सत्य कितना भी कड़वा क्यों ना हो अगर मीठी वाणी का प्रयोग किया जाए तो अच्छा होता है
एक राज्य में बड़े ही दयावान और समझदार राजा रहा करते थे। वो अपनी प्रजा से बेहद प्रेम करते थे। प्रजा भी उन्हें बहुत मानती थी। एक दिन उनके राज्य में ज्योतिष आया। उस ज्योतिष को सिद्धी प्राप्त थी। वो जो भी भविष्यवाणी करता वो सच हो जाती। ऐसी खबर फैलती फैलती राजा के महल में पहुंची। राजा के मन में भी उत्सुकता जागी और उन्होंने कहा कि इस ज्योतिषि को महल में बुलवाया जाए। वो जानना चाहते थे कि क्या सच में ये ज्योतिष सही बातें बता सकता है की नहीं।
राजा ने ज्योतिषि को दिखाई कुंडली
ज्योतिषि राजा के महल में पहुंचा। वहां उसका भली भांति सत्कार किया गया। फिर राजा ने अपने कुंडली उसे दिखाई। ज्योतिषि ने अच्छे से गुणा भाग किया औऱ जो भी कुंडली में लिखा था सारी बातें समझ ली और चेहेर पर तनाव की लकीरें खींच गई। राजा के मन में बैचेनी बढ़ने लगी की ऐसा मेरी कुडंली में क्या लिखा है जो ज्योतिषि अभी तक कुछ नहीं कह रहा है।
ज्योतिषि ने राजा से कहा- महाराजा, आपका तो पूरा जीवन ही व्यर्थ है। आपकी कुंडली में लिखा है कि आपके सारे रिश्तेदार ही आपके सामने मर जाएंगे। आपके पत्नी बच्चे तो क्या आपनी आने वाली एक पूरी पीढ़ी ही आपके सामने खत्म हो जाएगी पूरे वंश में आप अकेले रह जाएंगे। ज्योतिषि की बात सुनकर राजा का मन दुखी हो गया। वो उदास रहने लगे।
राजा का अब किसी काम में मन नहीं लगता। उन्हें अपनी पत्नी और पुत्रों की चिंता होती। पत्नी ने भी कई बार दुख का कारण जानना चाहा, लेकिन वो किसी से कुछ ना कहते। यहां तक की राजा को दुखी देखकर मंत्री भी परेशान रहते औऱ सोचते की ऐसा क्या किया जाए की महाराज का दूख दूर हो, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती की राजा से कुछ कहा जाए।
दूसरे ज्य़ोतिषि ने बताई बात
एक दिन एक मंत्री ने राजा को एकांत में देखकर पूछ लिया –महाराज क्या बात है, आप इतने दिनों से परेशान हैं। ऐसी कौन सी बात है जो आपको परेशान किए हुए हैं। किस बात को लेकर आप इतने चिंतित है। राजा ने कहा कि ज्योतिषि ने उस दिन मुझसे कहा था कि मेरे सामने ही मेरे राज्य का नाश हो जाएगा और मैं अपने वंश में अकेले रह जाऊंगा। मंत्री राजा की परेशानी का कारण भी समझ गया। उसने कहा कि महाराज मैं एक जग्गनाश पंडित हैं उनको जानता हूं, बेहतर होगा की आप एक बार उन्हें भी अपनी कुंडली दिखा दें।
राजा तैयार हो गए औऱ कहा ठीक है एक बार उन्हें भी बुला लो। मंत्री ने पंडित जग्गनाश को बुलाया औऱ उन्हें सारी परेशानी बाई। साथ ही बताया कि पुराने पंडित की बात से ही महाराज दुखी हैं। पंडित जगन्नाथ ने महाराज की कुंडली देखी उसमें सारी बातें तो वैसे ही लिखी थी। हालांकि पंडित ने बातों को दूसरे तरीके से राजा को बताया।
पंडित ने कहा- महाराज , आपकी कुंडली तो बहुत उत्तम है। इसमें लिखा है कि आपका जीवन बहुत ही खुशहाल रहेगा। आप दीर्घायु होंगे। परिवार में सबसे लंबी उम्र आपकी होगी। आपकी देख रेख में आपका राज्य उन्नति करेगा और दुख का कोई योग तो इसमें है ही नहीं। ये सारी बातें सुनकर राजा बेहद खुश हो गए। उन्होंने सोचा मैं तो यू हीं परेशान हो रहा था। इन सारी बातों पता चलता है कि सच को भी अगर मधुरता और तरीके से बोला जाए तो वो कड़वा नहीं लगता है।
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