इंसान को कभी भी औरों की चीज पर हक नहीं जमाना चाहिए और हमेशा ईमानदार रहने चाहिए
एक जंगल में साधु की कुटीया हुआ करती थी। साधु इस कुटिया में अकेले ही रहा करता था। साधु की ये कुटिया एक नदी के किनारे पर स्थित थी। एक दिन जब ये साधु नदी के किनारे बैठा हुआ था। तभी साधु को नदी में एक आम दिखा। साधु ने बिना कोई देरी किए इस आम को नदी से निकाल लिया और उसे अपनी कुटिया में ले आया। रात के समय साधु को भूख लगने लगी, तो उसने इस आम को खाने के बारे में सोचा। हालांकि जैसे ही इस साधु ने आम को पकड़ा तो उसे एहसास हुआ कि ये आम उसका नहीं है। इस आम पर इसके मालिक का हक है। अगर वो ये आम खा लेगा तो बेइमान हो जाएगा। अपने मन की बात सुनकर साधु ने इस आम को खाने का फैसला त्याग दिया और वो सो गया।
अगले दिन साधु ने जब सुबह इस आम को देखा तो उसने सोचा की ये आम जिसका है उसे वापस कर देना चाहिए। अपने मन की आवाज सुन साधु ने इस आम को लिया और इसके मालिक की खोज में निकल गया। अपनी कुटिया से कुछ दूर जाने पर साधु को एक बाग दिखा, जिसमें कई सारे आम लगे हुए थे और इस बाग के पास एक नदी भी थी। साधु समझ गया कि ये आम इस बाग का ही हैं। साधु ने इस बाग की देखभाल करने वाले माली से कहा कि ये आपके बाग का आम है जो कि कल नदी के माध्यम से मेरा पास आ गया था। मैं इस आम को वापस करने आया हूं। साधु की बात सुन माली ने कहा कि, हां जब में कल पेड़ से आम तोड़ रहा था तो एक आम मेरे हाथ से फिसल कर नदी में गिर गया था। साधु ने माली की बात को सुनकर कहा ‘तो ठीक है आप इसके मालिक हैं और आप इसे रख लें’। माली ने साधु से कहा ‘मैं इन आमों का मालिक नहीं हूं’। ‘इन आमों का मालिक राजा हैं’। आप ये आम राजा को दें आएं। साधु ने माली की बात को मान लिया और आम को लेकर राज महल चले गए।
महल में जाकर साधु ने राजा से मुलाकात की और कहा कि गलती से आपका एक आम मेरा पास आ गया है। मैं आपको इस आम को वापस करने आया हूं। राजा साधु की बात सुनकर हैरान रहा गया। राजा ने कहा कि ‘तुमने इस आम को क्यों नहीं खाया’? राजा के इस सवाल पर साधु बोला ‘ये आपकी संपत्ति है ना कि मेरी’। ‘इसपर आपका अधिकार है’। साधु की ये बात सुन राजा खुश हो गया और राजा ने साधु को अपने महल में सम्मानित किया और साधु को अपने महल का पंडित बना दिया। राजा के प्रस्ताव वो साधु ने मान लिया और वो राजा के यहां ही रहने लगा।
इस कहानी से हमें पता चलता है कि इंसान को कभी भी औरों की चीजों पर हक नहीं जमाना चाहिए। अगर इंसान ईमानदार रहता हैं, तो उसकी कदर हर कोई करता है और उसे जीवन में केवल सम्मान ही मिलता है।