महान कवि हरिवंश राय बच्चन की जीवनी और इनके द्वारा लिखी गई कुछ कविताएं
श्री हरिवंश राय बच्चन हमारे देश के एक महान साहित्यकार थे और इन्होंने अपनी कविताओं के लिए कई सारे पुस्कार जीत रखे हैं। आज भी इनकी कविताओं को लोगों द्वारा पढ़ा जाता है। एक साहित्यकार होने के साथ- साथ यह प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता भी है। अक्सर अपने पिता को याद करते हुए अमिताभ बच्चन इनके द्वारा लिखी गई कविताओं को जरूर पढ़ा करते हैं। श्री हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan ki kavita) द्वारा लिखी गई कविता ‘मधुशाला’ प्रसिद्ध कविताओं में गिनी जाता है।
श्री हरिवंश राय बच्चन की जीवनी (Harivansh Rai Bachchan ki Jivani)
पूरा नाम | हरिवंश राय श्रीवास्तव बच्चन |
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जन्म तारीख | 27 नवंबर, 1907 |
जन्म स्थान | बापूपट्टी गाँव, जिला, प्रतापगढ़ |
मृत्यु तारीख | 18 जनवरी, 2003 (मुंबई) |
पेशा | लेखक, कवि |
प्रसिद्ध कविता | “मधुशाला” |
पत्नी का नाम | श्यामा बच्चन (1926-1936) और तेजी बच्चन (1941-2003) |
कुल बच्चे और उनके नाम | दो, अमिताभ बच्चन और अजिताभ बच्चन |
श्री हरिवंश बच्चन का प्रारंभिक जीवन
श्री हरिवंश बच्चन का जन्म साल 1907 में उत्तर प्रदेश के बाबूपट्टी गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री प्रताप नारायण श्रीवास्तव और मां का नाम सरस्वती देवी था। श्री हरिवंश राय काफी विद्वान हुआ करते थे और इन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और सेंट कैथरीन कॉलेज, कैम्ब्रिज से पढ़ाई की हुई थी। श्री हरिवंश राय बच्चन को लिखने का काफी शौक हुआ करता था और यही शौक आगे जाकर इनका पेशा बन गया और इन्होंने कई सारी कविताओं की रचना की।
श्री हरिवंश राय बच्चन ने अपने जीवन में कुल दो बार विवाह किया था और इनकी पहली पत्नी का नाम श्यामा बच्चन था। हालांकि शादी के 10 साल बाद इनकी पहली पत्नी का निधन हो गया था। जिसके बाद इन्होंने साल 1941 में दूसरी शादी की थी और इनकी दूसरी पत्नी का नाम तेजी बच्चन था। अपनी दूसरी शादी से इन्हें दो बच्चे हुए थे, जिनमें से एक बेटे का नाम अभिनता अमिताभ बच्चन हैं और दूसरे बेटे का नाम अजिताभ बच्चन है।
श्री हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी कुछ कविताओं के नाम (Harivansh Rai Bachchan ki Kavita)
- तेरा हार
- मधुशाला
- मधुबाला
- सोपान
- निशा निमंत्रण
- एकांत संगीत
- बंगाल का काव्य
- खादी के फूल
- अग्निपथ
- एक गीत
- बहुत दिन बीते
- उभरते प्रतिमानों के रूप
- दो चट्टानें
हरिवंश राय बच्चन ने अपने जीवन में कई सारी कविताएं लिख रखी हैं। इनके द्वारा लिखी गई कविता ‘मुधशाला’ और ‘दो चट्टानें’ काफी प्रसिद्ध रही हैं। इनको दो चट्टानें कविता संग्रह के लिए सन् 1968 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया था। कविताओं के अलावा इन्होंने आत्मकथा भी लिख रखी हैं। इसके अलावा इन्होंने सिलसिला मूवी के लिए “रंग बरसे” गाना भी लिखा था और अग्निपथ मूवी की प्रसिद्ध पंक्ति “अग्निपथ…अग्निपथ…अग्निपथ” भी इन्होंने लिखी थी।
श्री हरिवंश बच्चन को मिले अवार्ड
- साहित्य अकादमी पुरस्कार ( 1968)
- पद्म भूषण पुरस्कार (1976)
- सरस्वती सम्मान (1991)
हरिवंश राय को इनके द्वारा लिखी गई चार खंड की आत्मकथा “क्या भूलूं क्या याद करूं”, “नीड़ का निर्माण फिर”, “बसेरे से दूर” और “दशद्वार से सोपान तक” के लिए सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया था।
श्री हरिवंश राय बच्चन की मृत्यु
हरिवंश राय बच्चन जी ने अपने जीवन की अंतिम सांस साल 2003 में ली थी। इनका निधन मुंबई में हुआ था। निधन के वक्त इनकी आयु 95 साल की थी। यह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और यह श्वसन रोग से ग्रस्त थे।
श्री हरिवंश राय की कुछ कविताओं की पंक्तियां (Harivansh Rai Bachchan Ki Kavita)
श्री हरिवंश राय बच्चन की कविता – 1
दीन जीवन के दुलारे
खो गये जो स्वप्न सारे,
ला सकोगे क्या उन्हें फिर खोज हृदय समीप?
ओ गगन के जगमगाते दीप!
यदि न मेरे स्वप्न पाते,
क्यों नहीं तुम खोज लाते
वह घड़ी चिर शान्ति दे जो पहुँच प्राण समीप?
ओ गगन के जगमगाते दीप!
यदि न वह भी मिल रही है,
है कठिन पाना-सही है,
नींद को ही क्यों न लाते खींच पलक समीप?
ओ गगन के जगमगाते दीप!
श्री हरिवंश राय बच्चन की कविता – 2
मैं मधुबाला मधुशाला की,
मैं मधुशाला की मधुबाला!
मैं मधु-विक्रेता को प्यारी,
मधु के धट मुझ पर बलिहारी,
प्यालों की मैं सुषमा सारी,
मेरा रुख देखा करती है
मधु-प्यासे नयनों की माला।
मैं मधुशाला की मधुबाला!
इस नीले अंचल की छाया
में जग-ज्वाला का झुलसाया
आ कर शीतल करता काया,
मधु-मरहम का मैं लेपन कर
अच्छा करती उर का छाला।
मैं मधुशाला की मधुबाला!
श्री हरिवंश राय बच्चन की कविता – 3
मैंने गाकर दुख अपनाए!
कभी न मेरे मन को भाया,
जब दुख मेरे ऊपर आया,
मेरा दुख अपने ऊपर ले कोई मुझे बचाए!
मैंने गाकर दुख अपनाए!
कभी न मेरे मन को भाया,
जब-जब मुझको गया रुलाया,
कोई मेरी अश्रु धार में अपने अश्रु मिलाए!
मैंने गाकर दुख अपनाए!
पर न दबा यह इच्छा पाता,
मृत्यु-सेज पर कोई आता,
कहता सिर पर हाथ फिराता-
’ज्ञात मुझे है, दुख जीवन में तुमने बहुत उठाये!
मैंने गाकर दुख अपनाए
हरिवंश राय की प्रसिद्ध रचना
“कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती”
लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती, कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरते जाता है, चढ़ कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!
श्री हरिवंश राय बच्चन ने हिंदी साहित्य में कई सारा योगदान दिया हुआ है और इनके योगदान को आज भी याद रखा गया है। एक लेखक और कवि होने के साथ-साथ यह एक बेहतरीन इंसान भी हुआ करते थे और इनके द्वारा दिए गए संस्कारों की झलक अभिताभ बच्चन में देखने को मिलती है।
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