जीवन में अगर उत्साह ना हो तो कोई भी काम सफल नहीं हो सकता, उत्साह ही हमें प्रेरणा देता है
पहले के समय में राजाओं के पास हाथी घोड़े, वानर जैसे कई जानवर रहा करते थे जो उन्हें काफी प्रिय होते थें। ऐसे ही एक राजा के पास बहुत शक्तिशाली हाथी था। वो हाथी कई बार राजा के साथ युद्ध में शामिल हुआ था और राजा को कई बार जीत मिली थी। राजा उस हाथी को अपनी किस्मत मानते थे और उससे बहुत लगाव रखते थे। वहीं हाथी भी राजा की सारी बातें मानता था और उनकी भक्ति करता था। राजा भी उससे बहुत स्नेह करते थे।
दलदल मे फंस गया हाथी
हालांकि धीरे धीरे समय बीतने लगा तो हाथी बूढ़ा होने लगा। राजा ने उसे अपने साथ युद्ध में ले जाना छोड़ दिया। हाथी की सेवा खूब होती थी। खाने पीने और आराम करने का विशेष ध्यान दिया जाता था, लेकिन युद्ध में ना जा पाने के कारण उसके जीवन मे कोई उत्साह नहीं रह गया था। हाथी हमेशा दूखी रहता था।एक बार हाथी राजा के सरोवर में पानी पीने गया, लेकिन तालाब में दलदल होने के कारण वो फंस गया। बहुत कोशिश करने के बाद भी वो दलदल से बाहर नहीं निकल पा रहा था। हाथी परेशान होकर जोर जोर से चिल्लाने लगाय़। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस दलदल से कैसे बाहर निकलेगा।
हाथी के चिंघाड़ने की आवाज दूर तक जा रही थी। कुछ देर बाद बाद राजमहल में उसकी आवाज पहुंची तो राजा फौरन अपने मंत्रियों के साथ वहां पहुंचे। राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को आदेश दिया की हाथी को बाहर निकाला जाए। सैनिक लगातार कोशिश करते रहे, लेकिन हाथी को दलदल से बाहर नहीं निकाल पाए। हाथी परेशान रहा, लेकिन किसी भी तरीके से वो बाहर नहीं निकल पाया।राजा की बैचेनी बढ़ गई उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि हाथी को कैसे निकाला जाए। उन्होंने अपने मंत्री को बुलाया औऱ उनसे पूछा किया किस तरह से हाथी को बाहर निकाल सकते हैं। मंत्री ने कहा- महाराज आप एक काम करिए, आप युद्ध में बजने वाले ढोल नगाड़े यहां ले आइए और इसे बजाइये। राजा ने मंत्री की बात मान ली और फिर ढोल नगाड़े बजाए गए।
जीवन में उत्साह के बिना कुछ नहीं होता
ये आवाज सुनते ही हाथी ने जोर लगाया और कुछ ही देर में बाहर आ गया। राजा बहुत प्रसन्न हुए, लेकिन उन्हें समझ नहीं आया कि हाथी कैसे बाहर आ गया। मंत्री ने कहा कि महाराज, हाथी को ढोल नगाड़े की आवाज सुनकर लगा की युद्ध की तैयारी हो रही है औऱ आपको उसकी जरुरत है। उसने आपके साथ कई युद्ध में भाग लिया है और जबसे आपने उसे युद्ध में ले जाने से इनकार कर दया उसके जीवन में निराशा आ गई। जब ढोल नगाड़े बजे तो उसे लगा कि आप उसे युद्ध के लिए बुला रहे हैं और उसका उत्साह लौट आया और उसने पूरी कोशिश के साथ बाहर निकलने की कोशिश की।
हमारे जीवन में भी ये बात लागू होती है। जब तक हम अपने जीवन में किसी बात को लेकर उत्साहित नहीं रहते हैं तो परेशानी से निकलने का रास्ता भी नहीं सोचते हैं। जीवन मे उत्साह बनाए रखना चाहिए ताकी हम हमेशा अपनी जिंदगी बेहतर ढंग से जी सकें।
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