शहीद बेटे के पार्थिव शरीर को देखकर मां ने किया सेल्यूट, बोली मां- मेरा हीरो आ गया
नौसेना के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में शुक्रवार को हुए हादसे में नौसेना के अधिकारी धर्मेंद्र सिंह चौहान शहीद हो गए थे और शनिवार को इनके पार्थिव शरीर को नौसेना ने सम्मान के साथ इनके परिवार वालों को सौंप दिया है। जिसके बाद इनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। नौसेना की और से धर्मेंद्र सिंह चौहान के पार्थिव शरीर को उनके घर रतलाम में पहुंचा गया। इस दौरान शहीद धर्मेंद्र के पार्थिव शरीर को देखकर उनकी मां ने सबसे पहले अपने बेटे को सेल्यूट किया। सेल्यूट करते हुए धर्मेंद्र सिंह चौहान की मां ने कहा कि मेरा हीरो आ गया। इस मंजर को देख वहां पर मौजूद सभी लोगों की आंखे एकदम से नम हो गई।
धर्मेंद्र सिंह चौहान के पड़ोस में रहने वाले हर इंसान ने उनके घर आकर उनके पार्थिव शरीर के दर्शन किए और उनको श्रद्धांजलि देकर विदा किया। धर्मेंद्र सिंह चौहान के घर से निकली उनकी अंतिम यात्रा के दौरान कई सारे लोग सड़क पर मौजूद थे और इन लोगों ने धर्मेंद्र सिंह चौहान के पार्थिव शरीर पर फूल फेंकते हुए भारत माता की जय के नारों लगाते हुए इन्हें सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी।
डेढ़ महीने पहले हुई थी शादी
धर्मेंद्र सिंह नौसेना में बतौर लेफ्टिनेंट कमांडर के तौर पर कार्यरत थे और इनकी आयु महज 30 साल की थी। ये साल 2013 में ही नौसेना में शामिल हुए थे। इनकी शादी इसी साल हुई थी और इनकी शादी को अभी महज डेढ़ महीने ही हुए थे। बताया जा रहा है कि रतलाम की रिद्धि-सिद्धि कॉलोनी में रहने वाले धर्मेंद्र सिंह का निधन होने के बाद इसकी जानकारी सबसे पहले इनकी पत्नी कर्णा चौहान को दी गई थी। कर्णा को इस बात की जानकारी देने के बाद शुक्रवार को करीब 1:30 बजे नौसेना अधिकारी ने धर्मेंद्र सिंह चौहान की मां टमाकुंवर को भी फोन किया और उनको धर्मेंद्र के शहीद होने की सूचना दी। नौसेना की और से मिली अपने बेटे की शहादत की खबर सुनकर टमाकुंवर बेसुद हो गई थी।
शुक्रवार को हुआ था हादसा
गौरतलब है कि शुक्रवार को नौसेना के सबसे बड़े विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में आग लग गई थी और ये आग इस पोत में उस समय लगी थी जब ये पोत कर्नाटक के कारवाड़ बंदरगाह पहुंच रहा था। पोत में आग लगने के बाद पोत में मौजूद जवानों ने जहाज की लड़ाकू क्षमता आग से प्रभावित ना हो इसके लिए आग को बुझाने की खूब कोशिश की और आग पर काबू पा लिया। इसी दौरान धर्मेंद्र सिंह चौहान ने मशीनरी कंपार्टमेंट को आग से बचाने के लिए कड़ी मशक्कत की और आग को बुझा भी दिया। हालांकि इसी दौरान वो आग और धुएं के चलते अचेत हो गए। जिसके बाद धर्मेंद्र सिंह चौहान को तुरंत कारवाड़ स्थित नौसैनिक अस्पताल में भर्ती किया गया। लेकिन धर्मेंद्र को बचाया नहीं जा सका और वो शहीद हो गए। वहीं इस हादसे की जांच के लिए नौसेना के अधिकारियों ने बोर्ड ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया है। इस इंक्वायरी के बाद ही ये पता चल सकेगा की आखिर आईएनएस विक्रमादित्य में आग कैसे लगी थी।