इन दिनों देश में जहाँ देखो वहां लोकसभा चुनावों की चर्चा हो रही हैं. अभी तक इस चुनाव के पांच चरण कम्प्लीट हो चुके हैं. जल्द ही छठा चरण 12 मई को एवं सांतवा और अंतिम चरण 19 मई को संपन्न होगा. ऐसे में लोकतंत्र की ताकत से दुनियां को अवगत कराते हुए कुछ ख़ास वोटरों ने सबका दिल जीता हैं. वोट करना हर 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्ति का मौलिक अधिकार हैं. लेकिन जहाँ एक तरफ कई लोग अपने इस कीमती अधिकार को वोट ना कर यूं ही व्यर्थ जाने देते हैं तो वहीं दूसरी और कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए वोट करना बाकी सभी जरूरी कामो से पहली प्राथमिकता होती हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको पुरे भारत में उपस्थित कुछ ऐसे ख़ास मतदाताओं की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्हें पढ़ने के बाद यक़ीनन आप का दिल खुश हो जाएगा.
पैरों से दिया वोट
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर की रहने वाली निधि एक दिव्यांग लड़की हैं. उनके दोनों हाथ नहीं हैं. हालाँकि इस वजह से उनके वोट डालने के उत्साह में जरा भी कमी नहीं आई. वे एक प्यारी सी मुस्कान लिए वोट डालने के लिए मतदान केंद्र जा पहुंची. यहाँ उन्होंने ना सिर्फ वोट डाला बल्कि अपने पैरो आर स्याहीं भी लगवाई. निधि के इस जज्बे और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को देख वहां मौजूद लोगो को बहुत गर्व महसूस हुआ. ये उन लोगो के लिए बहुत बड़ी सीखी हैं जो सिर्फ आलस के चलते वोटिंग बूथ तह वोट डालने नहीं जाते हैं.
शादी के जोड़े में दे रहे वोट
इस चुनावी सीजन में कई मामले ऐसे भी देखने को मिले जिसमे दुल्हा दुल्हन अपने शादी के जोड़े में वोट डालते नज़र आए. इनमे से किसी ने शादी के तुरंत पहले वोट डाला तो किसी ने शादी निपटाते ही वोट दिया. कुछ लोग तो एक साथ जोड़े में वोट डालने भी आए. ऐसा ही एक वाक्या लखनऊ में देखने को मिला. यहाँ के एक स्थानीय व्यापारी नीरज मौर्य की शादी 6 मई को तय हुई थी. उन्हें बारात लेकर इलाहबाद रवाना होना था. लेकिन जब बाद में चुनावी तारीखों की घोषणा हुई तो उन्होंने तय किया कि पहले वे वोट डालेंगे उसके बाद शादी में बारात के लिए रवाना होंगे. ऐसे में वे 6 मई की सुबह 10:45 को दुल्हे की ड्रेस पहन मतदानकेन्द्र जा पहुंचे और वोट देकर इलाहाबाद शादी के लिए निकले.
80 किलोमीटर साइकिल चलाकर पहुंचे मतदान केंद्र
राजस्थान के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर जीएस शर्मा ने वोट करने के साथ साथ समाज को एक संदेश भी दिया. दरअसल वे जयपुर से अपने गाँव सोड़ा वोट डालने के लिए साइकिल चलाकर पहुंचे. इसके लिए उन्होंने 80 किलोमीटर साइकिल चलाई. इस कृत्य के माध्यम से वे लोगो को वोट के महत्त्व के साथ साइकिल चलाने और उससे जुड़े हृदय संबंधित फायदों को भी बताना चाहते थे. राजस्थान से ही एक और प्रेरित किस्सा आईआरएस सुशील कुल्हाड़ी का आया जो वोट डालने के लिए अपनी बीवी संग 21 किलोमीटर की हाफ मैराथन दौड़ लगाकर पहुंचे.
माँ के दाह संस्कार के पहले किया वोट
झारखंड में पालकोट के डहूपानी पंचायत निवासी बसंत सिंह की माता श्री का वोटिंग वाले दिन ही देहांत हो गया था. ऐसे में उन्होंने माँ के अंतिम संस्कार के पूर्व वोट देकर नई मिसाल कायम की.