अपने काम का अनुभव से ही हम सही अनुभव पाते हैं, इसी से हम असली और नकली में अंतर समझते हैं
एक शहर में एक जौहरी रहा करता था। वो हीरों की सबसे अच्छी परख करता था। उसका काम बहुत बढ़िया चल रहा था। एक दिन अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। उसके इलाज में उसके परिवार की सारी जमा पूंजी लग गई। धीरे धीरे सारा पैसा खत्म होने लगा और एक दिन ऐसा आया जब जौहरी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। जौहरी की मृत्यु से परिवार संकट में आ गया। व्यापार पहले ही बंद हो चुका था।
लड़के के कंधे पर आ गई परिवार की जिम्मेदारी
उसका एक ही लड़का था और अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी लड़के पर आ गई थी। उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो अपना घर कैसे चलाए। एक बार घर की सफाई करते हुए एक हीरों का हार मिल मिल गया। उसके पिता जौहरी थे, लेकिन उसे हीरों की परख नहीं थी। उसने सोचा की सबसे पहले अपने चाचा को ये दिखाना चाहिए वो इसकी सही कीमत बताएंगे।
लड़के के चाचा भी हीरों के व्यापारी थे और अपने भाई के बाद उनका नाम ही व्यापार में सबसे आगे थे। लड़का वो हीरों का हार लेकर अपने चाचा के पास ले गयाय़ उसने अपने चाचा से कहा – ये हार कितने में बिक जाएगा, इससे मेरा घर चल जाएगा। चाचा ने कहा- अभी इस हार को मत बेचों, बाजार अभी मंदा है। कुछ समय बाद बेचोगे तो अच्छी कीमत मिलेगी। तब तक तुम एक काम करो की तुम मेरी दुकान पर काम कर लों और ये हार मुझे दे दो।
लड़के ने भरोसा करके हार अपने चाचा को दे दिया और उनकी दुकान में काम करने लगा। धीरे-धीरे उसकी आमदनी से घर भी चलने लगा। उसे हीरों की सही परख होने लगीं। असली नकली हीरे में फर्क वो देख कर पहचान लेता। काम में उसका नाम होने लगा था। यहां तक की धीरे धीरे उसने अपने चाचा को भी पीछे कर दिया था।
अनुभव ने बताया क्या असली है क्या नकली
एक दिन उसने सोचा की अब बाजार में तेजी आ रही है, हार के अच्छे दाम मिल सकते हैं।उसने अपने चाचा से हार मांगा। चाचा ने उसे हार दिया तो उसके होश उड़ गए। ये हार तो नकली था। अब तक वो जिस हीरों के हार को असली समझ रहा था वो नकली निकले। ये खुद उसने अपने अनुभव से समझ लिया। उसने अपने चाचा से कहा- ये हार तो नकली है, ये पहले दिन से ऐसा ही है, फिर आपने मुझे ये बात क्यों नहीं बताई।
चाचा ने कहा- बेटा मैं तो उसी दिन समझ गया था कि ये हार नकली है, लेकिन अगर उस दिन मैं तुम्हें सच बताता को तुम्हें लगता कि मैं झूठ बोल रहा हूं और तुम्हारा हार हड़पना चाहता हूं। जब तुमने काम किया तो अपने अनुभव से सीख लिया की ये हार असली है या नकली। अब हीरों की परख तुम खुद कर सकते हों।लड़के को समझ आ गया कि काम की महत्ता क्या होती है और अगर उसके पास काम करने का अनुभव नहीं होता तो वो कभी असली और नकली हीरे की परख नहीं कर पाता। उसने अपने चाचा को धन्यवाद दिया जिन्होंने उसके जीवन की इस कमी को दूर किया औऱ उसे असली औऱ नकली में फर्क करने का अनुभव दिया।
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