भगवान इंसान के अंदर ही बस कर दूसरे की मदद कर देते हैं और हर किसी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं
बहुत पहले की बात है। एक सेठ अपने पूरे परिवार के साथ रहता था। उसके पास बहुत धन धान्य था। उसका घर परिवार भी बहुत सुखी था। उसके पास ना पैसे की कमी थी, ना परिवार की। उसके संबंध भी सबसे अच्छे थे। पूरे परिवार की समाज में बहुत इज्जत थी। एक बार ऐसा हुआ कि सेठ की रातों की नींद उड़ने लगीं। कई दिन ऐसे बीत जाते जब उसे देर से नींद आती। एक दिन ऐसा हुआ कि सेठ को बिल्कुल ही नींद नहीं आ रही थी। उसे बेचैनी हो रही थी की आखिर उसे इतनी बैचेनी क्यों हो रही है।
सेठ को नहीं आ रही थी नींद
उस दिन सेठ घर में अकेला था। उसका पूरा परिवार एक रिश्तेदार की शादी में गया था। वो रात भर परेशान था। सोचता की जल्दी नींद आए तो सो जाउं लेकिन नींद आने का नाम ही नहीं ले रही थी मन बेचैन हो रहा था उसने सोचा की रात में मंदिर में भगवान के दर्शन कर आता हूं, क्या पता मुझे थोड़ा चैन आ जाए। शायद भगवान के दर्शन से मन में सुकुन आए और तुरंत वो मंदिर वाली गली में मुड़ गया।
सेठ जब मंदिर पहुंचा तो देखा की एक बूढ़ा सा आदमी मंदिर की सीढ़ियों पर रो रहा है। सेठ ने उसे देखा तो पूछा कि भाई तुम क्यो रो रहे हो? आदमी ने कहा- क्या बताऊं, अपने हालात को रो रहा हूं। मैं बहुत गरीब आदमी हूं। मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं है और मेरी पत्नी बीमार है। डॉक्टर ने कहा है कि अगर पैसों का इंतजाम सही समय पर नहीं हुआ तो पत्नी की जान चली जाएगी।
मेरे पास तो पैसे बचे नहीं, जो भी पैसे थे सब पत्नी की बीमारी में लग गए। अब इतनी रात को अचानक से पैसे कहां से ले आऊं? सेठ ने कहा- तुम चिंता क्यों करते हों मेरे पास पैसे हैं, तुम सारे पैसे ले लो और अगर और पैसों की जरुरत हो तो घर चलो मैं तुम्हें दे दूंगा।
सेठ ने की बूढ़े व्यक्ति की मदद
बूढ़ा खुश होते बोला- सेठजी मैं आपसे पैसे ले तो लूं, लेकिन उन्हें चुकाने की हिम्मत मुझमें नहीं है। मैं आपका कर्जा माफ नहीं कर पाया तो। सेठ ने कहा कि इस बारे मे सोचने की कोई जरुरत नहीं है। मुझे आज तक किसी की सेवा करने का मौका नहीं मिला। तुम्हें मुझे पैसा देने की कोई जरुरत नहीं है अभी अपनी पत्नी का इलाज कराओ और ऐसा कहकर सेठ ने सारा पैसा उस बूढ़े व्यक्ति को दे दिया।
बूढ़ा सेठ को आशीर्वाद देते हुए खुशी खुशी जाने लगा। बूढ़े ने कहा कि आज मेरी पत्नी की जान सिर्फ आपकी वजह से बच पाएगी। ऐसा कहकर वो वहां से चला गया। अब सेठ ने मंदिर में आगे कदम बढ़ाए बिना ही पैर मुड़ा लिए। उसे एहसास हो गय़ा कि जो सब हो रहा था उसमें भगवान वैसे ही सामने बैठे थे। अब उसका मन प्रसन्न था। चेहरे पर रौनक थी दिल में सुकून था। उसने भगवान को धन्यवाद दिया और कहा –प्रभु मैं समझ गया कि मुझे बैचेनी क्यों हो रही थी, आप मेरे जरिए इस बूढ़े की मदद करवाना चाहते थे। आपने मुझे बैचेन किया और इस बूढ़े का काम हो गया।
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