इंजीनियरिंग के छात्रों ने सिर्फ 14 हजार मे बनाई बाइक एंबुलेंस,गांव के मरीजों को होती थी परेशानी
आजकल पैसा और दिमाग हो तो कोई कुछ भी कर सकता है. फिर किसी चीज का अविष्कार हो या फिर किसी बिजनेस का स्टार्टअप, दोनों में आज के युवा कुशल और होशियार हैं. बस उन्हें चांस मिलना चाहिए और फेमस होने का काम तो सोशल मीडिया कर ही देता है. कुछ ऐसा ही कर दिया मध्यप्रदेश के एक शहर के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इंजीनियरिंग कॉलेज में फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाले चार छात्रों ने, और ऐसा कुछ बना दिया जिससे गांव में रहने वालों को भी एंबुलेंस की कमी भी नहीं खलेगी. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि जो लोग गांव में रहते हैं और एंबुलेंस की वजह से उनका सही उपचार नहीं हो पाता है. इसलिए इंजीनियरिंग के छात्रों ने सिर्फ 14 हजार मे बनाई बाइक एंबुलेंस, उनके इस काम से हर तरफ उन्हें सराहना मिल रही है.
इंजीनियरिंग के छात्रों ने सिर्फ 14 हजार मे बनाई बाइक एंबुलेंस
मध्यप्रदेश के झाबुआ में रहने वाले चार दोस्त पप्पू ताहेड़ निवासी मेघनगर, वेद प्रकाश निवासी झाबुआ, प्रेमकिशोर तोमर निवासी कट्ठीवाड़ा और सोनू कुमार निवासी बिहार के और इन लोगों ने सिर्फ 14 हजार रुपये के खर्च में एक ऐसा एबिलेंस बनाया है जो गांव क्षेत्र के लोगों के खूब काम आने वाला है. इस एंबुलेंस में मरीज को रखने वाले हिस्से में स्कूटर का एक टायर लगाया गया है, जिसमें फर्स्ट एड किट की जगह है और एक ऑक्सीजन सिलेंडर भी लगाया गया है. छात्रों का कहना है कि 15 मिनट में इस एंबुलेंस को एक बाइक से निकालकर दूसरी बाइक में लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि ग्रामिण क्षेत्र में जहां सड़के नहीं है और हैं तो बहुत सकरी है वहां लोग बीमार पड़ते हैं और एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती जिसकी वजह से बहुत से लोगों को गंभीर समस्या होती है लेकिन अब गांव वालों को ऐसा नहीं झेलना पड़ेगा. तीन वी क्लेम्प लगाकर एंबुलेंस को किसी भी बाइक से जोड़ा जा सकता है और एक इंजन के नीचे चेसिस पर, दूसरा लेग गार्ड पर और तीसरा पीछे वाले फुट रेस्ट के पास वाली जाली में लगा है.
वी क्लेम्प ऐसा गोल उपकरण है जिससे अलग-अलग साइज होने पर किसी भी चीज में कसा जा सकता है. छात्रों ने ये बाइक एंबुलेंस बनाई है जिसमें हुड लगना बाकी रह गया है. छात्रों ने बताया कि एंबुलेंस बनाने के दौरान हर एक नया पुर्जा लगाने के बाद उसकी टेस्टिंग की, जिससे बाद में किसी को परेशानी नहीं हो. कई सारे उपररण बदलने पड़े और उसमें सुधार भी करना पड़ा. अब हमें लगता है कि ये परफेक्टली बन चुकी है. पप्पू, वेद, सोनू और प्रेम को अपने -अपने गांव में आने वाली समस्याओं को देखकर ऐसा आइडिया आया. उन्होंने बताया कि बाइक एंबुलेंस पहले भी आई है लेकिन हम सस्ती और आसानी से काम में आ जाए ऐसा एंबुलेंस बनाए हैं और सफल भी हुए ये एक बाइक में हमेशा के लिए फिक्स नहीं रहेगी, इसलिए बाइक का नियमित उपयोग भी किया जा सकता है.