शोक दिवस के रुप में मनाया जाता है प्रभु यीशू का ये पर्व, जानें फिर क्यों कहते हैं गुड फ्राइडे
गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के लोग पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं। इस पर्व को ईसाई शोक दिवस के रूप में मनाते हैं।बाइबल के अनुसार ईसा मसीह को तमाम शारीरिक यातनाएं देने के बाद उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया था तब से लेकर आजतक इस दिन को ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाया जाता है। हालांकि सभी के मन में ये सवाल आता है कि कि जब इस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया गया था तो यह दिन गुड(अच्छा) कैसे हो सकता है।
क्यों कहते हैं इसे गुड फ्राइडे
ईसाई धर्म और उनके धर्मग्रन्थ बाइबल के अनुसार ईसा मसीह ने मानव जाति की भलाई और उनकी रक्षा के लिए अपनी जान दी थी, इसलिए इस दिन को गुड कहकर संबोधित किया जाता है। सूली पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद ईसा मसीह जिंदा हो उठे थें जिसे ईस्टर संडे के रुप में मनाया जाता है। इस साल गुड फ्राइडे 19 अप्रैल को मनाया जा रहा है।
ईसा मसीह को परमेश्वर के बेटा माना जाता हैं। अज्ञानता के अंधेरे को दूर करने के लिए उनका जन्म हुआ था। उस समय यहुदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने ईसा मसीह का विरोध किया औऱ इसी क्रम में ईसा मसीह को क्रॉस पर लटकाकर जान से मारने का आदेश दे दिया गया। अपने हत्यारों की उपेक्षा करने के बजाय ईसा मसीह ने उनके लिए प्रार्थना करते हुए कहा था ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं’। जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था उस शुक्रवार(फ्राइडे) का दिन था। तब से इस दिन को ईसाई समुदाय के लोग पूरी श्रद्धा से गुड फ्राइडे के रूप में मनाते हैं।
इन नामों से भी जाना जाता है ‘गुड फ्राइडे’
ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और ब्लैक फ्राइडे के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन ईसाई समुदाय के ज्यादातर लोग काले कपड़े पहनकर शोक मनाते हैं। ईश्वर से अपनी गलतियों की माफी मांगते हैं। साथ ही चर्च जाकर ईश्वर की आराधना करते हैं। आज के दिन ही ईसा मसीह मानव जाति की भलाई और रक्षा के लिए सूली पर लटक गए थें इसलिए इस दिन को उनके बलिदान के रूप में देखा जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। यह दिन प्रायश्चित और प्रार्थना का दिन है इसलिए आज के दिन चर्च में घंटिया नहीं बजाई जातीं।
ईसाईयों के पवित्र धर्मग्रन्थ बाइबल में उल्लेख है कि ईसा मसीह को पूरे 6 घंटे सूली पर लटकाया गया था। यह भी कहा जाता है कि आखिरी के 3 घंटों में चारों तरफ रात की तरह अंधेरा छा गया था। जब ईसा मसीह के प्राण निकले जलजला सा आ गया था औऱ मानों ऐसा लग रहा था कि कुछ होने वाला है। कब्रों की कपाटें तक खुल गई थीं। दिन में अंधेरा हो गया। कहा जाता है कि इसी वजह से चर्च में दोपहर में करीब 3 बजे प्रार्थना होती है लेकिन किसी तरह का समारोह नहीं होता।
अंतिम समय में भी दिया कल्याणकारी संदेश
जब कट्टरपंथियों और अधर्मियों ने मिलकर ईसा मसीह को यात्नाएं दी और उन्हें सूली पर लटकाने से पहले कांटों का ताज तक पहना दिया तो भी प्रभु ईशू के मुख से उनके लिए सिर्फ क्षमा और कल्याण के संदेश ही निकलें। ईसा मसीह ने अंतिम समय में भी मानव जाति को यह संदेश देते गए कि कोई आपके साथ चाहे जितना भी बुरा करे लेकिन आप उसे क्षमा कर दें क्योंकि क्षमा करने वाले का स्थान हमेशा ऊंचा रहता है।
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