घर का टिफिन पति रोज दे देता था भिखारी को, सच्चाई पता चली तो पत्नी ने भिखारी से कर ली शादी
प्यार के तो कई प्रकार होते है जैसे माँ-बाप का प्यार, बहन-भाई का प्यार या पति-पत्नी का प्यार हम सभी के लाइफ में मिलता ही है जो हमारे लिए बहुत ही अनमोल है, लेकिन हर घर में छोटी छोटी लड़ाईयां हो ही जाती है। हर घर में ऐसा लडको के साथ अक्सर देखने को मिल ही जाता है जब कभी मां उन्हें रोज रोज एक ही तरह की सब्जी खिलाने लगती है। जब वो एक ही सब्जी को खा खा कर पक जाते है या बोर हो जाते है तब आखिरी में अपनी माँ से एक न एक दिन बोल ही देते है कि क्या माँ रोज रोज यही एक ही तरह की सब्जी या रोज रोज लौकी ही, जो कि ऐसा सभी के घरो में अक्सर होता ही रहता है।
फिर उसी समय माँ तुरंत शादी का ताना देने लगती है और कहती है कि खाना पसंद नहीं तो जा खाना बनाने वाली ले आ और जो मेरी सेवा करें मुझसे नही होगा अब ये सब यानि घर में बहु लाने को कहती है। लेकिन शादी के बाद लड़कों का क्या हाल होता है वो लड़के ही अच्छे से समझ सकते हैं क्योंकि शादी के बाद लड़कों के सारे नखरे खत्म हो ही जाते हैं और लड़कों के कंधो पर घर की जिम्मेदारियां आ जाती है साथ ही बाप बनने के बाद उनकी जिम्मेदारियां और भी ज्यादा ही बढ़ जाती है लेकिन आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं वो भी कुछ इसी तरह का मामला है जो कि लौकी के सब्जी से ही संबंधित है जो कि आपको चौका के रख देगा। असल में ये मामला यूपी का है, जहां श्रावस्ती नाम की एक महिला रहती है और उसका पति आशीष रहता है।
मामला कुछ इस प्रकार है कि श्रावस्ती का पति यानि कि आशीष हर रोज सुबह-सुबह टिफिन लेकर मजदूरी पर निकल जाता था। जबकि गौर करने वाली खास बात ये थी कि आशीष की पत्नी उसे हर रोज टिफिन में एक ही तरह की बनी हुई लौकी की सब्जी देती थी लेकिन फिर भी आशीष कुछ कहता नहीं था जिससे उसे अपने पति पर शक हुआ। असल में श्रावस्ती अपने पति को रोज लगभग 20 दिन से लौकी की सब्जी ही दे रही थी लेकिन श्रावस्ती का पति आशीष उसे रास्ते में ही ऑफिस जाते समय सब्जी वाला डिब्बा रोज एक भिखारी को दे देता था। एक दिन आशीष की पत्नी श्रावस्ती ने शक होने के कारण आशीष का पीछा किया और सच का पता चल गया जिससे उसकी बीवी ने उसे उसी समय रंगे हाथो पकड लिया।
इससे पहले की आशिष कुछ सफाई देता तब तक भिखारी ने उपर असमान की तरफ देखते हुए रोमांटिक होकर दो चार शायरी कह डाली उसके बाद क्या? आशीष की पत्नी श्रावस्ती को ऐसा लगा कि जैसे मानो उसे उसके बचपन का प्यार मिल गया हो जिसे उसने कभी खो दिया था। उसी समय श्रावस्ती ने आशीष को तलाक देकर भिखारी से मंदिर में जाकर शादी कर ली और अब उसी मंदिर के सामने बैठकर दोनों भीख मांगते हैं। हम अक्सर सुनते आ रहे ह कि प्यार करने को कोई हद नही होती ना उम्र देखता है ना ही जाती प्यार अँधा होता है लेकिन ऐसे भी होता है इस दुनिया में जो इकदम से किसी पूरी लाइफ चेंज कर दे। कुछ भी कहाँ नही जा सकता यहाँ सब कुछ पॉसिबल है।