यहाँ रोज 5 रुपए में मिलता हैं स्वादिष्ट भोजन, देशी घी में लगता हैं तड़का
यदि कोई आज के जमाने में आप से कहे कि लाइए 5 रुपए दीजिये और उसके बदले में आपको भरपेट खाना खिलाऊंगा तो यक़ीनन आप उसकी बात पर यकीन नहीं करेंगे. वर्तमान के महंगाई के जमाने में 5 रुपए की वेल्यु बहुत कम हैं. इतने में तो नाश्ता तक नहीं आता हैं तो फिर खाने की बात दूर हैं. लेकिन नोएडा के सेक्टर 17 एवं 29 में एक जगह ऐसी भी हैं जहाँ आप 5 रुपए में भोजन कर सकते हैं. इस जगह का नाम हैं ‘दादी की रसोई’. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर पांच रुपए में भला भोजन कैसे मिल सकता हैं? इससे देने वाले को क्या फायदा होता होगा? आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस रसोई की शुरुआत करने वाले अनूप खन्ना इसे फायदे के लिए नहीं बल्कि समाजसेवा के लिए चलाते हैं.
5 रुपए में मिलता हैं देशी घी के तड़के वाला खाना
अनूप की ‘दादी माँ की रसोई’ रोज सुबह 10:00 से 11:30 एवं 12:00 से 2 बजे तक खुली रहती हैं. इस सस्ते भोजन का आनंद उठाने के लिए कई लोग यहाँ आते हैं. दिलचस्प बात ये हैं कि 5 रुपए होने के बावजूद खाने की क्वालिटी के साथ कोई भी समझौता नहीं किया गया हैं. बासमती चावल, देशी घी का तड़का और हाथ से बने मसालों का प्रयोग इसकी खासियत हैं. यही वजह हैं कि ये फ़ूड क्वालिटी का सर्टिफिकेट भी प्राप्त हैं. यहाँ के खाने में स्वाद के साथ प्यार भी होता हैं.
इस वजह से शुरू की अनोखी रसोई
जब अनूप से इस सस्ती रसोई को शुरू करने की वजह पूछ गई तो बड़ा ही संतुष्टि भरा जवाब मिला. अनूप जी कहते हैं कि इस दुनियां में खाना एक इंसान की बेसिक जरूरत होती हैं. यदि उसे कम पैसो में भोजन नसीब हो जाए तो चोरी, डकेती, भीख जैसी चीजों से काफी निजात मिल जाता हैं. अनूप बताते हैं कि उन्होंने ये सेवा पहले 15 लोगो के साथ शुरू की थी लेकिन धीरे धीरे लोग कम होते गए और वे सिर्फ पांच ही रह गए. हालाँकि अनूप ने हार नहीं मानी और इस सेवा को करते रहे. वे अक्सर नए लोगो को इससे जोड़ने का प्रयास करते थे लेकिन अधिकतर एक हफ्ते के बाद गायब हो जाते थे. हालाँकि बाद में लोग अनूप के साथ जुड़ने लगे. अब उनकी टीम में करीब 60 से 70 लोग हैं जो ये नेक काम करते हैं. लोग यहाँ अलग अलग रूपों में अपनी सेवाएं देने आते हैं. मसलन यदि किसी का जन्मदिन होता हैं तो वो यहाँ आकर खाने में योगदान करता हैं. उस दिन इस 5 रुपए की थाली में लोगो को रसगुल्ला, सोनपापड़ी और आईसक्रीम जैसी चीजें भी मिल जाती हैं.
खाने के अतिरिक्त ये चीजें भी देते हैं कम दामो पर
आपको जान हैरानी होगी कि अनूप सिर्फ भोजन ही नहीं बल्कि कपड़ा, जूता, किताबें और दवाई जैसी चीजें भी लोगो को कम कीमत पर देते हैं. अनूप के पिता एक स्वतंत्र सेनानी थे. उन्हें अपने पिता से ही देश और समाज की सेवा करने की प्रेरणा मिली हैं. अनूप कभी भी इस काम में खर्च हुए या आए पैसो का हिसाब नहीं रखते हैं. यदि पैसे कम पड़ जाते हैं तो वे अपनी जेब से मिला देते हैं. अनूप इसके साथ ही दो दवाई की दुकाने भी चलाते हैं.
जरा सोचिये यदि हर शहर या गाँव में इस तरह की मुहीम शुरू हो जाए तो चोरी और भीखमांगी जैसी चीजों में कितनी गिरावट आ जाएगी. अनूप और उनकी टीम को इस तरह के नेक काम करने के लिए हमारा दिल से सलाम हैं.