बिना दुल्हन के शख्स ने रचाई शादी, दूल्हा बन किए दिल के हर अरमान पुरे
इन दिनों पुरे देश में शादी ब्याह का माहोल जोरो शोरो से चल रहा हैं. जहाँ देखो वहां शादी के मंडप सजते हुए दिखाई दे रहे हैं. किसी भी शादी में दो मुख्य आकर्षण होते हैं दुल्हा और दुल्हन. इन्ही दोनों को आने वाले शादीशुदा जीवन की बधाई देने कई मेहमान आते हैं. शादी का ये पूरा जश्न दुल्हा दुल्हन के ईद गिद ही घूमता हैं. लेकिन क्या आप ने कभी ऐसी शादी देखी हैं जिसमे दूल्हा तो हैं लेकिन दुल्हन का नामो निशान तक नहीं हैं. यक़ीनन इस तरह की शादी देखना तो दूर हम इस बारे में सोच भी नहीं सकते हैं. लेकिन गुजरात के साबरकांठा जिले में एक शख्स ने बिना दुल्हन के ही शादी रचा कर सबको हैरान कर दिया. इस अनोखी शादी में दुल्हा घोड़े पर बैठ पुरे गाँव घुमा, लेकिन मंडप में दुल्हन थी ही नहीं. दरअसल इस शख्स ने बिना दुल्हन के शादी करने की प्लानिंग पहले से ही कर रखी थी. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि भला इसने ऐसा क्यों किया होगा? तो चलिए इस पुरे मामले को विस्तार से जान लेते हैं.
गुजरात के हिम्मतनगर तालुका के चांपलानार गांव का रहने वाला अजय उर्फ़ पोपट का बचपन से बस यही सपना था कि उसकी भी शादी हो और वो घोड़े के ऊपर बैठ पुरे गाँव में घुमे. गाँव में जब भी किसी की शादी होती थी तो अजय वहां पहुँच जाता था. उसे ये नज़ारा देख बड़ा आनंद आता था. वो इन शादियों में नाचा गाया भी करता था. लेकिन उसका ये सपना पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा था. दरअसल अजय एक दिव्यांग हैं. इस वजह से उसकी शादी नहीं हो पा रही थी. ऐसे में वो अक्सर अपने पिता से पूछा करता था कि वो कब दुल्हा बनेगा, कब घोड़ी पर चडेगा? उसके इन सवालों का पिता के पास कोई जवाब नहीं होता था. उसके अरमान सुन सौतेली माँ की आँखों से भी आंसूं झलक आते थे.
अब चुकी अजय को ये सपना पूरा करना था और इस रास्ते में दुल्हन का ना मिलना ही बाधा बन रहा था, इसलिए उसने बिना दुल्हन के ही अपना स्वयं का एक शादी समारोह करने का विचार बनाया. उसके इस सपने को पूरा करने के लिए अजय के पिता और एवं मामा ने पूर्ण सहयोग किया. अजय की शादी के लिए बकायदा कार्ड भी छापवाए गए. इसके बाद शादी वाले दिन उसने दुल्हे की ड्रेस पहनी और घोड़े पर चढ़ पूरा गाँव घूम लिया. इस बारात के दौरान खूब मस्ती और नाच गाना हुआ. बैंड बाजे भी बजे गए. ये एक तरह से अजय का दुल्हे के रूप में जुलुस था. क्योंकि इसके बाद 7 फेरे लेने के लिए दुल्हन तो थी ही नहीं.
उधर गाँव वालो ने इस तरह की अनोखी शादी पहली बार देखी. उन्हें इस बात की ख़ुशी हुई कि इस तरीके से ही सही लेकिन दिव्यांग अजय का सपना पूरा हो गया. अब अजय की क़िस्म में शायद दुल्हन ना हो लेकिन उसने अपना शादी समारोह का सपना जरूर पूरा कर लिया. हम भी अजय के लिए काफी खुश हैं.