पायलट बन बेटों ने किया पिता का सीना गर्व से चौड़ा, पिता ने कर्ज उठाकर कराई थी पढ़ाई
जिन लोगों के हौसले बुलंद होते हैं वो लोग लाख दिक्कतों के बाद भी अपना सपना सच कर लेते हैं और हाल ही में ये बात सच साबित करके दिखाई है उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहने वाले दो भाइयों ने। इन दोनों भाइयों ने दिन रात मेहनत कर अपने पिता के सपने को सच किया और अपने पिता को पायलट बनकर दिखाया। वहीं अपने बेटों को पायलट बना देख पिता का सीना गर्व से ऊंचा हो गया। इन दोनों भाइयों के लिए पायलट बनने की राह आसान नहीं थी। इनके पिता की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि वो अपने बेटों को पायलट बना सकें। लेकिन इनके पिता ने अपने बेटों को पायलट बनाने के अपने सपने को टूटने नहीं दिया और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाई।
इस तरह बनाया अपने बेटों को पायलट
उत्तर प्रदेश के बेहद ही छोटे से गांव से आने वाले महेंद्र यादव और धीरेंद्र यादव के पिता लाल बहादुर यादव चाहते थे कि उनके दोनों बेटे पायलट बनें। लेकिन लाल बहादुर यादव की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। अपने बच्चों को पायलट बना सकें इसके लिए लाल बहादुर यादव ने कर्जा उठाकर अपने बच्चों की पढ़ाई करवाई। लाल बहादुर यादव के अनुसार उन्होंने बैंक और अपने रिश्तेदारों से पैसे कर्ज में लेकर अपने बच्चों की कॉलेज की फीस भरी।
परीक्षा में हासिल किया पहला स्थान
महेंद्र यादव और धीरेंद्र यादव ने अपने पिता लाल बहादुर यादव की मेहनत को बेकार नहीं जाने दिया और दिन रात एक कर इन्होंने खूब मेहनत की और इन दोनों भाइयों ने आल इंडिया पायलट परीक्षा को काफी अच्छे अंकों से पास किया। इस परीक्षा में महेंद्र यादव ने पहला और इनके छोटे भाई ने पांचवा स्थान हासिल किया और अपने पिता का नाम रोशन कर दिया।
बतौर ट्रेनी पायलट उड़ाया विमान
इन दोनों भाइयों ने साल 2014 में एक साथ ही इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी फुरसतगंज में दाखिला लेने के लिए परीक्षा दी थी और इस परीक्षा में ये दोनों सफल रहे और इनका दाखिला इस अकादमी में हो गया। इस अकादमी में इन्होंने पायलट बनने की ट्रेनिंग ली और ये ट्रेनिंग इसी साल यानी 2019 के फरवरी महीने में पूरी हुई। इस ट्रेनिंग के तहत इन दोनों भाई को बतौर प्रशिक्षु प्लान उड़ाने कों दिया। बड़े भाई मंहेंद्र यादव ने ट्रेनी पायलट रहते हुए दो सौ घंटे फ्लाइट चलाई। जबकि महेंद्र यादव के छोटे धीरेंद्र यादव भाई ने ट्रेनी पायलट के तौर पर 155 घंटे फ्लाइट को चलाया। अपने दोनों बच्चों को विमान उड़ाता देख इनके पिता लाल बहादुर का सपना आखिरकार सच हो गया। महेंद्र यादव और धीरेंद्र यादव ने अपनी इस कामयाबी का पूरा श्रेय अपने पिता को दिया और कहा कि उनके पिता की मेहनत की वजह से ही ये आज पायलट बन पाएं हैं।