तो इस वजह से शरीर पर भस्म लगाया करते हैं भगवान शिव
भगवान शिव हमेशा अपने तन पर भस्म लगाए रखते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर क्यों शिव जी अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं और ये भस्म किस चीज का प्रतीक है। हमारे पुराणो में शिव जी के भस्म लगाने का जिक्र किया गया है और बताया गया है कि क्यों शिव जी अपने तन पर हर समय भस्म को लगाए रखते हैं।
आखिर क्यों शिव जी को प्रिया है भस्म-
भस्म से जुड़ी कथा
भगवान शिव के जीवन से जुड़ी एक कथा के अनुसार इनका विवाह सती मां से हुआ था। लेकिन सती मां के पिता दक्ष जो कि एक राजा हुआ करते थे उनको शिव जी पसंद नहीं थे और वो अपनी बेटी का विवाह शिव जी से किसी भी हालत में नहीं करवाना चाहते थे। लेकिन उनको अपनी बेटी सती की जिद के सामने झुकना पड़ा और उन्होंने शिव के साथ सती का विवाह करवा दिया।
विवाह करवाने के कुछ समय बाद दक्ष ने अपने यहां एक यज्ञ का आयोजन किया। मगर इस यज्ञ में उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। पिता की और से आमंत्रण ना आने पर सती ने सोच की शायद वो आमंत्रण देना भूल गए होंगे। सती ने शिव जी से कहा कि वो अपने पिता के यहांं हो रहे यज्ञ में जाएंगी। शिव जी ने सती को यज्ञ में ना जाने की सलाह दी। मगर सती नहीं मानी और वो अपने पिता के यहां पर हो रहे यज्ञ में चले गई। लेकिन जब सती वहां पहुंची तो उन्होंने पाया कि उनके पिता शिव जी का काफी अपमान कर रहे हैं। अपने पिता की और से किया गया शिव जी का अपमान सती से सहन नहीं हुआ और वो यज्ञ की अग्नि में जा बैठी। वहीं जब शिव जी को ये सब पता चला तो वो तुरंत वहां गए और उन्होंने दक्ष को सजा दी और सती के जले हुए शरीर को अपने साथ ले आए।
शिव जी क्रोधित होकर सती के शरीर को लेकर ब्रह्माण्ड में घूमते रहे। शिव जी के इस क्रोध को देख देवी देवता परेशान हो गए और उनको सृष्टि खतरे में नजर आई। तब भगवान श्री विष्णु ने देवी सती के शरीर को छूकर भस्म में बदल दिया। जिसके चलते शिव जी के हाथ में केवल भस्म रहे गई। जिसके बाद इस भस्म को शिव जी ने अपने शरीर पर लगा लिया। हालांकि पुराणों में सती के शरीर के भस्म होने के अलावा इस बात की भी विवरण मिलता है कि सती के शरीर को विष्णु जी ने छिन्न भिन्न कर दिया और उनके शरीर के अंग धरती के कई हिस्सों में गिर गए जहां परशक्तिपीठों की स्थापना हुई।
भस्म लगाने से जुड़ी अन्य मान्यता
मान्यता के अनुसार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते हैं और वहां की ठंड से बचाने के लिए वो अपनी शरीर पर भस्म लगाते थे। जबकि ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव भस्म के जरिए मनुष्यों को ये बताते है कि जीवन के अंत में सब राख ही बन जाते हैं और जीवन का कोई कण शेष नहीं रहता।