कई बार छोटी समस्या को भी हम सोच सोच कर बड़ा बना देते हैं औऱ परेशान रहते हैं
एक राज्य में बहुत ही ज्ञानी और समझदार राजा रहा करता था। उसकी देखरेख में राज्य उन्नति कर रहा था। राजा के पास कोई संतान नहीं थी तो उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उनके जाने के बाद राज्य का उत्तराधिकारी कौन बनेगा। राजा के लिए ये जरुरी था कि जो भी व्यक्ति गद्दी पर बैठे उसके पास ज्ञान का होना आवश्यक है, बिना ज्ञान और बुद्धि के राज्य का पालन नहीं हो पाएगा। इसके लिए राजा ने एक तरकीब निकाली। उन्होंने अपने राज्य में एक बहुत ही आलीशान महल बनवाया और उस पर गणित का एक सूत्र लिखवा दिया।
राजा ने दरवाजे पर लिखा एक सवाल
राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कर दी की जो भी इस सूत्र को हल करेगा उसके जवाब मिलते ही ये दरवाजा खुल जाएगा। जो भी ये दरवाजा खोल लेगा वहीं मेरा उत्तराधिकारी होगा और मेरे बाद राज्य संभालेगा। राजा द्वारा घोषणा सुनते ही सभी लोग गणित का सूत्र हल करने में लग गए। किसी का जवाब सही निकलता ही नहीं था क्योंकि दरवाजा खुलता ही नहीं था। सभी कोशिश में लगे हुए थे। काफी समय बीत गया किसी को जवाब नहीं मिलता।
ये बात दूसरे राज्य तक पहुंच गई। वहां के बड़े बड़े गणितज्ञ भी अपनी कला का प्रदर्शन करने पहुंचे। गणित के विशेषज्ञ सोच रहे थे कि उनके लिए ये तो चुटकी बजाने जितना आसान है, लेकिन जब सवाल देखा तो हल ढूंढते रह गए। कुछ लोग किताब लेकर बैठे थे तो कोई अपना दिमाग इस्तेमाल कर रहा था और पुरानी विद्या याद करने की कोशिश कर रहा था। लंबा समय बीत गया, लेकिन ना किसी को जवाब मिला ना दरवाजा खुला।
दूर दूर से लोग आते सवाल देखते जवाब ढूंते और निराश होकर चले जाते। एक दिन उस महल के पास एक बच्चा आया और उसने कहा कि क्या मैं ये कोशिश कर सकता हूं। वहां खड़े पहरेदारों को हंसी आ गई। उन्होंन कहा कि इतने बड़े बड़े विशेषज्ञ, गणितज्ञों और पढ़े लिखे लोगों से तो ये दरवाजा खुला नहीं, तु कैसे खोलेगा। फिर उन्होंने कहा कि अच्छा ठीक है, जैसे सब कोशिश कर रहे हैं तू भी कोशिश कर ले।
मिल गया सवाल का जवाब
लड़के ने सवाल को देखा थोड़ा ध्यान लगाया और फिर उठा। धीरे धीरे आगे बढ़ और उसने दरवाजा खोल दिया। सब हक्के बक्के रह गए। राजा को सूचना मिली तो वो तुरंत पहुंचे। किसी की समझ नहीं आ रहा था कि इतने लोगों के बीच एक साधारण से बच्चे ने ये सवाल कैसे ढूंढ लिया।
राजा ने पूछा आखिर तुमने इस सवाल का जवाब कैसे ढूंढ लिया। बच्चे ने कहा- मैंने सवाल पढ़ा और ध्यान लगाया। मुझे पता चला कि इस सवाल का इस दरवाजे को खोलने से तो कोई संबंध ही नहीं है। दरवाजे का बस खुलना जरुरी है, इसलिए मैंने हाथ बढ़ाकर दरवाजा खोला ताकी पता चले की इसे किसी हल की जरुरत है या नहीं, लेकिन ये तो बिना किसी जवाब के ही खुल गया।
राजा ने उसकी समझदारी की तारीफ करते हुए उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। राजा ने कहा- आप लोग एक छोटी सी परेशानी के लिए इतना बड़ा हल ढूंढ रहे थे। ऐसे ही होता है कई बार समस्याएं काफी छोटी होती हैं, लेकिन सोच सोचकर हम उसे बड़ा बना देते हैं। राजा ने जो सूत्र लिखवाया था असल में तो उसका कोई मतलब ही नहीं था। उन्हें बस अपने राज्य के लिए एक समझदार और ज्ञानी व्यक्ति की जरुरत थी जो उन्हें मिल चुका था।
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