डिलिवरी के दौरान महिलाओं के साथ ऐसा फ्रॉड करते हैं डॉक्टर्स, यकीन नहीं कर पाएंगे आप
हर माँ यही चाहती है की जब उसके बच्चे का जन्म हो रहा हो तो उस दौरान बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी से हो लेकिन कई बार ऐसा भी देखा गया है की नॉर्मल डिलीवरी के दर्द से बचने के लिए या फिर दिन-ब-दिन खराब होते लाइफस्टाइल की वजह से क्रिटिकल कंडीनशन होने पर डॉक्टर सीजेरियन की सलाह देते हैं। आमतौर पर ऐसा देखा गया है की एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देना हर माँ का सपना होता है और इसी चाहत में वो प्रसव के दौरान डॉक्टर्स की बताई हुई हर बात को पत्थर की लकीर समझ कर मानती है क्योंकि उसे लगता है ये उसके बच्चे के लिए सही है। मगर कभी कभी ऐसा भी देखने या सुनने को मिल ही जाता है की डॉक्टर्स अपना समय बचाने के लिए भी सिजेरियन डिलीवरी का सुझाव देते है जो बिलकुल भी सही नहीं है। आपको बताते चलें की इस मामले से जुड़ी WHO की एक रिपोर्ट सामने आई है जो निश्चित रूप से आपको चौंका देगी।
क्या कहती है WHO की रिपोर्ट
असल में इस रिपोर्ट के मुताबिक डिलिवरी के वक्त डॉक्टर्स मरीज से फ्रॉड करते हैं। जी हाँ, उन्हें लगता है कि नॉर्मल डिलिवरी करने में ज्यादा समय बर्बाद होता है इसलिए सीजेरियन ऑपरेशन कर दो और यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में नॉर्मल डिलिवरी की अपेक्षा सीजेरियन डिलिवरी में दोगुनी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। आपको बताते चलें की नॉर्मल डिलीवरी में महिलाओं दर्द का ज्यादा सामना करना पड़ता है और इन हालातों में डॉक्टर्स के लिए भी इंतज़ार का समय खासा लंबा हो जाता और महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी डॉक्टर्स का ज्यादा समय लेती हैं। अब इस समय को कम करने के लिए डॉक्टर्स महिलाओं को जरूरत ना रहते हुए भी सिजेरियन ऑपरेशन का परामर्श कर देते हैं जो की एक तरह से मरीज के साथ साफ साफ धोखाधड़ी या फ़्राड ही माना जाएगा।
हालांकि यह एक अकेला ऐसा मामला नहीं है बल्कि इसके अलावा भी देश भर के कई अस्पतालों पर मरीजों के साथ धोखाधड़ी, लापरवाही, जरूरत से ज्यादा बिल और रुपये ऐंठने के मामले सामने आते रहे हैं, ऐसे में एक दशक में सिजेरियन डिलीवरी में दोगुनी वृद्धि कई सवाल पैदा करती है। इससे महिलाओं की जिंदगी पर पड़ने वाले दुष्परिणामों को भी नकारा नहीं जा सकता है। यह बात पता होनी चाहिए की समय को बचाने के लिए बिना वजह शरीर में चिरा लगाना यानी की सीजेरियन डिलीवरी करने से महिला का शरीर काफी ज्यादा कमजोर हो जाता है और सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान नॉर्मल डिलीवरी से तकरीबन दो गुना खून का रिसाव होता है।
देखा जाए तो नॉर्मल प्रसव से सिर्फ दर्द होता है जबकि डाक्टरों द्वारा ऑपरेशन से प्रसव होने के बाद महिला का शरीर अंदर से काफी कमजोर हो जाता है जो जीवनभर की समस्या बन जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि आपको यह भी बताते चलें की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि ऑक्सीटोसिन नामक एक दवा का उपयोग सिजेरियन डिलीवरी के दौरान बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। बता दें की इस दावा के इस्तेमाल महिलाओं की प्राकृतिक डिलीवरी से बड़ी छेड़छाड़ है और इसका काफी ज्यादा कुप्रभाव महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है।