एक समय में वेटर का किया करते थे काम, आज IAS अफसर बन देश को दे रहें हैं अपनी सेवा
तमिलनाडु के वेल्लौर जिले से नाता रखने वाला के. जयगणेश एक आईएएस अफसर हैं और ये इस पद पर रहकर अपनी सेवाएं देश को दे रहे हैं। लेकिन एक आईएएस अफसर बनने का इनका ये सफर इतना आसानी नहीं था। आईएएस अफसर बनने के लिए इनको कई सालों तक मेहनत करनी पड़ी। के. जयगणेश ने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए कई तरह की नौकरियां भी की और ये एक वेटर हुआ करते थे। एक वेटर से आईएएस अफसर बनने का इनका ये सफर काफी मुश्लिकों भरा था। लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। के. जयगणेश ने 7 बार भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा दी। लगातार 6 बार भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा में इनको असफलता मिली, लेकिन इन्होंने अपने सपनों को जिंदा रखा और सातवें प्रयास में भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा के पेपर को अच्छे अंक के साथ पास कर लिया।
वेटर से आईएएस अफसर बनने का सफर
के. जयगणेश एक बेहद ही गरीब परिवार में जन्म थे। इन्होंने इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रखी है। इंजिनियरिंन की पढ़ाई करने के बाद ये बेंगलुरु रोजगार की तलाश में चले आए। यहां पर आकर इन्होंने नौकरी की तलाश करना शुरू कर दी। मगर इनको इनकी पढ़ाई के हिसाब से नौकरी नहीं मिली। पैसे कमाने के लिए इन्हें एक सिनेमा हॉल में टिकट बेचने का कम करना पड़ा। इस काम के लिए इनको महज 3 हजार रुपए मिला करते थे। इन्होंने कई महीनों तक ये काम किया मगर इस काम के चलते ये सिविल सर्विसेस की तैयारी के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पा रहे थे। जिसके चलते इन्होंने इस नौकरी को छोड़ने का फैसला कर लिया। इस नौकरी को छोड़कर इन्होंने थियेटर के पास ही एक छोटे से होटल में वेटर की नौकरी करना शुरू कर दी। वेटर की नौकरी करने से इनको सिविल सर्विसेस की तैयारी करने के लिए ज्यादा समय मिलने लगा और ये पैसे कमाने के साथ साथ अपनी पढ़ाई भी कर पा रहे थे।
छह बार लगी हाथ असफलता
के. जयगणेश के अनुसार इन्हें छह बार भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा में असफलता मिली। जब इन्होंने छठी बार ये पेपर दिया तो उस समय इन्होंने मेंस क्वॉलिफाई कर लिया था। लेकिन ये इंटरव्यू पास नहीं कर पाए और इनको फिर से निराशा हाथ लगी। इसी बीच इनको इंटेलिजेंस ब्यूरो में ऑफिसर की नौकरी भी गई। लेकिन इन्होंने इस नौकरी को ज्वाइन करने की जगह आखिरी बार फिर से आईएएस का पेपर देने का फैसला किया। वहीं साल 2016 में सातवीं बार जब इन्होंने भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा दी तो इनको कामयाबी हाथ लगी और इनका स्थान 156 वां आया और भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा को पास करते ही ये अधिकार बन गए।
जज्बे को जिंदा रखा
के. जयगणेश ने कई असफलता मिलने के बाद भी अपने जज्बे को जिंदा रखा और अधिकार बनने के अपने सपने को सच कर दिखाया। के. जयगणेश के आईएएस अफसर बनने की ये कहानी उन लोगों के लिए काफी प्रेरणा जनक है जो कि भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं । के. जयगणेश के जीवन की ये कहानी जिंदगी में कभी भी हार ना माने की सीख हमें देती है।