जानिए क्यों इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा नहीं की जाती है, मगर शिव जी की पूजा करने से डरते हैं
भगवान शिव जी पर कई लोगों की आस्था है और हर कोई भगवान शिव जी की पूजा जरूर करता है। खासकर सोमवार के दिन लोग मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल और दूध जरूर चढ़ाया करते है और शिव जी को प्रसन्न कर अपनी मनोकामना पूरी कर लेते हैं। लेकिन हमारे देश में एक ऐसा भी शिव जी का मंदिर है, जहां पर लोग जाया तो करते हैं लेकिन वहां पर बनें शिवलिंग की पूजा करने से डरते हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक कथा के अनुसार इस मंदिर में बनें शिवलिंग की पूजा करना फलदायक नहीं माना गया है और जो भी इस शिवलिंग की पूजा करता है, उसकी पूजा सफल नहीं होती है। इसी कारण के चलते लोग इस मंदिर में आते तो हैं लेकिन शिवलिंग की पूजा नहीं किया करते हैं।
मंदिर से जुड़ी कथा
शिव जी का ये मंदिर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करीब 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये मंदिर बल्तिर नामक एक गांव में है। इस गांव के लोगों के अनुसार ये मंदिर अभिशप्त है और इसलिए लोग इस मंदिर में जाकर पूजा नहीं किया करते हैं। इस मंदिर का नाम हथिया देवाल है और लोगों का ऐसा कहना है कि इस मंदिर का निर्माण सदियो पहले किया गया था। इस मंदिर को राजा कत्यूरी के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इस मंदिर को बनाने की जिम्मेदारी राजा ने एक ही शिल्पकार को दी थी। जिसका केवल एक ही हाथ था। इस शिल्पकार ने इस मंदिर को एक दिन में बना दिया था। वहीं एक दिन में ही इस मंदिर के बनने की खबर जैसे ही इस जगह पर रहने वाले लोगों को लगी तो वो इस मंदिर को देखने के लिए आए गए। इस मंदिर में आकर यहां के लोगों ने इस मंदिर को बनाने वाले शिल्पकार को ढूंढने की कोशिश की मगर वो उनको नहीं मिला।
जब ये लोग मंदिर के अंदर गए तो इन्होंने पाया कि इस मंदिर में बनाया गया शिवलिंग कुछ अलग है। वहीं इस शिवलिंग को जब एक पंडित ने देखा तो पाया की शिवलिंग गलत दिशा की और बनाया गया है। जिसकी वजह से ये शिवलिंग पूजा के योग्य नहीं है। इस शिवलिंग के गलत दिशा में होने के कारण लोग इस शिवलिंग की पूजा नहीं करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में अगर पूजा की जाए तो उस पूजा का लाभ नहीं मिलता है और पूजा दोषपूर्ण हो जाती है।
क्यों रखा गया हथिया देवाल नाम
इस मंदिर को बनाने वाले शिल्पकार का एक ही हाथ था और उसने केवल अपने एक ही हाथ का इस्तेमाल कर इस मंदिर को बनाया था। जिसकी वजह से इस मंदिर को हाथिला देवाल नाम दिया गया। वहीं ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को एक दिन के अंदर बनाने के चलते शिल्पकार ने शिवलिंग को गलत दिशा में बना दिया था।
ये मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है और इस मंदिर को देखने के लिए लोग दूर दूर से आया करते हैं, लेकिन इस मंदिर में बनाए गए शिवलिंग की पूजा किसी भी व्यक्ति द्वारा नहीं की जाती है।