लालच ना सिर्फ मानसिक शांति भंग कर देता है बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते को भी खराब कर देता है
बहुत पुराने समय़ की बात है। एक राज्य में पति-पत्नि बहुत सुख से रहा करते थे। पति दिनभर राजा के महल में मेहनत का काम करता था। उस राज्य का राजा बहुत समझदार था और अपने सेवकों का बहुत ध्यान रखता था। सेवक भी वहां बहुत ईमानदारी से काम करता था। उसकी ईमानदारी और मेहनत से प्रसन्न होकर राजा उसे रोज एक सोने का सिक्का दिया करते थे। जब वो घर आता तो उसके चेहरे पर काम का गर्व रहता और पैसे और पति की मेहनत देखकर पत्नी को भी खुशी होती।
यक्ष ने सेवक को दिए सोने के घड़े
एक बार सेवक राजा के महल से अपने घर के रास्ते जा रहा था। रास्ते में उसे यक्ष मिले। यक्ष ने कहा- तुम राजा के महल में काम करते हो ना। सेवक ने बड़ी ही विनम्रता से बताया कि वो वहां पर काम करता है। यक्ष ने कहां तुम्हारी ईमानदारी के चर्चे तो बड़ी दूर दूर तक हैं। मैं स्वयं तुम्हारी ईमानदारी से प्रसन्न हूं। इसके चलते मैं आज तुम्हें सात सोने के सिक्के से बड़े घड़े दान करता हूं। तुम घर जाओं वहां तुम्हें घड़े मिल जाएंगे।
व्यक्ति उछलता कुदता घर गया औऱ पत्नी को सारी बात बताई। फिर दोंनों आखिरी कमरे में पहुंचे तो देखा कि वो सोने के साथ घड़े हैँ। 6 घड़े में सिक्के रखें हैं, लेकिन आखिरी घड़ा खाली है। सेवक को बहुत क्रोध आया। उसके पत्नी से कहा की ये तो हमारे साथ धोखा है मुझे तो 7 घड़े की बात हुई थी। वो वापस गुस्साता हुआ उसी रास्ते पहुंचा जहां यक्ष से उसकी मुलाकात हुई थी। यक्ष फिर वहां प्रकट हुए।
सेवक ने क्रोध मे पूछा आपने तो सात घड़ों का वादा किया था, लेकिन सोने के सिक्के से भरे सिर्फ 6 घड़े ही मौजूद हैं। यक्ष ने कहा- हां, बस सांतवा घड़ा तुम्हें अपनी मेहनत से भरना है। सेवक समझ गया। उसने कहा मैं आराम से ये घड़ा भर दूंगा। अगली सुबह वह काम पर गया तो उसके दिमाग में सिर्फ एक ही धुन सवार थी की उसे सांतवा घड़ा भरना है।
राजा ने की सेवक की मदद
वो पागलों की तरह काम करता, लेकिन बदले में जब सिर्फ एक ही सिक्का मिलता तो उसे क्रोध आने लगता। धीरे धीरे घड़ा भरने की उसकी चाहत पागलपन में बदलने लगी। उसकी पत्नी समझाती की बाकी 6 घड़ें तो भरे हैं इतना क्रोध ना करें। पति रोज उससे झगड़ता। दोनों के बीच रोज बहस होने लगी। पत्नी रुठ के मायके चली गई।
राजा को ये बात पता चली तो उसने एक सिक्के के बजाए दो सिक्का देना शुरु कर दिया। इसके बाद भी उसका घड़ा जल्दी नहीं भरता। सेवक काम करते करते परेशान हो गया, लेकिन घड़ा नहीं भरा। एक दिन उसे परेशान देखकर राजा ने उससे उसका हाल जानना चाहा। उसने फौरन राजा को सारी बात बता दी। राजा ने कहा- तुम यक्ष को सारे घड़े वापस कर दो क्योंकि जो सांतवा घड़ा है वो लालच का घड़ा है औऱ वो कभी नहीं भरेगा।
सेवक ने सातों घड़ें यक्ष को लौटा दिए। इसके बाद उसके जीवन में फिर से शांति आ गई वो अपनी पत्नी को मायके से ले आया और उससे माफी मांग ली। वो फिर से मेहनत से काम करने लगा और सिर्फ धन कमाने नहीं बल्कि अपने परिवार को खुश रखने के बारे में सोचता। उसे समझ आ गया था कि लालच के घड़े को आप कभी भी नहीं भर सकते हैं, जो जैसा हैं उसी में संतुष्ट रहना सीखें।
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