चिड़िया और मूर्ख बंदरों की कहानी, जो इस बात की सीख देती है कि मूर्ख लोगों की मदद करने से बचें
एक जंगल में चार बंदर एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगे और इन बंदरों ने सोचा की क्यों ना आज इस पेड़ के नीचे ही रात काट ली जाए। इस पेड़ के ऊपर ही एक चिड़िया का घोंसला भी था। जब ये चिड़िया शाम के समय अपने घोंसले में आई तो इसने पेड़ के नीचे इन बंदरों को आराम करते हुए देखा। कुछ देर बाद इन बंदरों को ठंड लगने लगी और इनकी आंख खुल गई। इन चारों बंदरों ने सोचा की ठंड से बचने के लिए इस पेड़ के नीचे सूखे पत्तों को इकट्ठा कर उनमें आग जला देते हैं। इन बंदरों ने पेड़ के पास गिरे सभी पत्तों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद इन्होंने खूब सारे पत्ते पेड़ के नीचे इकट्ठा करके रख दिए।
पत्तों को इकट्ठा करने के बाद एक बंदर बोला कि हमने पत्ते तो इकट्ठा कर दिए हैं, लेकिन इनमें आग किस तरह से लगाई जाए? पहले बंदर की बात सुन दूसरा बंदर बोला, तुम सही बोल रहे हो, इन पत्तों में आग लगाने के लिए हमें चिंगारी चाहिए। ये दोनों बंदर चिंगारी के बारे में सोचने लगे तभी तीसरे बंदर ने एक जुगनू को उड़ते हुए देखा और अपने साथी बंदरों से बोला, देखों वो रही चिंगारी जो उड़ रही है।
चारों बंदरों ने जुगनू को चिंगारी समझ लिया और जुगनू को पकड़ने में लग गए। पेड़ पर बैठी चिड़िया बंदरों की बाते सुन रही थी और इन बंदरों को जुगनू पकड़ता देख। चिड़ियां इनसे बोली, जिस चीज को तुम पकड़ रहे हो वो चिंगारी नहीं है बल्कि जुगनू है। इन बंदरों ने चिड़िया की बात को अनदेखा कर दिया और जुगनू को चिंगारी समझकर ये पकड़ने लगे। कुछ देर बाद इन चारों बंदरों ने जुगनू को पकड़ लिया और उसे सूखे पत्तों के नीचे रख दिया और पत्तों पर फूंक मारने लगे ताकि चिंगारी से आग जल जाए।
बंदरों की ये हरकत देख चिड़िया ने इन्हें कहा कि तुम लोग गलत तरह से आग जलाने की कोशिश कर रहे हो, जिसको तुम चिंगारी समझ रहे हो वो चिंगारी नहीं है बल्कि जुगनू है और उससे आग नहीं लगेगी। आग लगाने के लिए तुम दो पत्थरों को आपस में रगड़ों और फिर उसमें से जो चिंगारी निकले उससे आग लगा लो। चिड़िया की बात को फिर से बंदरों ने नहीं माना और वो जुगनू को चिंगारी समझकर फूंक मारने लगे।
बंदरों की मूर्खता को देख चिड़िया से फिर से रुका नहीं गया और उसने कहा कि तुम पत्थरों की मदद से चिंगारी जलाकर उससे आग लगा लो। चिड़िया की ये बात सुनते ही वहां पर बैठे एक बंदर को गुस्सा आ गया और उसने अपने पास पड़े एक पत्थर से चिड़िया को मार दिया। पत्थर लगने से चिड़िया जमीन पर गिर गई और मर गई।
इन चार बंंदरों और चिड़िया की इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि जीवन में कभी भी औरों के कामों में दखल ना दें और मूर्ख इंसान को सलाह देने से बचें। जब कोई व्यक्ति आप से सलाह मांग तभी आप उसकी मदद करें।