पाकिस्तान के पसीने छुड़ाएगा, भारतीय नौसेना का स्वदेशी युद्दपोत आईएनएस इंफाल
भारतीय नौसेना में आईएनएस इंफाल जहाज शामिल हो गया है और इस जहाज के आने से हमारे देश की नौसेना की ताकत और बढ़ गई है। आईएनएस इंफाल को शनिवार के दिन मुंबई के मझगांव तट पर समुद्र में उतारा गया है। ये जहाज काफी आधुनिकता से लैस है। आईएनएस इंफाल में रडार को चकमा देने की क्षमता है, जो कि इस जहाज को बेहद खास युद्धपोत बनता है। आईएनएस इंफाल को भारत में ही बनाया गया है और ये एक स्वदेशी युद्धपोत है। इस समुद्री जहाज को नौसेना में शामिल करने के मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा भी मौजूद थे और उन्होंने इस जहाज की खासियतों को बताया और कहा कि ये हमारे लिए एक बड़ उपलब्धि है।
60 साल बाद मिली ये कामयाबी
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने आईएनएस इंफाल को लांच करते हुए कहा कि 60 के दशक में शुरू की गई मेहनत रंग लाई है। पहले हमारे देश की नौसेना खरीददार हुआ करती थी मगर अब वो निर्माता बन गई है। हमारे देश की नौसेना पूरी तरह से आत्मनिर्भर है और इंफाल पूरी तरह स्वदेशी है। इंफाल को बनाने में इस्तेमाल हुआ 75 फीसदी सामान स्वदेशी निर्माताओं से ही लिया गया है।
3,037 टन के वजन का है जहाज
इस समुद्री जहाज का वजन 3,037 टन है और इस जहाज में आने वाले समय में नौसेना अत्याधुनिक हथियारों और ताकतवर ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइलों को लगाएगी। जिससे इस युद्धपोत की ताकत और बढ़ जाएगी। 163 मीटर की लंबाई और 17.4 मीटर की चौड़ाई वाला ये जहाज गाइडेड मिसाइलों को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है। इस जहाज की मिसाइल समुद्र सहित जमीन और आकाश में भी निशाना लगा सकती हैं। इसके अलावा इस जहाज पर दो हेलीकॉप्टर भी रखे जा सकते है।
एक और आईएनएस बनाया जा रहा है
आईएनएस इंफाल को प्रोजेक्ट 15 बी के तहत बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत इससे पहले दो युद्धपोत आए थे जो कि साल 2015 और साल 2016 में आए थे। ये दोनो युद्धपोत विशाखापत्तनम और मोरमुगाओ बंदरगाह के समुद्र में उतारे गए थे। प्रोजेक्ट 15 बी के अब ये तीसरा युद्धपोत नौसेना में शामिल हुआ है। जबकि एक अन्य आईएनएस पोरबंदर का निर्माण कार्य अभी जारी है और ये भी जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा।
आईएनएस विक्रांत था पहला युद्धपोत जहाज
हमारी देश की नौसेना को उनको पहला वाहन पोत साल 1957 में मिला था। जिसे हमारे देश की सरकार ने ब्रिटेन से खरीदा था। जिस वक्त इस वाहन पोत को खरीदा गया था उसका नाम एचएमएस हर्क्युलि था। लेकिन बाद में इसका नाम आईएनएस विक्रांत रख दिया गया था। आईएनएस विक्रांत को साल 1961 में नौसेना में शामिल किया गया था। आईएनएस विक्रांत ने साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी और पाकिस्तान के खिलाफ हुए इस युद्ध को जीतने में मदद की थी। ये जहाज साल 1997 तक नौसेना में शामिल रहा था। वहीं अब हमारी नौसेना में आईएनएस इंफाल शामिल हो गया है और ये जहाज काफी ताकतवर है। इस समुद्री जहाज की मदद से जल सेना हमारे देश की रक्षा दुश्मनों से और अच्छे से कर सकेगी।