एक थप्पड़ ने बदल दी थी ललिता पवार की पूरी जिंदगी, जालिम सास का मिलने लगा था रोल
न्यूज़ट्रेंड एंटरटेनमेंट डेस्क: टीवी सीरियल रामायण में मंथरा का किरदार निभाने वाली औरत आपको याद हैं ना। जी हां हम बात कर रहे हैं ललिता पवार की जो 80 के दशक की पॉपुलर हिरोइनों मे से एक थीं। बता दें कि अंबा का जन्म साल 1916 में नासिक में हुआ था। ललिता एक बेहतरीन अदाकारा थीं और उस दौर पर उनको कई फिल्मों में काम मिल रहा था। बता दें कि ललिता ने अपने करियर में कई फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम किया है। ललिता ने बतौर कलाकार इस इंडस्ट्री में कदम रखा था। लेकिन उनको सबसे ज्यादा फेमस बनाया था, टीवी सीरियल रामायण में निभाए गए उनके मंथरा के किरदार ने।
उस वक्त लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता था इसलिए ललिता भी ज्यादा पढ़ नहीं पाई थी। शायद आप जानते हों लेकिन ललिता का असली नाम अंबा था। ललिता ना सिर्फ एक अच्छी अभिनेत्री बल्कि एक अच्छी गायिका भी थीं। उनका करियर बहुत ही अच्छा चल रहा था, लेकिन एक वक्त ऐसा आया की ललिता की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। बॉलीवुड में एक अच्छी हिरोइन बनने आई ललिता को विलेन के रोल मिलने लगे और उसके पीछे वजह थी एक थप्पड़। एक थप्पड़ ने ललिता की जिंदगी इस कदर बदल दी कि उन्होंने भी कभी ऐसा सोचा नहीं होगा।
दरअसल बात साल 1942 की है उस वक्त ललिता फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के एक सीन की शूटिंग कर रही थीं। उस फिल्म में ललिता के साथ भगवान दादा भी थे। उस सीन के दौरान भगवान दादा को ललिता को एक थप्पड़ मारना था। लेकिन भगवान दादा ने ललिता को इतनी जोर का थप्पड़ मारा की उनके कान से खून बहने लगा। जिसके इलाज के लिए उनको फौरन डॉक्टर के पास ले जाया गया। लेकिन डॉक्टर की लापरवाही से और किसी गलत दवा की वजह से ललिता के शरीर के दाहिने हिस्से को लकवा मार गया। और बस उस वक्त से ललिता की जिंदगी पूरी तरह बदल गई।
बता दें कि लकवे की वजह से ललिता की दाहिनी आंख पूरी तरह से सिकुड़ गई और उनका चेहरा खराब हो गया। क्योंकि एक्टिंग के लिए अभिनेत्री का सुंदर होना एक आवश्यक चीज होती है। जिसके चलते ललिता को फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया। जहां उनका करियर ऊचाइयों को छू रहा था उस एक थप्पड़ ने ललिता को अर्श से फर्श पर ला दिया। लेकिन ललिता ने हार नहीं मानी। वो इसके बावजूद भी काम की तलाश करती हैं। जिसके बाद साल 1948 में उन्हें फिल्म गृहस्थी में काम करने का मौका मिला।
ललिता की एक आंख बंद होने की वजह से उनको जालिम सास के रोल मिलने लगे थे। लेकिन ललिता ने इस बात से कभी मुंह नहीं बनाया। जिसके बाद फिल्म उन्होंने ‘अनाड़ी’ (1959) में दयावान मिसेज डीसा, ‘मेम दीदी’ (1961) की मिसेज राय और ‘श्री 420’ (1955) में ‘केले वाली बाई’ का किरदार निभाया।
बात करें ललिता की पर्सनल लाइफ की तो उसमें वो काफी अकेले रही। पहले ललिता को उनके पति गणपत ने धोखा दिया। बता दें कि उनके पति गणपत को उनकी ही छोटी बहन से प्यार हो गया था। जिसके बाद ललिता ने फिल्म निर्माता राजप्रकाश गुप्ता से शादी की। बता दें कि ललिता ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 700 फिल्मों में अभिनय किया।
लेकिन अपने जीवन के अंतिम समय में ललिता अकेले ही रहीं। दरअसल ललिता अपने पति के साथ पुणे में रहती थीं। और उनका बेटा अपने परिवार के साथ मुंबई में। उनके पति राजप्रकाश की खराब तबीयत की वजह से वो अस्पताल में भर्ती थे और ललिता अपने बंगले आरोही में अकेले ही रह रही थीं। तभी एक दिन वो कब दुनिया को अलविदा कह गई इस बात का किसी को पता नहीं लगा। उनकी मौत की खबर 3 दिन बाद मिली। जब उनके घर में किसी ने फोन नहीं उठाया और जब घर का दरवाजा खोला गया तो पाया गया कि ललिता की मौत हो चुकी हैं।