दुनियाभर में प्रसिद्ध है स्वर्ण मंदिर, जहां हर रोज 75 हजार लोगों को दिया जाता है मुफ्त में खाना
स्वर्ण मंदिर सिख धर्म के लोगों का धार्मिक स्थल है, जहां पर हर साल लाखों की संख्या में लोग आया करते हैं। इस मंदिर में सिख धर्म के अलावा अन्य धर्म के लोग भी आकर अपना मात्था जरूर टेकते हैं। अमृतसर में बना ये मंदिर दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले धार्मिक स्थानों में से एक है। इस मंदिर को बनाने का कार्य दिसंबर 1581 में शुरू किया गया था और ये मंदिर साल 1589 में बनकर तैयार हुआ था। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अनुसार इस मंदिर को देखने के लिए हर दिन दुनियाभर से करीब एक लाख लोग आते हैं। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर में मात्था टेकने के बाद लोगों द्वारा यहां पर लगने वाले लंगर में खाना भी जरूर खाया जाता है और ये खाना भक्तों को मुफ्त में दिया जाता है।
रोज 75,000 लोगों को निःशुल्क दिया जाता खाना
स्वर्ण मंदिर में आने वाले सभी लोगों को खाना जरूर खाने को दिया जाता है और रोज इस मंदिर में लगने वाले लंगर में करीब 75,000 लोग आया करते हैं। जबकि किसी पर्व के दिन ये संख्या लाखों में पहुंच जाती हैं। इतने अधिक लोगों के लिए रोज इस मंदिर में खाना बनाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं। इस मंदिर की रसोई में हर वक्त खाना बनता रहता है और लोगों को हमेशा ताजा खाना ही खाने को दिया जाता है।
खाने में दी जाती हैं ये चीजें
लंगर के दौरान हर किसी को अच्छी खासी मात्रा में खाना दिया जाता है। लंगर में रोज लोगों को खाने के लिए रोटियां, दाल, सब्जी, और मीठा परोसा जाता है। लोगों को लंगर के दौरान दी जाने वाली थाली में दाल और सब्जी को रखा जाता है, जबिक रोटियों को लोगों को दोनों हाथों में देने की परंपरा इस मंदिर में है। ऐसा कहा जाता है कि रोटी भगवान की नेमत है और इसे हमेशा हाथों में देना चाहिए।
कैसे बनता है इतना खाना
आप सोच रहें होंगे की रोजाना 75,000 से अधिक लोगों का खाना इस मंदिर में कैसे बनाया जाता है? दरअसल इस मंदिर में खाने बनाने के लिए कई तरह की मशीने लगाई गई हैं और इन मशीनों की मदद से ही खाना बनाया जाता है। रोज इस मंदिर में 2 लाख से अधिक रोटी बनती हैं और इन रोटी को बनाने के लिए रोटी मेकर का प्रयोग किया जाता है। रोटी मेकर की मदद से एक घंटे में आसानी से 25,000 के करीब रोटी बनकर तैयार हो जाती हैं। रोजाना इस मंदिर में करीब 12,000 किलो आटा गूंथा जाता है। वहीं दाल और सब्जियों को बड़े कुंडों में बनाया जाता है और इस मंदिर में बनने वाली सब्जियों को दिल्ली से लाया जाता है। सब्जियों को काटने और छीलने का काम सेवादारों द्वारा किया जाता है। वहीं लोगों को खाना खिलाने के बाद सेवादार आकर उनकी थाली को उठा कर ले जाते हैं और उनको साफ करके रख देते हैं। कई बार इस मंदिर में आए भक्त भी खाना बांटने और बर्तन धोना का काम किया करते हैं और इसी तरह से रोज इस मंदिर में लंगर का खाना बनाया जाता है और लोगों को परोसा जाता है।