शहीद हुआ धनबाद का वीर जवान, घर पहुंचा शव तो तिरंगे को छाती से लगाकर दहाड़े मारकर रोने लगी मां
देश की रक्षा के लिए शहीद हुआ कोई भी जवान जब अपनी अंतिम यात्रा पर होता हो तो सिर्फ उसका परिवार ही नहीं बल्कि पूरा देश रोता है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के कांकरे में नक्सली हमले में बीएसएफ के जवान मों.इसरार खान शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर जैसे ही घर पहुंचा उनके परिवार में सनसनी मच गई। डिप्टी कमांडेंट शहीद के मां के पास गए। उन्होंने इशारे से बीएसएफ के जवान के ताबूत से तिरंगा उठाया और तिरंगे को लपेट कर डिप्टी कमांडेट शहीद इसरार की मां को सौंप दिया।
तिरंगे से खूबसूरत कोई कफन नहीं होता
डिप्टी ने शहीद के मां से कहा- मां इस पर अब सिर्फ आपका अधिकार है। ये लीजिए, इस तिरंगे से खूबसूरत कोई कफन नहीं होता। मां कब तक अपना हौंसला बांधती। तिरंगे को छाती से लगाया जैसे अपने बेटे को अपने आंचल में समेट रही हो और फिर दहाड़े मार कर रोने लगीं। ये दृश्य देखकर हर किसी की आखें नम हो गई।
जवान के पार्थिव शरीर का लोदना पहुंचने का इंतजार झारियावासियों ने रातभर की।सुबह होते ही लोग अपने अपन घर से निकले। पुलिस लाइन पहुंचे जहां शहीद का पार्थिव शरीर रखा गया था। इसके बाद पुलिस लाइन से शहीद का शव लोदना साउथ गोलकडीह स्थित आवास के लिए निकला। उस पार्थिव शरीर के आगे सैकड़ों लोग चल रहे थे।इस दौरान लोगों ने शहीद अमर रहे और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। शहीद का शरीर जब घर पहुंचा तो पूरा गोलकडीह के लोगों की आखें भर आईं।
चारों तरफ चीख पुकार थी। परिवार का जवान लड़का देश के नाम पर शहीद हो गया। बीएसएफ ने औपचारिकता पूरी कर शव परिजनों को सौंप दिया। इसके बाद पार्थिव शरीर को साउथ गोलकडीह मैदान लाया गया, जहां लोगों ने शहीद को श्रद्धाजंलि दी गई। शहीद के शव को दफनाने के लिए कब्रिस्तान ले जाया गया। घर से कब्रिस्तान की दूरी करीब 7 किमी है।
कंधे पर शहीद की निकली शव यात्रा
प्रशासन वाहन ने वाहन से शव यात्रा निकालने का फैसला किया, लेकिन लोगों ने इस बात से इनकार कर दिया। उन्होंने शहीद के शव को अपने कंधे पर ले लिया और यात्रा निकाली। जैसे ही जनाजा आगे बढ़ा भारता माता की जय के जयकारे लगे। हाथ में तिरंगा लेकर लोगों ने शहीद को उसके फर्ज के लिए शुक्रिया कहा। जिस जिस जगह से शहीद का शव निकला उस जगह से उन पर फूल बरसाए गए। दोपहर 12 बजे के आसपास पार्थिव शरीर को होरलाडीह कब्रिस्तान लाया गया। यहां बीएसएफ ने अपने वीर जवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
पार्थिव शरीर को सुपर्द एक खाक होने से पहले सैकड़ों लोगों ने नमाज पढ़ी। नमाज पढ़ने के बाद लोगों ने खड़े होकर दुआ की और फिर पार्थिव शरीर को दफन किया गया। इसके साथ ही पार्थिव शरीर को दफन किया गया। इस दौरान भारत माता की जय और शहीद तुम अमर रहो के नारे लगते रहे।
शहीद इसरार किसी अमीर खानदान से संबंध नहीं रखता था। उसके घर के दरवाजे टूटे थे और दीवारें उजड़ी हुई थीं, लेकिन उस पर तिरंगा लहरा रहा था। उनके पास अपना घर ठीक करवाने के लिए पैसे भी नहीं थी। जब उन्हें बीएसएफ में नौकरी मिली तो परिवार खुशियों से झूम उठा। सबको लगा की अब घर की हालत ठीक हो जाएगी लेकिन उस परिवार की पूरा घर ही उजड़ गया। अफसरों ने कहा कि इसरार एक बेहतर जवान था। उसके जान का हर किसी को गम है।
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