कार्य की सफलता पर ध्यान देने से ज्यादा जरूरी है, उस कार्य को लगन से करना
एक मकड़ी ने सोचा की अगर वो पेड़ के ऊपर एक बड़ा से जाला बना देगी तो उस जाले में एक साथ कई सारे मकोड़े और मक्खियां फस जाएंगे और ऐसा होने से उसे रोज खाने के लिए तलाश नहीं करनी पड़ेगी। अपने इस विचार को मकड़ी ने सच करने का सोचा और पेड़ के ऊपर एक जगह पर उसने जाल बनाना शुरू कर दिया। लेकिन जैसे ही मकड़ी ने आधा जाल बना दिया, तभी वहां पर एक चिड़िया आई और उसने मकड़ी पर हंसना शुरू कर दिया। मकड़ी ने चिड़िया से पूछा की ‘तू क्यों हंस रही है’। तब चिड़िया ने मकड़ी से कहा कि ‘तू इस जगह पर जाल तो बना रही है, लेकिन मैंने सुना है कि यहां पर कोई भी कीड़ा या मक्खी नहीं आती है। इस जाल को बनाने का कोई फायदा नहीं है’। चिड़िया की बात मकड़ी को सही लगी और उसने उस जगह पर जाल बनाना छोड़ दिया।
मकड़ी फिर पेड़ के दूसरे हिस्से में जाकर जाल बनाने लगी, तभी वहां पर एक चूहा आया और वो भी मकड़ी पर हंसने लगा मकड़ी ने चूहे से पूछा कि ‘क्यों इतने खुश हो रहे हो’। चूहे ने कहा ‘यहां पर जाल बनाकर तुझे कुछ नहीं मिलने वाला है’, क्योंकि जब तेज हवा आएगी तो तेरा ये जाल उड़ जाएगा’। चूहे की बात भी मकड़ी को सही लगी और उसने इस जाल को पूरा नहीं किया और वो पेड़ से थोड़ी नीचे उतरकर वहां पर जाल बनाने लगी।
पेड़ के नीचले हिस्से में मकड़ी ने जैसे ही आधा जाल बनाया तो वहां पर एक खरगोश आ गया और उस खरगोश ने भी मकड़ी को वहां जाल ना बनाने को कहा, मकड़ी ने खरगोश की बात मान ली और जाल को अधूरा ही छोड़ दिया। इतनी जगह जाल बनने में असफल रही मकड़ी बहुत बुरी तरह से थक गई और उसके अंदर हिम्मत नहीं बची की वो कहीं और जाकर जाल बना सकें। मकड़ी को काफी तेज भूख भी लगने लगी। तभी वहां से एक चींटी गुजरी और उसने मकड़ी से कहा कि ‘मैं कब से देख रही हूं कि तू जाल बनाने की कोशिश कर रही है’, लेकिन लोगों के कहने पर जाल को अधूरा ही छोड़ दे रही हैं। अगर तू इन लोगों की बात को नहीं सुनती तो इस वक्त तेरे पास एक जाल होता और शाम के समय उसमें कोई ना कोई मक्खी या कीड़ फस जाता।
चींटी की बात सुन भूखी मकड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो समझ गई की अगर वो अपने मन की सुनती और एक जगह पर ही जाल बना लेती तो इस वक्त उसे खाने को कुछ ना कुछ मिल जाता। इस मकड़ी की तरह की कई बार हम इंसान भी जीवन में कुछ करने की सोच लेते हैं और उस काम को शुरू भी कर देते हैं। लेकिन लोगों की और से कार्य के असफल होने की टिप्पणी मिलने के कारण काम को बीच में ही छोड़ देते हैं और बाद में बैठकर काम को पूरा ना करने का पछतावा किया करते हैं।