भारत में मिलने वाले इस कीड़े की कीमत है लाखों में, जो केवल रात में करता है काम!
प्रकृति विविधता से भरी हुई है, यही वजह है कि दुनियाँ में ऐसे-ऐसे जीव पाए जाते हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। भारत में सबसे ज्यादा जैव विविधता देखने को मिलती है और इसी वजह से यहाँ दुनियाँ से अलग तरह के जीव देखने को मिलते हैं। खैर ये तो रही जीवों की बात। अगर मैं आपसे कहूँ की इस पृथ्वी पर एक ऐसा भी कीड़ा पाया जाता है, जिसकी कीमत लाखों में है तो आप शायद यकीन नहीं करेंगे। लेकिन यह पूरी तरह से सच है, जी हाँ और वह जीव कही और नहीं बल्कि भारत में ही पाया जाता है।
इस कीड़े पर है दुनियाँ भर के तस्करों की नजर:
यह कीड़ा इसलिए इतना महँगा है, क्योंकि एक तो यह यह बहुत ही कम पाया जाता है और दूसरा इसमें विशेष प्रकार के गुण पाए जाते हैं। इस कीड़े को यारसांगुबा कहा जाता है और इसका इस्तेमाल यौनशक्ति को बढ़ाने में किया जाता है। इसीलिए इस कीड़े पर पुरे दुनियाँ के तस्करों की नजर लगी रहती है। चीन और जापान में इस कीड़े की खूब माँग है।
इसके सत्व से बनाई जाती है यौनशक्ति वर्धक दवाएँ:
आपको बता दें इसके सत्व से ऐसी दवाएँ बनाई जाती हैं जो इंसान की यौनशक्ति को बढ़ाने का काम करती हैं। यारसांगुबा एक तरह का फंगस है और यह हिमालय के बहुत ज्यादा बर्फीले क्षेत्र में पाया जाता है। यह दिखने में भूरे रंग का होता है और इसकी लम्बाई 7 से 9 इंच तक होती है। इसे जाड़े का कीड़ा भी कहा जाता है, कई जगहों पर इसे कीड़ा जड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
वैज्ञानिकों के शोधों के द्वारा यह पता चला है कि इसमें विटामिन बी-12, कार्डिसेपिक अम्ल, इर्गोस्टाल, मेनोटाल के साथ ही 25 से 30 प्रतिशत कार्डिसेपिन और डिपॉक्सीनोपिन भी पाया जाता है। इन सभी का इस्तेमाल यौनशक्ति को बढ़ाने वाली दवाओं में किया जाता है।
आज से 1500 साल पहले की गयी थी इसकी खोज:
इसके खोज को लेकर एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी खोज आज से लगभग 1500 साल पहले तिब्बतियों द्वारा की गयी थी। उस समय तिब्बती लोग अपने जानवरों को चराने के लिए हिमालय के आस-पास के इलाकों में ले जाया करते थे। वहाँ इन कीड़ों को खाने के बाद जानवरों में अभूतपूर्व परिवर्तन होता था। उसके बाद से ही इस कीड़े की खोज यौनशक्ति बढ़ाने की दावा के रूप में की गयी।
भारत में इसकी निकासी पर है रोक:
भारत में इसको निकालने पर रोक लगायी गयी है, इसकी वजह से इसकी चोरी-छुपे तस्करी की जाती है। नेपाल और तिब्बत में इसके निकालने पर कोई रोक नहीं है, इसलिए वहाँ के लोग इसे बेचते हैं। चीन में यह 15-20 लाख रूपये प्रति किलो की दर से बिकता है।