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2 कमरे के मकान में रहकर की इन 4 भाई-बहनों ने पढ़ाई, आज सभी हैं IAS-PCS ऑफिसर

जब इंसान को करियर में कुछ बनना होता है तो उसकी तैयारी भी उसी लेवल की होने लगती है. सपना और लक्ष्य दोनों निर्धारित करने वाले की कभी हार नहीं होती है और वो एक दिन अपनी मनचाही मंजिल को जरूर पाता है. किसी भी इंसान को अपनी परिस्थिति को अपनी मंजिल के बीच में नहीं लानी चाहिए, ये इंसान के जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष होता है जब बहुत ज्यादा परिश्रम के बाद अपनी मंजिल को पा लेते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको चार ऐसे भाई-बहनों की कहानी बताएंगे जिससे आप प्रेरित हो सकते हैं. 2 कमरे के मकान में रहकर की इन 4 भाई-बहनों ने पढ़ाई, इसके आगे की कहानी भी आपको जरूर जाननी चाहिए.

2 कमरे के मकान में रहकर की इन 4 भाई-बहनों ने पढ़ाई

प्रतापगढ़ के लालगंज तहसील के रहने वाले अनिल मिश्रा की ख्वाहिश थी कि उनके चारों बच्चे बड़े होकर उनका नाम रोशन करें. उनका ये सपना सच भी हुआ और चारों ने देश की सर्वोच्च सेवाओं के एग्जाम पास कर लिए. चार भाई बहन में सबसे बड़े योगेश मिश्रा IAS हैं जो इस समय कोलकाता में राष्ट्रीय तोप एंव गोला निर्माण में प्रशासनिक अधिकारी हैं. दूसर नंबर पर हैं क्षमा मिश्रा जो IPS हैं और इस समय कर्नाटका में पोस्टेड हैं. तीसरे नंबर पर हैं माधवी मिश्रा जो झारखंड कैडर की IAS हैं और इस समय केंद्र के विशेष प्रति नियुक्ति पर दिल्ली में तैनात हैं. चौथे नंबर पर लोकेश मिश्रा हैं जिन्होने IAS की परीक्षा क्वालीफाई की है और इस समय बिहार के चंपारण जिले में ट्रेनिंग कर रहे हैं. इसमें सबसे बड़े भआई योगेश ने बताया कि आईएएस होने से पहले वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और नोएडा की एक कंपनी में काम करते थे. उस समय उनकी दोनों बहने क्षमा और माधवी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रही थीं.

रक्षाबंधन के एक दिन पहले दोनों का रिजल्ट आया और दोनों फेल हो गईं. उसके एक दिन बाद राखी बंधवाने बहनों के पास गया तो दोनों को बहुत समझाया. उसी दिन ठान लिया कि पहले खुद IAS बनुंगा, इसके बाद भाई-बहनों को प्रेरणा दे पाऊंगा. फिर तैयारी की और फर्स्ट अटेंप्ट में ही आईएएस बन गया और इसके बाद अपने भाई-बहनों का मार्गदर्शक बना.

दो कमरे में रहकर की पढ़ाई पूरी

माधवी बताती हैं कि चारों भाई-बहनों में उम्र का ज्यादा फर्क नहीं है तो लेकिन बचपन में कभी-कभी खेल के दौरान किसी बात को लेकर नोक-झोंक होती थी तो उनमें से कोई एक इस नोक-झोंक को प्यार में बदलने की जिम्मेदारी लेता था. सभी एक जगह इकट्टा होते ते और समझौता होता था. क्षमा बताती हैं कि सिर्फ 2 कमरों का मकान हुआ करता था, अगर कोई मेहमान आ गया तो सबसे ज्यदा दिक्कत उन्हें अपनी पढाई करने में होती थी. योगेश ने बताया, ‘हम सभी अपने पैतृक गां लालगंज में रहकर 12वीं तक पढ़ाई किए और इसके बाद वो मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रोद्योगिक संस्थान में बीटेक करने इलाहाबाद चले गए, वहीं सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब मिल गई और फिर नोएडा आ गया. साल 2013 में आईएएस बना औऱ क्षमा ने अपनी एमए की पढ़ाई गांव से ही की थी.’

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