उसे नौकरी पर नहीं रख रहा था।
नौकरी ना मिलने की वजह से नरेश का बेटा काफी दुखी रहने लगा और हमेशा उदास ही बैठा रहता था। अपने बेटे को बेरोजगार देख नरेश ने सोचा क्यों ना मैं इसे चोरी करना सीखा दूं। नरेश ने अपने बेटे से कहा तुम मेरे साथ आज रात को चोरी करने चलना। मैं तुम्हें चोरी करना सीखा दूंगा। चोरी करने से हमे जो पैसे मिलेंगे उनसे हमारा गुजारा अच्छे से हो जाएगा।
नरेश का बेटा अपने पिता के साथ चोरी करने के लिए राजी हो गया। रात होते ही नरेश अपने बेटे के साथ चोरी करने के लिए निकल पड़ा। नरेश अपने बेटे को उस घर के पास ले गया जहां पर वो अक्सर चोरी किया करता था। नरेश अपने बेटे से कहता है कि जिस घर में लाइट जल रही है ये वही घर है जहां पर मैंने कई बार चोरी की है। मैं जब भी इस घर से चोरी करता हूं, मुझे खूब सारे पैसे मिलते हैं। इस घर में कभी भी पैसों की कमी नहीं होती है। ये बात सुनने के बाद नरेश का बेटा बड़ी गौर से उस घर को देखने लग जाता है।
कुछ देर बाद नरेश अपने बेटे से कहता है लगता है सभी लोग सो गए हैं। अब हम घर में घुसकर चोरी कर सकते हैं। लेकिन नरेश का बेटा किसी गहरी सोच में डूबा होता है और वो अपने पिता की बातों पर ध्यान नहीं देता है। तभी नरेश अपने बेटे से पूछता है क्या हुआ तुम किस सोच में डूबे हुए हो। तब वो अपने पिता से कहता है आप ने इस घर में ना जानें कितनी बार चोरी की है। मगर ये घर आज भी रोशन है। आपके चोरी करने से इस घर की रोशनी कभी भी कम नहीं हुई। क्योंकि इस घर में रहने वाले लोग मेहनत किया करते हैं। मेहनत और ईमानदारी की कमाई की वजह से इनका घर आज भी रोशन है। जबकि बेईमानी की कमाई की वजह से हमारे घर में पहले भी अंधकार था और आज भी अंधकार है। मैं चोरी नहीं करूंगा और अपने जीवन में ईमानदारी और मेहनत से ही पैसे कमाऊंगा। अपने बेटे की बात सुन नरेश को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो समझ गया की जीवन में मेहनत और ईमानदारी की कमाई से बड़ी और कोई भी चीज नहीं है। जो इंसान मेहनत करते हैं वो ही अपने जीवन में कामयाब हो पाते हैं।