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एक घटना से ठप हो गया पूरा स्कूल, सैकड़ों छात्राओं की सुरक्षा ताक पर!

बिहार के वैशाली जिले के दिग्घी में राजकीय अम्बेडकर आवासीय बालिका उच्च विद्यालय में कई दिनों से सन्नाटा छाया है.स्कूल में पढने वाली 345 छात्राएं जो कि स्कूल के हॉस्टल में ही रहती थीं अब वहां नहीं हैं. 8 जनवरी को स्कूल में एक दर्दनाक घटना हुई उसके अगले ही दिन पूरा स्कूल खाली हो गया सारी छात्राएं अपने अपने घर चली गयीं.

छात्रायें केवल वार्षिक परीक्षा देने ही स्कूल में आयेंगी:

दरअसल 8 जनवरी को स्कूल के ही कंपाउंड में 10वीं की एक छात्रा का शव मिला था. उसके बाद सभी छात्राएं अपने अपने घर चली गयीं छात्राओं के मुताबिक अब वो केवल वार्षिक परीक्षा देने ही स्कूल में आयेंगी. छात्राओं से बात करने पर उनमे दहसत साफ़ साफ़ झलक रही है. स्कूल के टीचर से पूछने पर कहते हैं कि क्या हुआ, कैसे हुआ, हम कुछ नही जान पाये.

एक रिपोर्टर को स्कूल की कुछ बच्चियों ने बताया कि ‘उस दिन सुबह करीब 6 बजे हॉस्टल के गेट 2 पर छात्रा का शव पड़ा मिला, उसने फ्रॉक पहनी थी और उसके नीचे का भाग खून से लतपथ था. कुछ लड़कियों ने उसके कपडे बदले और फिर उस बच्ची को अन्दर लाया गया और स्कूल की प्रिंसिपल को जानकारी दी गई. प्रिंसिपल उस छात्रा को देखकर जोर जोर से रोने लगीं.

पुलिस के मुताबिक उस छात्रा के शरीर पर जांघ और निचले हिस्से के अंगों में फ्रैक्चर जैसी चोट आई है, लेकिन पोस्टमार्टम में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई, उसके कपडे जाँच के लिये फोरेंसिक लैब भेज दिये गये हैं. स्कूल के दोनों गार्ड्स को गिरफ्तार कर लिया गया है. और प्रिंसिपल से पूछताछ जारी है.

छात्रा की माँ से मिली जानकारी के बाद यह पता चला कि उसने 2 दिन पहले अपनी माँ से फोन पर बताया था कि उसका टीचर उसे शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिये दबाव डालता है. माँ उसे लेने के लिये स्कूल गई लेकिन उसे वहां से भगा दिया गया. मौत खबर पर जब छात्रा की माँ स्कूल गई तो उसने पाया कि बच्ची के शरीर पर चोट के गहरे निशान हैं छाती पर घाव हैं और उसके निचले हिस्से में कपडा ठूंसा गया था. छात्रा की माँ ने घटना में स्कूल प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप भी लगाया.

यह स्कूल 1991 में खास तौर से दलित बच्चियों के लिये खोला गया था जिसमें आवासीय सुविधा के साथ शिक्षण कार्य भी होता है. घटना के बाद पाया गया कि स्कूल में बेसिक स्तर पर कई कमियां दिक्कतें मिलीं, हॉस्टल में दिव्यांग गार्ड, जो खुद की सुरक्षा भी नहीं कर सकती, पानी पिने की व्यवस्था हॉस्टल के बाहर, हॉस्टल गेट पर कभी टला नहीं लगता. ऐसे में इस तरह की घटना होना साफ़ दर्शाता है की इस स्कूल में छात्राओं की सुरक्षा को किस हद तक नजर अंदाज किया जाता रहा है. ऐसे में इस तरह की घटना से सबक लेना चाहिये. इस घटना से कहीं ना कहीं अन्य छात्रों के जीवन पर भी असर पड़ेगा.

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