पेट्रोल पंप पर कार्य करने वाले के बेटे ने किया अपने पिता का नाम रोशन, संघर्ष कर बना कलेक्टर
मध्य प्रदेश के प्रदीप सिंह ने लाख दिक्कतों के बाद भी अपनी लगन और मेहनत के दम पर अपने जीवन में सफलता हासिल करके दिखाई है। एक साधारण से परिवार से आने वाले प्रदीप सिंह ने इस साल संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा को पास किया है और इस परीक्षा में इन्होंने 93 रैंक हासिल की है। प्रदीप की इस कामयाबी के पीछे इनके पिता का भी योगदान है। प्रदीप के पिता को अपने बेटे की काबिलियत पर पूरा भरोसा था और अपने बेटे के एक अधिकारी बनने के सपने को पूरा करने के लिए इनके पिता ने कई सारे बलिदान दिए हैं।
पेट्रोल पंप पर करते हैं काम
इंदौर शहर में रहने वाले प्रदीप सिंह के पिता एक पेट्रोल पंप पर कार्य करते हैं और इनके पिता की आर्थिक स्थिति इतना मजबूत नहीं थी कि वो अपने बेटे को यूपीएससी परीक्षा के लिए कोचिंग दिलवा सकें। लेकिन प्रदीप के पिता मनोज सिंह ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए अपने घर को बेच दिया था और जो पैसे मनोज सिंह को मिले उन्होंने वो पैसे प्रदीप की पढ़ाई पर लगा दिए। दरअसल प्रदीप दिल्ली आकर कोचिंग क्लास लेना चाहता था और ऐसा करने के लिए प्रदीप को पैसों की जरूरत थी। जब मनोज सिंह को अपने बेटे के दिल्ली जाकर कोचिंग लेने की इच्छा पता चली तब उन्होंने पैसों का इंतजाम करने के लिए अपने घर को बेच दिया और पूरे परिवार के साथ किराए के घर में रहने लग गए। प्रदीप की पढ़ाई में किसी भी तरह की कमी ना रहे इसके लिए प्रदीप की मां ने भी अपने गहनों को बेच दिया था।
साल 2017 से ले रहे हैं कोचिंग क्लास
घर बेचने के बाद प्रदीप ने दिल्ली आकर कोचिंग क्लास को ज्वाइन किया और साल 2017 से प्रदीप दिल्ली में रहकर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। इस साल प्रदीप को सफलता मिली है और प्रदीप ने इस परीक्षा में 93 रैंक हासिल की है। ये रैंक हासिल करने के साथ ही ये एक अधिकारी बन गए हैं और इन्होंने अपने माता-पिता के बलिदान को बेकार नहीं जाने दिया है। प्रदीप के मुताबिक इन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है।
22 साल के प्रदीप ने इंदौर के डीएवीवी से अपनी शिक्षा हासिल कर रखी है और इन्होंने आईआईपीएस से बीकॉम की पढ़ाई की है। प्रदीप का सपना है कि वो भविष्य में आगे जाकर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र के लिए काम कर सकें। गौरतलब है कि शुक्रवार को सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे घोषित किए गए थे और इस बार कुल 759 कैंडिडेट के नाम घोषित किए गए हैं, जिनमें 577 पुरुष और 182 महिलाएं हैं।
साल 2018 के जून महीने में ये परीक्षा हुई थी और इस परीक्षा में 4,93,972 कैंडिडेट ने भाग लिया। जिसमें से लिखित परीक्षा के लिए 10,468 कैंडिडेट चुने गए थे। लिखित परीक्षा के बाद कुल 1994 कैंडिडेट ने इंटरव्यू दिया था और इस इंटरव्यू को पास करने में 759 कैंडिडेट सफल हुए हैं। इस साल इस परीक्षा में कनिष्क कटारिया ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। कनिष्क कटारिया ने आईआईटी बॉम्बे से बीटेक की पढ़ाई कर रखी है।