इस तरह से गौतम बुद्ध ने एक डाकू का किया था हृदय परिवर्तन और दिखाया था उसे सही रास्ता
मगध राज्य में एक सोनापुर नामक गांव हुआ करता था और इस गांव में कई सारे लोग रहा करते हैं। लेकिन ये सभी लोग अंधेरा होते ही अपने घर के अंदर छुप जाते थे और सुबह होने पर ही अपने घर से बाहर कदम रखते थे। एक दिन इस गांव में गौतम बुद्ध आए और गौतम बुद्ध ने देखा कि इस गांव के लोग शाम होते ही अपने कामों को बीच में ही छोड़, अपने घर के अंदर चले जाते और सुबह होने पर ही घर से बाहर निकला करते थे। गौतम बुद्ध ने गांव वालों से एक दिन पूछा कि आखिर तुम क्यों शाम होते ही अपने घरों के अंदर जाकर छुप जाते हों। तब गांव वालों ने गौतम बुद्ध को बताया कि इस गांव के पास वाले जंगल में एक डाकू रहता है जिसका नाम अंगुलीमाल है। ये डाकू लोगों को लूटने के बाद उनको मार देता है और फिर उनकी एक उंगूली को काट देते हैं। इस डाकू ने एक उंगलियों की माला भी बना रखी है, जिसे वो पहनता है। ये डाकू काफी खतरनाक है। इसलिए हम शाम होते ही अपने घर में आ जाते हैं ताकि हम अपनी रक्षा इस डाकू से कर सकें। गांव के लोगों की बात सुनकर गौतम बुद्ध को एहसास हुए की ये लोग डाकू अंगुलीमाल से खूब डरते हैं और डाकू अंगुलीमाल से इन लोगों की रक्षा करना जरूर है।
लोगों की पूरी बात सुनने के बाद गौतम बुद्ध जंगल की और चल पड़े। गांव के लोगों ने उन्हें जंगल में ना जाने को कहा लेकिन गौतम बुद्ध ने लोगों से कहा कि आप लोग मेरी चिंता ना करें। डाकू अंगुलीमाल मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। ये बोलते हुए गौतम बुद्ध जंगल में चले गए। जंगल में जाने के बाद गौतम बुद्ध को एक गुफा दिखी जो कि डाकू अंगुलीमाल की थी। गौतम बुद्ध ने उस गुफा को अनदेखा किया और वो आगे चलने लगे। गौतम बुद्ध को अपनी गुफा के सामने से जाता देख डाकू अंगुलीमाल ने उनको पकड़ने की कोशिश की मगर वो गौतम बुद्ध को पकड़ नहीं पाया। उसने हार कर गौतम बुद्ध को आवाज दी और कहा रुको।
डाकू अंगुलीमाल के कहने पर गौतम बुद्ध रुक गए और मुस्कुराकर बोले- मैं तो रुक गया पर तुम कब हिंसा का दामन छोड़ोगे। डाकू अंगुलीमाल ने गौतम बुद्ध से कहा सारे मगध के लोग मेरे से डरते हैं, लेकिन क्या तुझे मेरे से डर नहीं लगता। तुम्हारे पास जो कुछ भी है तुम मुझे दे दों। वरना में शक्तिशाली व्यक्ति तुमको मार दूंगा।
बुद्ध ने डाकू अंगुलीमाल की बात सुनकर कहा मैं इस बात पर कैसे यकीन कर लूं कि तुम सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हो। क्या तुम इस बात को साबित कर सकते हो। गौतम बुद्ध की बात सुनकर अंगुलिमाल बोला हां में साबित कर सकता हूं। बोलो मुझे क्या करना होगा। बुद्ध ने डाकू से कहा कि तुम बस उस पेड़ से कुछ पत्ते तोड़ कर मेरे पास ले आओं। डाकू अंगुलिमाल ने बिना देरी किए पेड़ के कुछ पत्ते तोड़ दिए और बुद्ध को दे दिए। उन पत्तों को लेकर बुद्ध ने डाकू अंगुलीमाल से कहा कि अब तुम इन पत्तों को वापस से पेड़ पर लगा दो। बुद्ध की ये बात सुन अंगुलिमाल हैरान हो गया और उसने कहा ऐसा कैसे हो सकता है, टूटे हुए पत्ते कोई भी व्यक्ति वापस से पेड़ पर कैसे लगा सकता हैं ?
डाकू अंगुलीमाल की बात सुनकर बुद्ध ने कहा जब तुम वापस से इन पत्तों को पेड़ के साथ जोड़ नहीं सकते हो तो तुम अपने आपको शक्तिशाली क्यों कहते हो ? अगर तुम में किसी चीज को जोड़ने की शक्ति नहीं है तो तुम उसे क्यों तोड़ते हो। जब तुम किसी को जीवन नहीं दे सकते हो, तो उसे कम से कम मौत तो मत दो। बुद्ध की ये बात सुनते ही डाकू अंगुलीमाल का हृदय परिवर्तन हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। डाकू अंगुलीमाल बुद्ध का शिष्य बन गया और उसने लोगों की सेवा करना शुरू कर दिया। जिसके बाद लोगों के बीच डाकू अंगुलिमाल ‘अहिंसका’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
गौतम बुद्ध कि इस कहानी से हमें इस बात का ज्ञान मिलता है कि इंसान चाहे कितना भी बुरा क्यों न हो, उसे अगर सही रास्ता दिखाया जाए तो वो बदल सकता है और एक दिन उसके अंदर की बुराई जरूर खत्म हो जाती है।