भगवान ने हमें बुद्धि और शक्ति दोनों दी है इसलिए हमें किसी पर आश्रित नहीं रहना चाहिए
एक पुरानी कथा के अनुसार एक गांव में एक किसान रहता था। वो अपनी मेहनत से पैसा कमाता था और अपने परिवार का पेट पालता था। उसकी मेहनत की हर कोई तारीफ करता था। कुछ लोग कहते थे कि अगर वो इसी तरह से मेहनत करता रहा तो एक दिन बहुत आगे निकल जाएगा। किसान भी मन ही मन प्रसन्न रहता औऱ उसका ध्यान और ज्यादा मेहनत करने की ओर लगता। एक दिन किसान एक जंगल में लकड़ी काटने गया।
किसान के सामने आए लोमड़ी और शेर
जब किसान जंगल में लकड़ियां काट रहा था उसी वक्त उसने देखा की एक लोमड़ी थोड़ी दूर पर है। उसके दो पैर नहीं है, लेकिन वो पूरी तरह स्वस्थ है। किसान के दिमाग में आया कि बिना पैर को भी इस लोमड़ी का स्वास्थ अच्छा कैसे है और लोमड़ी जिंदा कैसे है। कुछ देर बाद एक शेर की दहाड़ किसान को सुनाई दी औरं वो छिपकर पेड़ के पीछे बैठ गया।किसान ने सोचा अब इस बेचारी लोमड़ी का शिकार तो ये शेर कर लेगा, लेकिन उसने जो देखा उसके होश उड़ गए। उसने देखा कि शेर अपने मुंह में शिकार दबाकर लाया है और लोमड़ी के सामने कुछ हिस्सा डाल दिया जिससे वो भी भोजन कर सके। उसने लोमड़ी को कुछ नहीं किया।
किसाने ने सोचा ये तो बड़ा ही गजब हो गया। ये सब भगवान की कृपा है वो कितना दयालु है जो उसने सबके बारे में सोचता है। उसने सोचा की भगवान सिर्फ इंसानों के ही नहीं बल्कि जानवरों के बारे में भी सोचता है और भगवान हर किसी के खाने का इंतजाम कर देता है। ये सोचकर किसान ने कुल्हाड़ी छोड़ दी और बैठकर इंतजार करने लगा कि अब उसके लिए भी कहीं ना कहीं से कोई भोजन लेकर जरुर आएगा।
किसान कामधाम छोड़ दिनभर भगवान का ध्यान करता रहा, लेकिन कोई उसके खाने के लिए कोई भी चीज नहीं लाया। ऐसा करते हुए काफी वक्त बीत गया, लेकिन कोई भोजन नहीं आया। अब भूख के मारे उसकी हालत एकदम खराब होने लगी। वो बैठे बैठे परेशान होने लगा।उसी समय एक संत उसी रास्ते से गुजर रहे थे। किसान को परेशान देख उसके पास पहुंचे और कहा कि क्या बात है तुम्हें किस बात की परेशानी हो रही है। किसान ने लोमड़ी और शेर वाली बात संत को बताई। संत ने कहा- तुम इतने मुर्ख कैसे हो सकते हैं। जो दृष्य तुमने अपने सामने देखा उससे गलत संदेश कैसे ले लिया।
तुमने देखा कि लोमड़ी के लिए शेर खाना लाया और तुमने खुद को लोमड़ी समझ लिया जबकि तुम्हें देखना चाहिए था कि उसके दो पैर नहीं थे और तुम्हारे पास हाथ पैर सब हैं। इस कहानी में तुम शेर हो जिसे अपने साथ साथ दूसरों की भी मदद करनी है। आज तुम खुद भी भूखे बैठे औऱ परिवार को भी भूखा रखा, जबकि तुम्हारा काम लकड़ियां काट कर धन कमाना औऱ भोजन खरीदना था।किसान ने कहा- हे महाराज, मुझे आपकी बात समझ आ गई है, मुझसे ये बड़ी भूल हो गई जो मैं भगवान का इशारा नहीं समझ पाया। मैं मेहनत से कमाता था तो मुझे आजतक भूखा नहीं बैठना पड़ा था, आज मैंने हाथ रोक दिए तो खाने को कुछ नहीं मिला, मैं अब मेहनत करता जाउंगा औऱ परिवार का पेट पालूंगा।भगवान ने हमें शक्ति औऱ बुद्धि दोनों दी है जिससे हम अपनी किस्मत खुद लिख सकते हैं।
यह भी पढ़ें